मध्यम वर्ग की निगाहें बजट पर

डॉ जयंतीलाल भंडारी अर्थशास्त्री jlbhandari@gmail.com देश के मध्यम वर्ग के लोगों की निगाहें एक फरवरी, 2020 को प्रस्तुत किये जानेवाले वर्ष 2020-21 के बजट पर लगी हुई हैं. इस समय मध्यम वर्ग बढ़ती हुई आर्थिक और सामाजिक मुश्किलों का सामना कर रहा है तथा देश की अर्थव्यवस्था भी सुस्त के दौर में है. ऐसे में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 22, 2020 6:52 AM

डॉ जयंतीलाल भंडारी

अर्थशास्त्री

jlbhandari@gmail.com

देश के मध्यम वर्ग के लोगों की निगाहें एक फरवरी, 2020 को प्रस्तुत किये जानेवाले वर्ष 2020-21 के बजट पर लगी हुई हैं. इस समय मध्यम वर्ग बढ़ती हुई आर्थिक और सामाजिक मुश्किलों का सामना कर रहा है तथा देश की अर्थव्यवस्था भी सुस्त के दौर में है.

ऐसे में नये बजट के माध्यम से मध्य वर्ग को राहत देने और मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति बढ़ाकर उद्योग-कारोबार को रफ्तार देने के लिए नये बजट के तहत विभिन्न प्रोत्साहनों की जरूरत है. देश और दुनिया के अर्थविशेषज्ञों और उद्योग-कारोबार विशेषज्ञों का मत है कि वेतनभोगी और मध्यम वर्ग को कर राहत मिलने से मांग में वृद्धि होगी तथा उससे आर्थिक गतिविधियां भी तेज होंगी.

छलांगे लगाकर बढ़ते हुए भारत के उपभोक्ता बाजार और भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में जिस मध्यम वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका है, उसकी क्रय शक्ति में वृद्धि करके अर्थव्यवस्था की सुस्ती दूर की जा सकती है. मध्यम वर्ग के कारोबार के लिए सरल नियम, ऋण में सरलता और इनकम टैक्स दर में कमी के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण राहतों व प्रोत्साहन की मुट्ठी खोल सकती हैं. मध्यम वर्ग को शेयर बाजार की ओर आकर्षित करने के लिए शेयर बाजार संबंधित प्रोत्साहनों से लाभान्वित किया जा सकता है.

मध्यम वर्ग के साथ पूरा देश वर्ष 2020-21 के नये बजट में नये डायरेक्ट टैक्स कोड और नये इनकम टैक्स कानून को आकार दिये जाने की प्रतीक्षा कर रहा है.

गौरतलब है कि नयी प्रत्यक्ष कर संहिता (डायरेक्ट टैक्स कोड- डीटीसी) संबंधी रिपोर्ट का मसौदा तैयार करने के लिए गठित टास्क फोर्स के अध्यक्ष अखिलेश रंजन द्वारा रिपोर्ट सीतारमण को सौंपी जा चुकी है. इस रिपोर्ट में प्रत्यक्ष कर कानूनों में व्यापक बदलाव और वर्तमान आयकर कानून को हटाकर नये सरल व प्रभावी आयकर कानून लागू करने की बात कही गयी है. इसमें छोटे करदाताओं की सहूलियत के लिए कई प्रावधान सुझाये गये हैं. कमाई पर दोहरे कर का बोझ खत्म करने की सिफारिश भी की गयी है.

यह जरूरी है कि नये बजट 2020-21 के तहत पांच लाख रुपये तक की आय पर जो मौजूदा आयकर छूट है, वह आगे भी जारी रखी जाये. अभी पांच लाख रुपये तक की सालाना आय पर जो 12,500 रुपये की छूट है, उसमें कुछ और राहत दी जानी चाहिए.

पांच से 10 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर जो मौजूदा 20 फीसदी की दर से आयकर है, उसे घटाकर 10 फीसदी किया जाना चाहिए. दस से 20 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर जो मौजूदा 30 फीसदी आयकर की दर है, उसे 20 फीसदी किया जाना चाहिए. इससे वेतनभोगी और मध्यम वर्ग के लोग बड़ी संख्या में लाभान्वित होंगे. महिलाओं को आयकर में विशेष छूट दी जानी चाहिए. साथ ही वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी विशेष रियायत दी जानी चाहिए.

मध्यम वर्ग के लाभों को बढ़ाने के मद्देनजर नये आयकरदाताओं की संख्या बढ़ाने पर भी ध्यान दिया जाये. अच्छी कमाई होने के बाद भी लोग आयकर देने से बचते हैं. नोटबंदी के कारण कालाधन जमा करनेवालों में घबराहट बढ़ी. आयकरदाताओं की संख्या बढ़ी और वर्ष 2017-18 में आयकरदाताओं की संख्या 7.4 करोड़ हो गयी.

यह बात भी महत्वपूर्ण है कि इन दिनों एक ओर कर संबंधी कठोर होते प्रावधानों से बड़ी संख्या में चिंतित करदाता कोई प्रत्यक्ष कर समाधान योजना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर राजस्व की तंगी से जूझ रही केंद्र सरकार भी अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए बजट में करदाताओं के लिए प्रत्यक्ष कर समाधान योजना ला सकती है. इस योजना के तहत करदाता अपनी पिछले 5-6 वर्षों की अतिरिक्त आय का खुलासा कर सकते हैं.

ऐसे खुलासे पर उन्हें कोई जुर्माना नहीं भरना होगा और न ही उन्हें कोई सजा होगी. इससे करदाता पिछले मामलों के खुलने या सजा की आशंका के बिना अपनी घोषित आय को संशोधित कर सकते हैं. यदि ऐसी प्रत्यक्ष कर समाधान योजना में ब्याज और जुर्माना माफ कर दिया जाता है और विवादित राशि के 50 फीसदी हिस्से के भुगतान का विकल्प दिया जाता है, तो करदाता इसे हाथों हाथ ले सकते हैं.

ज्ञातव्य है कि प्रत्यक्ष कर समाधान योजना का सुझाव नयी प्रत्यक्ष कर संहिता (डायरेक्ट टैक्स कोड) की ओर से पेश की गयी रिपोर्ट में भी दिया गया है. सरकार को उम्मीद है कि इस योजना के क्रियान्वयन के पहले ही करीब 50,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिल जायेगा. साथ ही इस योजना के आने से अदालती मामलों में कमी आयेगी.

चूंकि इस समय देश की अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर में है, ऐसे में वर्ष 2020-21 के नये बजट में वित्तमंत्री द्वारा एक ओर प्रत्यक्ष कर समाधान योजना तथा दूसरी और आयकरदाताओं को राहत देने के लिए रंजन समिति द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों के आधार पर सरल और प्रभावी नयी प्रत्यक्ष कर संहिता और नये आयकर कानून को शीघ्र आकार दिया जाना उपयुक्त होगा.

हम आशा करें कि नये बजट में आयकर संबंधी राहत दिये जाने से जहां एक ओर वेतनभोगी वर्ग और मध्यम वर्ग के आयकरदाताओं के चेहरे पर मुस्कराहट आयेगी, वहीं दूसरी ओर आयकर राहत से मध्यम वर्ग के लोगों के पास जो धन बचेगा. इससे उपभोग को बढ़ावा मिलेगा तथा आर्थिक गतिविधियां बढ़ने से देश की अर्थव्यवस्था गतिशील भी हो सकेगी.

(यह लेखक के निजी विचार हैं)

Next Article

Exit mobile version