सौर ऊर्जा से बढ़ती आत्मनिर्भरता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों में सौर ऊर्जा ऊर्जा का 'स्योर','प्योर' और 'सिक्योर' माध्यम है. सौर ऊर्जा असमाप्य, सर्वव्यापी, पर्यावरणीय दृष्टि से स्वच्छ और प्रदूषण रहित तथा सबको समान लाभ पहुंचाने वाला ऊर्जा स्रोत है.

By सुधीर कुमार | October 27, 2022 8:42 AM

हाल में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गुजरात के जिस मोढेरा गांव का दौरा किया, उसे बीते दिनों देश का पहला ‘पूर्ण सौर संचालित गांव’ घोषित किया गया है. एक छोटे से गांव में हुई इस अनोखी पहल की सराहना करते हुए गुटेरेस ने कहा कि यह कदम ग्रामीणों का जीवन बदलने और जलवायु कार्रवाई की दिशा में बेहद अहम है. साढ़े छह हजार की आबादी वाले इस गांव के घर, स्कूल, अस्पताल और मंदिर भी सौर ऊर्जा से जगमगा रहे हैं. ऊर्जा संकट के दौर में मोढेरा गांव बिजली पर निर्भरता समाप्त कर इतरा रहा है.

यह पहल आर्थिक बचत के साथ सामाजिक सशक्तीकरण में भी मददगार साबित हो रही है. भारत में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के बदलते परिदृश्य का मोढेरा उल्लेखनीय उदाहरण बन गया है. जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संकट और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के खतरे से जूझती दुनिया के समक्ष किफायती और पर्यावरण अनुकूल नवीकरणीय संसाधन के रूप में सौर ऊर्जा की लोकप्रियता और मांग तेजी से बढ़ी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों में सौर ऊर्जा ऊर्जा का ‘स्योर’,’प्योर’ और ‘सिक्योर’ माध्यम है.

सौर ऊर्जा असमाप्य, सर्वव्यापी, पर्यावरणीय दृष्टि से स्वच्छ और प्रदूषण रहित तथा सबको समान लाभ पहुंचाने वाला ऊर्जा स्रोत है. भारत में सौर ऊर्जा की अपार संभावनाएं हैं. यह पृथ्वी पर सबसे प्रचुर मात्रा में उपलब्ध स्वच्छ और सुलभ ऊर्जा संसाधन है. देश में साल के लगभग तीन सौ दिन तेज धूप पड़ती है. माना जाता है कि पृथ्वी की सतह पर एक से डेढ़ घंटे के दौरान पड़ने वाली सूरज की रोशनी को अगर ऊर्जा में तब्दील कर दिया जाए, तो इससे दुनियाभर में एक साल में खपत होने वाली ऊर्जा मांग की पूर्ति हो सकती है.

इसमें हम थोड़े भी कामयाब हो जाते हैं, तो यह ऊर्जा संकट को कम करने और विद्युत के लिए जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाने में सहायक हो सकती है. ऐसे समय में जब भारत अंतरराष्ट्रीय सौर संगठन का नेतृत्व कर रहा है, तब इस दिशा में पर्याप्त निवेश किये जा सकते हैं. अक्षय ऊर्जा स्रोतों में केवल एक बार निवेश की आवश्यकता होती है, फिर यह कई वर्षों तक बिना खर्च के ऊर्जा प्रदान करते रहते हैं. सौर ऊर्जा की प्राप्ति की प्रक्रिया भी अत्यंत सरल है. केवल सोलर पैनल लगवाने तथा बैटरी खरीदने में ही प्राथमिक खर्च आता है. न तो बार-बार उसमें ईंधन देने की जरूरत होती है और न ही उसके रख-रखाव पर कोई खर्च आता है.

सौर ऊर्जा का भविष्य तब तक उज्ज्वल है, जब तक इस सृष्टि का अस्तित्व है. इसके प्रयोग से बिजली पर निर्भरता घटती है और खर्च भी कम होता है. इस तरह सौर ऊर्जा आर्थिक बचत का साधन भी है. परंपरागत ऊर्जा स्रोतों तथा जीवाश्म ईंधनों पर दबाव कम करने के लिए सौर ऊर्जा की विकेंद्रीकृत योजना को अपनाने की दरकार है. केंद्र और राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित परियोजना के तहत मोढेरा के आवासीय और सरकारी भवनों के शीर्ष पर 13 सौ सोलर पैनल लगाये गये हैं, जो सूर्य की रोशनी को ऊर्जा में बदल कर गांव को रोशन कर रहे हैं.

जिस मोढेरा को लोग केवल ऐतिहासिक सूर्य मंदिर के लिए जानते थे, अब उसकी पहचान सौर ऊर्जा के आदर्श गांव के तौर पर हो रही है. इस तरह सौर ऊर्जा ने उस गांव के वर्तमान को ही नहीं, बल्कि आगामी कई पीढ़ियों का भविष्य संवार दिया है. मोढेरा निवासी इस ऊर्जा का इस्तेमाल अन्य घरेलू, कृषि संबंधी और व्यावसायिक गतिविधियों के लिए कर रहे हैं. अब यहां के लोगों को हजारों रुपये का बिजली बिल भुगतान करने से मुक्ति मिल गयी है. इस बचत से वे अन्य कार्य संपादित कर पा रहे हैं. यही नहीं, सौर ऊर्जा से उत्पन्न अतिरिक्त बिजली को ग्रिड को बेचने से धन की प्राप्ति भी हो रही है.

सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने सोलर रूफ टॉप योजना शुरू की है. राज्य सरकारें भी सौर पैनल लगवाने के लिए अनुदान दे रही हैं. सक्षम लोगों को आगे आकर मोढेरा की तरह अपने गांवों व शहरों को सौर ऊर्जा से संचालित करने की पहल करनी चाहिए. सौर ऊर्जा से इतर पवन, भूतापीय और जल जैसे नवीकरणीय साधनों के इस्तेमाल को भी बढ़ावा देना चाहिए.

इसके समुचित विकास से गैर-नवीकरणीय स्रोतों पर दबाव निश्चित तौर पर कम होगा, जिससे सतत पोषणीय विकास के लक्ष्य की प्राप्ति आसान होगी. देशभर में सौर पैनल का जाल बिछाने से ऊर्जा संसाधन से वंचित प्रदेशों को भी आधुनिकतम ऊर्जा स्रोतों से जोड़ने में मदद मिलेगी.

गौरतलब है कि पेरिस जलवायु समझौता (2015) के बाद भारत 122 देशों के साझे ‘अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन’ का नेतृत्व कर रहा है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश में अक्षय ऊर्जा के विकास की गति सराहनीय है. सौर ऊर्जा के उपयोग से सकारात्मक परिणाम सामने आयेंगे. उपयोग के साथ-साथ ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण के उपाय भी आवश्यक हैं. सौर ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहन एवं ऊर्जा बचत के सिद्धांत पर बल देना देश, समाज और पर्यावरण के लिए हितकारी होगा.

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