Aravalli Hills: अरावली पहाड़ियों का क्या है मामला? कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर
Aravalli Hills: अरावली की परिभाषा का मुद्दा अब गरमाने लगा है. कांग्रेस 26 दिसंबर को केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने की तैयारी में जुट गई है. जानें क्या है पूरा मामला.
Aravalli Hills: अरावली पहाड़ियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की नई परिभाषा के बाद उत्तर भारत के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. अरावली दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है, जो राजस्थान, हरियाणा के अलावा गुजरात और दिल्ली तक फैली हुई है. केंद्र सरकार की सिफारिशों के बाद अदालत ने नई परिभाषा को स्वीकार किया है. इसके अनुसार, आसपास की जमीन से कम से कम 100 मीटर ऊंची किसी भी भूमि को अरावली पहाड़ी माना जाएगा. यदि 500 मीटर के दायरे में दो या अधिक ऐसी पहाड़ियां हों और उनके बीच की जमीन हो, तो उसे अरावली पर्वत श्रृंखला माना जाएगा.
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एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया जाएगा : कांग्रेस
मामले को लेकर कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने कहा कि अरावली की परिभाषा को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ कांग्रेस 26 दिसंबर को जयपुर में व्यापक प्रदर्शन करेगी. वह केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत गठित एक समिति की अरावली पर्वतमाला की परिभाषा संबंधी हालिया सिफारिशों का जिक्र कर रहे थे, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर को स्वीकार कर लिया था. पायलट ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार जो करने का इरादा रखती है, उसे रोकने के लिए एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.
#WATCH | Bengaluru: On the Aravalli Hills row, Congress leader Sachin Pilot says, "… We will have to urge the Supreme Court to reconsider its decision, because the four governments in Gujarat, Rajasthan, Haryana, and Delhi are all BJP governments. The central government is also… pic.twitter.com/MULgmflpwP
— ANI (@ANI) December 23, 2025
एक तरह से मौत का फरमान : पायलट
आगे पायलट ने कहा कि मेरे विचार से, इसका एकमात्र मकसद खनन क्षेत्र में पैसा कमाने वाले कुछ लोगों को खुश करना हो सकता है. इसमें जो भी शामिल हो, इस बात की न्यायिक जांच होनी चाहिए कि इसकी शुरुआत किसने की, कौन कर रहा है और इसके पीछे कौन है. पायलट ने कहा कि वह 26 दिसंबर को जयपुर में होने वाले मार्च में भाग लेंगे ताकि बीजेपी शासित सरकारों द्वारा अरावली पर्वतमाला को लुप्त होने देने के इरादे के खिलाफ आवाज उठाई जा सके. उन्होंने कहा कि मेरी राय में, अगले कुछ वर्षों में अरावली पर्वतमाला का यही हाल होने वाला है, यह एक तरह से मौत का फरमान है.
