पाकिस्तान को फिर सबक सिखाना होगा
Pakistan : मुनीर ने पहलगाम हमला करवाया ही इसलिए, क्योंकि वह अपना एक्सटेंशन और प्रमोशन चाहते थे. तब पाकिस्तान में मुनीर के खिलाफ जबरदस्त माहौल बन गया था, क्योंकि बलूचों का विद्रोह चरम पर था, तहरीके तालिबान पाकिस्तान से लड़ाई चल रही थी और इमरान खान ने भी सेना की हालत खराब कर रखी थी.
-जीडी बख्शी, मेजर जनरल (सेवानिवृत्त)-
Pakistan : अमेरिकी जमीन से भारत पर परमाणु हमले की धमकी देने वाले आसिम मुनीर क्या यह समझ भी पा रहे हैं कि वह क्या कह रहे हैं? उनकी बात से तो लगता है कि वह सठिया गये हैं. उन्होंने खुद को फील्ड मार्शल तो बना लिया है, लेकिन हकीकत में वह फेल्ड मार्शल हैं, जो भारत के ऑपरेशन सिंदूर के समय बुरी तरह फेल हुए. लगता है, वह फिर अपनी किरकिरी कराना चाहते हैं. दरअसल मुनीर किसी भी कीमत पर रिटायर नहीं होना चाहते, चाहे इसके लिए भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध ही क्यों न हो जाये.
मुनीर ने पहलगाम हमला करवाया ही इसलिए, क्योंकि वह अपना एक्सटेंशन और प्रमोशन चाहते थे. तब पाकिस्तान में मुनीर के खिलाफ जबरदस्त माहौल बन गया था, क्योंकि बलूचों का विद्रोह चरम पर था, तहरीके तालिबान पाकिस्तान से लड़ाई चल रही थी और इमरान खान ने भी सेना की हालत खराब कर रखी थी. वैसे में, मुनीर भारत का खतरा दिखाकर उन सबसे लोगों का ध्यान हटाना चाहते थे. लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने उन्हें उनकी औकात बता दी. अब फिर वह धमकी दे रहे हैं कि पाकिस्तान परमाणु शक्ति संपन्न देश है और आधी दुनिया बर्बाद कर सकता है.
मैं मुनीर को यह याद दिलाना चाहता हूं कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने एक हजार से अधिक ड्रोन हमारे ऊपर चलाये थे, उनमें से 90 फीसदी मार गिराये गये. आठ सौ-नौ सौ ड्रोन के तो परखच्चे उड़ा दिये थे हमारे सैनिकों ने. यही नहीं, पाकिस्तान की तरफ से जो तीन मिसाइलें भारत पर दागी गयी थीं- एक शाहीन और दो फतह- तीनों के तीनों को नेस्तनाबूद कर दिया गया था. इसके बाद भी मुनीर कह रहे हैं कि यदि भारत सिंधु नदी पर डैम बनायेगा, तो 10 मिसाइलें दाग कर वे डैम उड़ा देंगे. उनकी 10 मिसाइलों में से एक भी हमारी इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस शील्ड को पार नहीं कर पायेगी, क्योंकि हमारी डिफेंस शील्ड मल्टी लेयर्ड है, जो एस-400, बराक-8, एमआर सैम, आकाश सर्फेस टू एयर मिसाइल, स्पाइडर मिसाइल से लैस हैं. ऐसे में मुनीर की भारत पर परमाणु हमले की धमकी देना केवल गीदड़ भभकी है.
रही बात भारत की, तो मेरा कहना है कि 1971 में भारत पर खतरा इतना बढ़ गया था कि यदि हम उसे लेकर सतर्क नहीं होते और सक्रियता नहीं दिखाते, तो समाप्त हो जाते. एक बार फिर भारत के लिए वैसा ही समय आया है. उस समय भी चीन और अमेरिका पाकिस्तान के साथ थे, जबकि रूस हमारे साथ था. आज भी रूस हमारे साथ है और चीन, अमेरिका मिलकर पाकिस्तान की मदद कर रहे हैं. वर्ष 1971 के युद्ध में, जिसमें मैंने भी भाग लिया था, अमेरिका ने पाकिस्तान की मदद के लिए अपना सातवां बेड़ा भेजा था. लेकिन पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गये थे. आज समय आ गया है कि भारत पाकिस्तान के चार टुकड़े कर दे, नहीं तो पाकिस्तान हमें चैन से जीने नहीं देगा. जब देखो वह कुछ न कुछ षड्यंत्र करता ही रहता है. वह जम्मू-कश्मीर और पंजाब में दखलअंदाजी कर रहा है. उसने सीआइए के साथ मिलकर बांग्लादेश में तख्तापलट करवाया है और वहां से हमें घेरने की कोशिश कर रहा है. पाकिस्तान को अब फिर से उसकी औकात दिखा देने का समय आ गया है.
हमें यह बात समझनी होगी कि अमेरिका द्वारा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या किसी नेता को न बुलाकर आसिम मुनीर को बुलाना यह दिखाने की कोशिश है कि पाकिस्तान में अमेरिका का ही राज है. डोनाल्ड ट्रंप चुटकी बजाते हैं और मुनीर वहां दुम हिलाते हुए पहुंच जाते हैं. वहां बुलाकर मुनीर को आदेश दिये जा रहे हैं कि तुम ईरान को सबक सिखाओ, तुम फिलिस्तीनियों के खिलाफ खड़े रहो, आदि-आदि. मुनीर ट्रंप की जी हजूरी में लगे हुए हैं कि अमेरिका किसी तरह पाकिस्तान को हथियार दे दे. वर्ष 1971 में भी पाकिस्तान ऐसा कर चुका है. अब समय आ गया है कि इसको फिर से सबक सिखाया जाये, क्योंकि इससे पहले जो इसको सबक सिखाया गया था, उसे यह भूल चुका है. यदि भारत पाकिस्तान को अभी सबक नहीं सिखाता है, हाथ पर हाथ धरे बैठा रहता है, अहिंसावादी बने रहता है, तो फिर हमें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा, क्योंकि हमारे विरुद्ध यह जो समीकरण बन रहा है- चीन, अमेरिका और पाकिस्तान का- वह खतरनाक है.
पाकिस्तान की सेना के पास 80 फीसदी हथियार चीन के हैं. चीन ने पाकिस्तान को 83 अरब डॉलर दिये हैं और अब वह अमेरिका का पिछलग्गू बन गया है. मुनीर अमेरिका के पिछलग्गू बने हुए हैं, तो उसमें पाकिस्तान का नहीं, उनका अपना हित छिपा है. पाकिस्तान यह जानता है कि चीन और अमेरिका के बीच दुश्मनी है, लेकिन वह चतुराई दिखा रहा है. उसे लग रहा है कि दोनों देशों को मूर्ख बनाकर वह अपना उल्लू सीधा कर लेगा. पर जरूरत से ज्यादा चतुर पाकिस्तान के बुरे दिन आ गये हैं. सच तो यह है कि चीन भी अब पाकिस्तान से परेशान हो गया है और अब वह भारत से मैत्री चाहता है.
इन सबको देखते हुए भारत को पुख्ता सैन्य तैयारी की जरूरत है. हमारा रक्षा बजट अभी जीडीपी का 1.9 प्रतिशत है, जो काफी कम है. यूरोप के देशों का रक्षा बजट जीडीपी का पांच प्रतिशत और रूस का रक्षा बजट आठ प्रतिशत है, क्योंकि उसके सामने युद्ध की स्थिति है. हमारे सामने भी युद्ध की स्थिति है. ऐसे में, यदि हम कंजूसी करेंगे, तो हमारा नुकसान होगा. मैनपावर और टेक्नोलॉजी हमारी सबसे बड़ी संपति है. हमने ऑपरेशन सिंदूर में दिखा दिया है कि भारत की स्वदेशी तकनीक कितने उच्च स्तर की हो गयी है. अब समय आ गया है कि हम पूरी प्रतिबद्धता से काम करें. हमारी डिफेंस में जो भी खामियां हैं, उन्हें दूर करें और पूरी तैयारी के साथ पाकिस्तान के चार टुकड़े करने का लक्ष्य सामने रखें.
बलूचिस्तान को अलग देश बनाकर छोड़ें, पीओके को आजाद करायें. इसके लिए हमें पूरी तरह तैयारी करनी पड़ेगी. हमें बांग्लादेश और चीन से लगी अपनी सीमा को भी सुरक्षित करने की जरूरत है. सबसे बड़ी जरूरत सिलिगुड़ी कॉरिडोर को सुरक्षित करने की है. पाकिस्तान की परमाणु धमकी से हमें डरने की जरूरत नहीं है. हमने 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयर स्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों के जरिये पाकिस्तान को करारा जवाब दिये हैं. और ऑपरेशन सिंदूर अभी चालू है. इसलिए हमारे लिए यह सक्रियता दिखाने का समय है. (बातचीत पर आधारित)
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)
