दिल्ली शराब नीति पर अनुराग ठाकुर ने अरविंद केजरीवाल को दी चुनौती, मनीष सिसोदिया की PC के बाद किया पलटवार

केंद्रीय मंत्री ने अपने पलटवार में आगे कहा कि आबकारी घोटाले में सीबीआई के छापे के बाद मनीष सिसोदिया के हावभाव और चेहरे रंग... सब उड़े हुए थे. वे मीडिया के पत्रकारों के सवालों का जवाब नहीं दे पा रहे थे. उन्होंने खुद कहा कि शराब घोटाले की चिंता न करें.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 20, 2022 3:09 PM

नई दिल्ली : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के छापों को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद भाजपा के नेता और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने शनिवार को पलटवार किया है. उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मनीष सिसोदिया आबकारी ‘घोटाले’ में आरोपी हैं, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इसके ‘मास्टरमाइंड’ हैं. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी आबकारी ‘घोटाले’ को अन्य मुद्दों की आड़ में छिपाने की कोशिश न करे. पार्टी का असली चेहरा बेनकाब हो गया है.

मनीष सिसोदिया का बदल गया नाम

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मनीष सिसोदिया पर निशाना साधते हुए पैसा बनाने और चुप्पी साधने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि इस घोटाले के बाद मनीष सिसोदिया ने अपना नाम बदल लिया है और अब उनका नाम ‘मनी…श्श्श्श’ (Money… shshshsh) यानी पैसा बनाओ और चुप रहो गया है. इसके साथ ही, 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी बनकर उभरने के आम आदमी पार्टी के दावे पर अनुराग ठाकुर ने कहा आप ने पहले भी बड़े-बड़े दावे किए थे, लेकिन पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने टिक नहीं पाई.

आबकारी नीति ठीक थी तो वापस क्यों लिया

केंद्रीय मंत्री ने अपने पलटवार में आगे कहा कि आबकारी घोटाले में सीबीआई के छापे के बाद मनीष सिसोदिया के हावभाव और चेहरे रंग… सब उड़े हुए थे. वे मीडिया के पत्रकारों के सवालों का जवाब नहीं दे पा रहे थे. उन्होंने खुद कहा कि शराब घोटाले की चिंता न करें. इसका मतलब यह कि उन्होंने मीडिया के सामने पीसी में यह मान लिया कि शराब घोटाला हुआ है. उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाया कि अगर आपकी आबकारी नीति ठीक रहती, तो उसे आपने वापस क्यों लिया.

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शराब माफियाओं पर सरकार की रहमी क्यों

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने अरविंद केजरीवाल से सवाल पूछा कि निर्माता कंपनियों को शराब बेचने की अनुमति क्यों दी गई. 25 अक्टूबर को आबकारी विभाग के अधिकारियों ने जब ब्लैक लिस्टेड कंपनियों पर सवाल खड़े किए, तो फिर उन्हें शराब बेचने की इजाजत क्यों दी. बिना कैबिनेट के शराब माफिया के 144 करोड़ रुपये माफ क्यों किया. उन्होंने पूछा कि शराब माफियाओं पर सरकार इतना रहमदिल क्यों बनी हुई है.

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