डिजिटल अर्थव्यवस्था

सस्ती, विकासात्मक और समावेशी डिजिटल प्रौद्योगिकी अर्थव्यवस्था के विविध क्षेत्रों के लिए फायदेमंद साबित होगी.

By संपादकीय | June 24, 2022 7:04 AM

मौजूदा दौर में आर्थिक सुधारों का मुख्य आधार प्रौद्योगिकी आधारित विकास है. इसे देखते हुए सरकार ने हाल के वर्षों में अंतरिक्ष, ब्लू इकोनॉमी, ग्रीन हाइड्रोजन, स्वच्छ ऊर्जा, ड्रोन और भू-स्थानिक डेटा जैसे अनेक क्षेत्रों में नवाचार अनुकूल नीतियां बनायी हैं. ब्रिक्स बिजनेस फोरम की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत में हो रहे अभूतपूर्व डिजिटल परिवर्तन को दुनिया देख रही है. भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचा क्षेत्र की क्षमता 2.5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की है. देश में 70,000 स्टार्टअप आये हैं, जिसमें 100 से अधिक तो यूनिकॉर्न बने हैं और यह संख्या निरंतर बढ़ रही है. इस प्रगति को देखते हुए नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के तहत 1.5 ट्रिलियन डॉलर के निवेश का अवसर बन सकता है. इस प्रकार, भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था 2025 तक एक ट्रिलियन के आंकड़े को छू सकती है.

सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का असर न केवल आर्थिकी, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों पर भी हो रहा है. डिजिटल अर्थव्यवस्था के तहत डिजिटल पेमेंट, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया जैसी मुहिम लाखों भारतीयों के जीवन में बदलाव ला रही है. मोबाइल यूजर्स की बढ़ती संख्या को देखते हुए अनुमान है कि 2025 तक भारत दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल मार्केट बन जायेगा. डिजिटल संस्कृति के विकास से ई-कॉमर्स और व्यवसाय के अन्य क्षेत्रों में तेजी आयी है. बढ़ते मध्य वर्ग, युवा, टेक-सैवी आबादी और ऑनलाइन व्यक्तिगत सेवाओं में बढ़त ने संभावनाओं के फलक को और बढ़ाया है. इससे वैश्विक कंपनियां निवेश के लिए प्रेरित होंगी, तो वहीं डिजिटल कौशल युक्त युवा आबादी के लिए मौके भी बनेंगे. इससे देश के साथ-साथ वैश्विक मांग को भी वे अपने पक्ष में कर सकेंगे.

हालांकि, डिजिटल अवसंरचना विकास के लिए कार्ययोजना और निवेश दोनों पर समानांतर पहल जरूरी है. डिजिटल प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए एस्टोनिया ने उच्च-प्रौद्योगिकी अवसंरचना विकास पर जोर दिया, जिससे वह यूरोप का डिजिटल लीडर बन गया. वहीं कुछ यूरोपीय देश प्रतिस्पर्धा से बचते रहे. भारत को ऐसी नीतियों पर काम करने की जरूरत है, जो पूरी अर्थव्यवस्था के हित में हो. डिजिटलीकरण की राह में कुछ चुनौतियां भी हैं, मसलन, असमान इंटरनेट पहुंच, मोबाइल स्वामित्व में लैंगिक अंतर, नेटवर्क और साइबर सुरक्षा के प्रश्न पर हमें गौर करना होगा.

डिजिटल क्रांति में उन समुदायों और इलाकों को भी जोड़ने की आवश्यकता है, जो सूचना और प्रौद्योगिकी विकास की दौड़ में कहीं पीछे रह गये हैं. अधिकाधिक डिजिटल लाभ के लिए मुख्य तौर पर तीन प्रमुख क्षेत्रों- डिजिटल प्रतिस्पर्धा, नवाचार और उद्यमिता पर फोकस करने की आवश्यकता है. सस्ती, विकासात्मक और समावेशी डिजिटल प्रौद्योगिकी अर्थव्यवस्था के विविध क्षेत्रों के लिए फायदेमंद साबित होगी. ऐसे बदलावों से विश्व अर्थव्यवस्था में भारत की भूमिका और प्रभाव दोनों बढ़ेगा. साथ ही, डिजिटल नवाचार का सबसे बड़ा पावरहाउस बनकर उभरेगा.

Next Article

Exit mobile version