Ashadha Maas 2025 का आरंभ आज से, जानें पूजा-पाठ और दान का महत्व

Ashadha Maas 2025: आषाढ़ मास 2025 का शुभारंभ आज 12 जून से हो गया है. हिंदू पंचांग में यह महीना धर्म, भक्ति और साधना का विशेष समय माना गया है. इस माह में सूर्य, शिव, विष्णु और गुरु की उपासना का विशेष महत्व है. दान, व्रत और तीर्थ यात्रा से पुण्य प्राप्त होता है.

By Shaurya Punj | June 12, 2025 5:15 AM

Ashadha Maas 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास वर्ष का चौथा महीना होता है और इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है. इस बार आषाढ़ माह की शुरुआत 12 जून 2025 से हो रही है और इसका समापन 10 जुलाई को होगा. इस माह को संधिकाल का महीना भी कहा जाता है, क्योंकि यह ग्रीष्म और वर्षा ऋतु के बीच का संक्रमणकाल है.

आषाढ़ महीने में वातावरण में नमी बढ़ने लगती है और रोगों का संक्रमण भी अधिक देखने को मिलता है. ऐसे में यह समय शरीर और मन दोनों की शुद्धि और साधना का माना गया है.

किन देवताओं की करें पूजा?

इस पवित्र मास में भगवान शिव, श्रीहरि विष्णु, भगवान सूर्य और मंगलदेव की विशेष रूप से उपासना की जाती है. सूर्य और मंगल की आराधना से ऊर्जा और उत्साह बना रहता है. वहीं, भगवान विष्णु की पूजा से संतान प्राप्ति और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. गुरु की उपासना इस महीने को खास बनाती है. आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है, जो गुरु भक्ति और ज्ञान की साधना का पर्व है.

Ashadha Maah 2025 में शिव-पूजा का ये है धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व 

देवी उपासना और तीर्थ यात्रा

आषाढ़ मास में देवी दुर्गा की आराधना भी फलदायी मानी जाती है. यह महीना तीर्थ यात्राओं के लिए भी अत्यंत शुभ होता है.

दान का महत्व

आषाढ़ मास में किए गए दान को विशेष पुण्यदायी माना गया है. खासकर नमक, तांबा, कांसा, तिल, गेहूं, गुड़, चावल और मिट्टी के पात्र दान करने से जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है. यह महीना मन, शरीर और आत्मा की साधना का समय है. जो श्रद्धा और आस्था के साथ इसका पालन करता है, उसे सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक लाभ की प्राप्ति होती है.