बंगाल के अच्छे दिन के लिए सोचें

आप मोदी-वर्चस्व के राजनीतिक मंडल में आगे बढ़नेवाली अकेली क्षेत्रीय नेता हैं. लेकिन जीत के बाद शिष्टता और बड़प्पन का क्रम आता है.

By प्रभु चावला | June 15, 2021 7:52 AM

ममता दी, हर जीत एक अवसर है. हर हार एक संभावना है. आपके ही अनुगामी शुभेंदु अधिकारी से मिली आपकी चुनावी हार ने आपके उस जुझारू तेवर को कमतर नहीं किया है, जिसने तृणमूल कांग्रेस के मजबूत भाजपा पर तूफानी जीत को बल दिया था, जिसने आपको राइटर्स बिल्डिंग से हटाने के लिए लोगों और संसाधनों का जोर लगा दिया था.

भाजपा के अभियान का नेतृत्व स्वयं नरेंद्र मोदी कर रहे थे, जिन्हें एक व्यापक दलीय संगठन का सहयोग था. दिल्ली में शीला दीक्षित के बाद लगातार तीन चुनाव जीतनेवाली आप दूसरी महिला मुख्यमंत्री हैं. और, आप मोदी-वर्चस्व के राजनीतिक मंडल में आगे बढ़नेवाली अकेली क्षेत्रीय नेता हैं, लेकिन जीत के बाद शिष्टता और बड़प्पन का क्रम आता है.

आप पर अपशब्दों और विशेषणों की बौछार की गयी, लेकिन बंगाल के मतदाताओं ने ‘दीदी-ओ-दीदी’ जैसे शब्द के लिए भाजपा को दंडित किया. मतदाता चाहते हैं कि अब आप शासन करें, क्षोभ न दिखाएं. प्रधानमंत्री और अन्य भाजपा नेताओं से शब्द युद्ध के लिए चुनाव-दर-चुनाव आपको अधिक सीटें और वोटों की हिस्सेदारी नहीं मिली हैं. आप दुर्भावनापूर्ण शब्द युद्ध के बाद अपने विरोधियों को अपनी चुप्पी से और वैसे लोगों की ओर रचनात्मक सहयोग का हाथ बढ़ा कर मात दे सकती थीं, जो आपकी वाजिब जीत को पचा नहीं पा रहे हैं.

आप भले ही अभी एक स्वीकार्य विचारधारा के साथ भरोसेमंद राष्ट्रीय विकल्प नहीं बनी हैं, लेकिन अब ममता दीदी एक अलग अखिल भारतीय ब्रांड बन चुकी हैं. आप उन नेताओं में नहीं हैं, जो चांदी का चम्मच मुंह में लेकर पैदा होते हैं. मोदी की तरह आप निम्न मध्यवर्गीय पृष्ठभूमि से हैं. आप सीएम हैं, पर सूती साड़ी और हवाई चप्पल युक्त आपका व्यक्तित्व आपको अन्य नेताओं से अलग करता है, लेकिन जीत के बाद की आपकी बयानबाजी विजेता की भंगिमा को प्रतिबिंबित नहीं करती.

जब आप कहती हैं कि ‘हम प्रधानमंत्री मोदी को हटाना चाहते हैं’, तब इससे आपका अनुपयुक्त विश्वास झलक रहा होता है. आप चाह कर भी ताकतवर मोदी को नहीं हटा सकतीं, जिन्हें सर्वाधिक लोकप्रियता और लोकसभा में करीब दो-तिहाई बहुमत हासिल है. आपकी पार्टी पर लगातार खतरे तथा आपके मंत्रियों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई को देखते हुए आपका रोष आसानी से समझा जा सकता है, लेकिन केंद्र और मोदी से इस निरंतर व्यक्तिगत टकराव से क्या बंगाल आगे बढ़ सकता है?

एक मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री के बहिष्कार या किसी बैठक से बाहर आने की अपेक्षा नहीं की जाती. प्रधानमंत्री एक संविधान संरक्षित संस्था है. बीते साल सालों में आपने मोदी द्वारा बुलायी बैठकों में शायद ही हिस्सा लिया है. आप शायद अकेली मुख्यमंत्री हैं, जो उन्हें महत्वहीन जताती रहती हैं. शायद इसे आपके द्वारा अपने आइकन के विरोध और चुनौती के प्रति भाजपा की असहिष्णुता ने उकसाया हो, पर आपने सही संकेतों को नहीं पढ़ने की भूल की है. बंगाल में 2019 में भाजपा को 40 फीसदी वोट और 18 सांसद हासिल हुए थे. कई राज्यों की तरह बंगाल भी राष्ट्रीय चुनाव में राष्ट्रीय और स्थानीय चुनाव में स्थानीय आधार पर सोचता है. साथ ही दलबदल के नाटक से भी भाजपा को खूब चुनावी फायदा हुआ.

भाजपा का लक्ष्य कोलकाता को मुंबई, बंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद की तरह निवेश और सम्मेलन के एक केंद्र के रूप में पेश करते हुए बंगाल के अपने नैरेटिव को राष्ट्रीय, राजनीतिक और आर्थिक रूप से एक इकाई के रूप में सामने रखना है. बंगाल में वाम मोर्चे और कांग्रेस के प्रासंगिकता खोने से खाली हुई जगह को भाजपा ने भर दिया है. इसका उद्देश्य एक ऐसे क्षेत्रीय पार्टी के बरक्स एक विचारधारात्मक राष्ट्रवादी विकल्प पेश करना है, जो अल्पसंख्यक तुष्टीकरण और कल्पित सांस्कृतिक पहचान पर आधारित है.

अपनी स्थानीय जमीन को बचाने के लिए आपने उस राष्ट्रीय दृष्टिकोण को त्याग दिया है, जो आपने सक्रिय कांग्रेस नेता के तौर पर हासिल किया था. आप बंगाल की संस्कृति बचाने के लिए तथा उनकी विशेष विचारधारा का विरोध करने के लिए कम्यूनिस्टों से लड़ीं. दुर्भाग्य से, आपकी पार्टी में वैसे ही लोग घुस आये हैं, जिन्होंने बंगाल को राजनीतिक द्वेष की खूनी धरती बना दिया था. कृपया इस कथन को न भूलें- जीत के साथ सबसे खतरनाक पल आता है.

चुनाव के बाद अनेक राजनीतिक हत्याओं तथा आपके विरोधियों के विस्थापन ने आपकी शानदार जीत की चमक को फीका कर दिया है. केंद्र द्वारा परेशान करने का आपका आरोप सही हो सकता है. अति सक्रिय राज्यपाल की हरकतों से आपको चिढ़ हो रही है, लेकिन आपका आक्रामक रवैया केंद्र को आपके मंत्रियों, अधिकारियों व समर्थकों को और परेशान करने के लिए उकसा सकता है. आप बड़प्पन दिखाएं और अच्छे भविष्य के लिए अतीत एवं वर्तमान की प्रताड़ना को भूल जाएं.

अब जब आपने अपने उत्तराधिकार के मसले को तय कर दिया है, तब बंगाल से बाहर आपकी स्वीकार्यता समायोजन और स्वीकार करने की आपकी क्षमता पर निर्भर करेगी. नवीन पटनायक जैसे सफल मुख्यमंत्रियों ने कभी टकराव और कभी परस्पर लाभप्रद सर्वसम्मति का मध्य मार्ग अपनाया है. भारत को भरोसेमंद नेताओं के नेतृत्व में एक ठोस विपक्ष की जरूरत है. शरद पवार को छोड़ कर कोई भी ऐसा नहीं है, जो बिखरे दलों को साथ ला सके.

आप सहयोगी बन कर उनके राजनीतिक कौशल को बढ़ा सकती हैं. अन्य नेताओं के साथ आप दोनों एक बेहतर व विश्वसनीय वैकल्पिक भारत का विचार दे सकते हैं, न कि मोदी को हटाने के लिए केवल कोई व्यक्तिरूपी विकल्प. व्यक्तित्व संचालित प्रयास में आप निश्चित ही मोदी से परास्त होंगी. गांधी परिवार अपनी चमक खोने के बावजूद सत्ता के लालच में फंसा है.

आपके समर्थक आपको मां दुर्गा के रूप में परिभाषित करते हैं. हिंदू पौराणिकता में दुर्गा राम के समकक्ष स्थापित होने पर अधिक आकर्षक हो जाती हैं. कांग्रेस और वाम खेमे की कीमत पर बंगाल में केसरिया बढ़त को देखते हुए आपको सावधानी से आगे बढ़ना है. आप भारत से ऊपर बंगाल को रख कर गलती करेंगी. आज के भारत को बनाने में कई बंगाली विद्वानों और संतों ने योगदान दिया है.

मोदी बिना ममता बचे रह सकते हैं, पर मोदी के बिना ममता का आगे बढ़ना कठिन हो सकता है. महामारी पर जीत के बाद झगड़े की जगह सहमति पर बातचीत दोनों नेताओं के लिए एक साथ विकास लक्ष्य तक जाने का बेहतरीन रास्ता है. अन्यथा, नफरत की महामारी बंगाल के बाहर फैलेगी और आपके भाग्य का राष्ट्रीय स्वरूप दागदार होगा. सोनार बांग्ला बनाने के लिए अधिक भारत को बंगाल लाइए

Next Article

Exit mobile version