वैष्णो देवी मंदिर में भक्तों ने लगया सोने-चांदी का अंबार, 18 सौ किलो सोना, 47 सौ किलो चांदी, चढ़ावे की रकम देखकर हो जाएंगे दंग

श्रद्धालुओं ने माता वैष्णो देवी के दरबार में दिल खोल कर दान दिया है. माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड भी भक्तों के इस दान को उन्हीं की सुविधाओं और जन कल्याण पर खर्च करता है. माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अनुसार, हर साल माता के दरबार में औसतन 90 किलो सोना श्रद्धालु चढ़ाते हैं.

By Prabhat Khabar | March 25, 2021 8:57 AM
  • भक्तों ने वैष्णो देवी मंदिर में दिल खोल कर दिया दान

  • माता के दरबार में चढ़ाया 1800 किलो सोना

  • 20 साल में चढ़ायी 4700 किलो चांदी

श्रद्धालुओं ने माता वैष्णो देवी के दरबार में दिल खोल कर दान दिया है. माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड भी भक्तों के इस दान को उन्हीं की सुविधाओं और जन कल्याण पर खर्च करता है. माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अनुसार, हर साल माता के दरबार में औसतन 90 किलो सोना श्रद्धालु चढ़ाते हैं. पिछले 20 वर्षों में माता वैष्णो देवी के दरबार में 1800 किलोग्राम सोना चढ़ा है. यही नहीं, चांदी चढ़ाने में भी श्रद्धालु पीछे नहीं हैं.

इसी अवधि के दौरान माता के दरबार में 4700 किलोग्राम चांदी चढ़ायी गयी है. यानी, हर साल औसतन 200 किलो से भी ज्यादा चांदी के सिक्के, मुकुट और आभूषण माता को भेंट किये गये. इस कारण त्रिकुटा पर्वत पर विराजमान मां वैष्णो की यात्रा की देखभाल कर रहा श्राइन बोर्ड भारत के अमीर श्राइन बोर्ड में से एक है.

दरबार में 2000 करोड़ रुपये नकद भी चढ़ाये: माता के दरबार में श्रद्धालु न सिर्फ अपनी आस्था के अनुसार, सोना और चांदी चढ़ाते हैं, बल्कि नकद राशि चढ़ाने में भी पीछे नहीं हटते है. पिछले बीस वर्षों में श्रद्धालुओं ने माता के दरबार में 2000 करोड़ रुपये नकद भी चढ़ाये हैं.

यह मंदिर 108 शक्ति पीठों में से एक है, जो मां दुर्गा को समर्पित है. माता की यह पवित्र गुफा उन चंद धार्मिक स्थलों में से एक है, जहां पर श्रद्धालु हर साल लाखों की संख्या में दर्शनों के लिए पहुंचते हैं. पिछले साल करीब सात महीनों तक कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से मंदिर को बंद रखा गया था, जिसके कारण श्रद्धालु माता वैष्णो देवी के दर्शन नहीं कर सके.

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कोरोना के कारण पिछले साल कम आये श्रद्धालु : 1986 में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के गठन के बाद से ही श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ी है. 2000 तक पहुंचते-पहुंचते श्रद्धालुओं की संख्या पचास लाख के आंकड़े को पार कर गयी. 2011 और 2012 में श्रद्धालुओं की संख्या एक करोड़ के पार चली गयी थी. हालांकि, पिछले साल कोरोना के कारण यह संख्या 17 लाख ही रह गयी. इस साल फिर से श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है.

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Posted by: Pritish Sahay

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