दिल्ली शेख हसीना का दूसरा घर है

Bangladesh news : शेख हसीना ने बीते दिनों कुछ खास अखबारों को इंटरव्यू देते हुए अपने देश की सरकार की आलोचना की थी. उन्हें भले सजा सुना दी गयी है, पर वह नयी दिल्ली में सुरक्षित हैं और फिलहाल उनके बांग्लादेश लौटने की कोई संभावना भी नहीं है.

By विवेक शुक्ला | November 19, 2025 8:30 AM

Bangladesh news : बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को जब ढाका की एक अदालत ने मौत की सजा सुनायी, तब वह नयी दिल्ली के अपने आवास में सुरक्षित बैठी थीं. उन्हें इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने जुलाई, 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हत्याओं का मास्टरमाइंड बताया. शेख हसीना नयी दिल्ली में अज्ञात स्थान पर हैं. सुरक्षा कारणों से उनके आवास की जानकारी गुप्त रखी गयी है. वह अपने देश में पिछले वर्ष हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद आनन-फानन में नयी दिल्ली आ गयी थीं.


शेख हसीना ने बीते दिनों कुछ खास अखबारों को इंटरव्यू देते हुए अपने देश की सरकार की आलोचना की थी. उन्हें भले सजा सुना दी गयी है, पर वह नयी दिल्ली में सुरक्षित हैं और फिलहाल उनके बांग्लादेश लौटने की कोई संभावना भी नहीं है. देखा जाये, तो दिल्ली उनके लिए दूसरे घर की तरह है, क्योंकि 1975 से 1981 तक छह वर्ष उन्होंने यहीं निर्वासन में बिताये थे. तब शेख हसीना नयी दिल्ली के पंडारा पार्क में रहती थीं. उनके पति डॉ एमए वाजेद मियां (परमाणु वैज्ञानिक) और दोनों बच्चे भी साथ थे. उनके पड़ोस में ही भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी भी रहा करते थे. तब समय काटने के लिए शेख हसीना ने आकाशवाणी के बांग्ला सेवा में काम करना भी शुरू कर दिया था.

वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन शर्मा याद करते हैं, ‘शेख हसीना उस दौर में नियमित रूप से संसद मार्ग स्थित आकाशवाणी भवन में आया करती थीं’. दरअसल 15 अगस्त, 1975 को ढाका के धानमंडी स्थित घर में उनके पिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान, मां और तीन भाइयों की हत्या कर दी गयी थी. तब शेख हसीना अपने पति और बच्चों के साथ जर्मनी में थीं, इसलिए बच गयीं. परिवार के नरसंहार से वह पूरी तरह टूट चुकी थीं. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तब उन्हें भारत में राजनीतिक शरण दी. इंदिरा गांधी और मुजीबुर रहमान के बीच गहरे व्यक्तिगत संबंध थे. दिल्ली में शेख हसीना के सबसे करीबी दोस्त प्रणब मुखर्जी और उनकी पत्नी शुभ्रा मुखर्जी थे. तालकटोरा रोड स्थित प्रणब मुखर्जी के घर हसीना अपने बच्चों के साथ अक्सर जाती थीं. प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने एक बार बताया था, ‘मम्मी और हसीना आंटी घंटों कला, संगीत और बांग्ला साहित्य पर बातें करती थीं. जब 18 अगस्त, 2015 को मम्मी का निधन हुआ, तो हसीना आंटी अपनी बेटी पुतुल के साथ श्रद्धांजलि देने आयी थीं. पुतुल और मैं इंडिया गेट पर गुड़ियों से खेलते थे’.


बांग्लादेश में हालात सुधरे, तो काफी सोच-विचार के बाद उन्होंने वापसी का फैसला किया. दरअसल अवामी लीग के नेता भी लगातार दिल्ली आकर उनसे बांग्लादेश लौटने और सक्रिय राजनीति करने की गुजारिश करते थे. आखिरकार शेख हसीना 1981 में स्वदेश लौट गयीं. लेकिन बाद में जब भी वह दिल्ली आतीं, तो प्रणब और शुभ्रा मुखर्जी से जरूर मिलतीं. शेख हसीना के प्रधानमंत्री काल में भारत-बांग्लादेश के रिश्ते बेहतर हुए. आज जब शेख हसीना फिर से नयी दिल्ली में हैं, तो यह इतिहास का एक विडंबनापूर्ण दोहराव लगता है. वर्ष 2024 के वे काले दिन थे, जब बांग्लादेश की सड़कों पर छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा. उस आंदोलन ने जल्द ही पूरे देश को जकड़ लिया. सरकार ने सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण बनाये रखने का फैसला किया था, जो स्वतंत्रता संग्राम के वीरों के परिजनों के लिए था. छात्रों ने उसे अन्यायपूर्ण बताते हुए विरोध शुरू किया. लेकिन हसीना सरकार ने उसका दमनकारी जवाब दिया. पुलिस और सशस्त्र बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की, जिसमें सैकड़ों की मौत हो गयी. वह हिंसा हसीना के 15 वर्षों के शासन का अंतिम अध्याय साबित हुई. अगस्त, 2024 में सेना प्रमुख ने हस्तक्षेप किया और हसीना को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया. हसीना ने हेलीकॉप्टर से भागते हुए भारत का रुख किया. नयी दिल्ली पहुंचकर उन्होंने कहा था, ‘मैं हमेशा भारत की कृतज्ञ हूं’.


भारत ने उन्हें शरण दी, लेकिन यह निर्णय विवादास्पद रहा. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है. पर भारत ने संप्रभुता और मानवीय आधार पर इसे अस्वीकार कर दिया. हसीना के भारत में रहने से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है. शेख हसीना को मिली सजा पिछले वर्ष की उसी हिंसा का परिणाम है. ढाका की अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (आइसीटी) ने हसीना को ‘जनसंहार’ और ‘मानवता के खिलाफ अपराधों’ का दोषी ठहराया.

बांग्लादेश सरकार ने उनके प्रत्यर्पण के लिए भारत से औपचारिक अनुरोध किया है, लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह मामला संवेदनशील है और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जायेगा. हसीना के वकील अब अपील की तैयारी कर रहे हैं, जो बांग्लादेश की सर्वोच्च अदालत में होगी. संयुक्त राष्ट्र और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है. क्या भारत उन्हें सौंपेगा? विशेषज्ञों का मानना है कि नहीं, क्योंकि यह भारत की शरण नीति का उल्लंघन होगा. याद रखना चाहिए कि भारत ने शेख हसीना से पहले दलाई लामा को शरण दी थी. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)