कोविड थर्ड वेव से बच्चे होंगे बुरी तरह प्रभावित? एम्स के डाॅक्टर ने इस तर्क को लेकर कही ये बड़ी बात..

कोरोना वायरस की तीसरी लहर दुनिया में आ चुकी है और अब हमारे देश में इसपर विचार हो रहा है कि किस तरह इस वेव को कमजोर किया जाये. रिसर्च हो रहे हैं ताकि यह पता किया जा सके कि तीसरी लहर को कैसे नियंत्रित किया जाये. इसी क्रम में विशेषज्ञ यह सलाह भी दे रहे हैं कि भ्रम फैलाने वाली सूचनाओं से बचें.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 18, 2021 7:08 PM

कोरोना वायरस की तीसरी लहर दुनिया में आ चुकी है और अब हमारे देश में इसपर विचार हो रहा है कि किस तरह इस वेव को कमजोर किया जाये. मंथन का दौर जारी है, रिसर्च हो रहे हैं ताकि यह पता किया जा सके कि तीसरी लहर को कैसे नियंत्रित किया जाये. इसी क्रम में विशेषज्ञ यह सलाह भी दे रहे हैं कि भ्रम फैलाने वाली सूचनाओं से बचें.

एम्स के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर और आईपीएचए के अध्यक्ष डॉ संजय कुमार ने कहा है कि गलत सूचनाओं और दुष्प्रचार का संयोजन जिसे इंफोडेमिक कहा जाता है, कोविड-19 महामारी के फैलने के बाद से हो रहा है. कोविड की तीसरी लहर बच्चों को प्रभावित करेगी, यह भी एक तरह से गलत सूचना है, क्योंकि इसके पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कई बार यह बताया है कि ऐसे कोई दस्तावेज मौजूद नहीं हैं जो यह साबित करें कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को ज्यादा प्रभावित करेगी.

डाॅक्टर संजय ने कहा कि हम देखते हैं कि लोग हाथ में दस्तानें पहन रहे हैं, यह समझते हुए कि यह उन्हें संक्रमण से बचाएगा, लेकिन यह इसमें सहायता नहीं करता बल्कि वायरस के प्रसार का कारण बन सकता है. जैसे कि जब लोग हाथों में दस्तानें पहनते हैं तो वे हाथ नहीं धोते और अन्य सतहों को छूते हैं, ऐसे में वायरस फैलने की संभावना बनी रहती है.

इंफोडेमिक पैनडेमिक ई-शिखर सम्मेलन-हील- थाय संवाद के 19 वें एपिसोड के दौरान गलत सूचनाओं, दुष्प्रचार और भ्रम फैलाने को लेकर आयोजित सम्मेलन में उन्होंने यह बातें कहीं.

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वैक्सीन पब्लिक पॉलिसी एंड हेल्थ सिस्टम एक्सपर्ट डॉ. चंद्रकांत लहारिया ने इस सम्मेलन में कहा कि जहां तक वैक्सीन के बारे में लोगों की हिचकिचाहट की बात है, तो लोग 1798 से ही हिचकिचा रहे हैं, जब से वैक्सीन या टीके अस्तित्व में आये हैं. हालांकि बड़ी संख्या में लोग वैक्सीन लगवाते हैं, फिर भी 30-40 प्रतिशत लोग हिचकिचाते हैं. इंटरनेट से जो जानकारी मिल रही है, उसे पढ़कर लोग असमंजस में फंस जाते हैं.

Posted By : Rajneesh Anand

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