Shaheen Bagh Protest: शाहीन बाग प्रदर्शन के पीछे PFI और SDPI का हाथ, कोर्ट में पुलिस का बड़ा बयान

पुलिस ने कोर्ट में कहा कि स्थानीय लोगों ने विभिन्न स्थानों पर हु प्रदर्शनों का समर्थन नहीं किया था. पुलिस ने फरवरी, 2020 में यहां हुए दंगे के पीछे की कथित साजिश के संबंध में दर्ज यूएपीए मामले के सिलसिले में जेएनयू के विद्यार्थी उमर खालिद की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए यह बात कही.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 23, 2022 9:48 PM

दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को उच्च न्यायालय से कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में यहां शाहीन बाग में हुआ प्रदर्शन स्वभाविक’ या कोई स्वतंत्र आंदोलन नहीं था. उसने कहा कि शाहीन बाग प्रकरण के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) थे.

स्थानीय लोगों ने शाहीन बाग प्रदर्शन का नहीं किया था समर्थन

पुलिस ने कोर्ट में कहा कि स्थानीय लोगों ने विभिन्न स्थानों पर हु प्रदर्शनों का समर्थन नहीं किया था. पुलिस ने फरवरी, 2020 में यहां हुए दंगे के पीछे की कथित साजिश के संबंध में दर्ज यूएपीए मामले के सिलसिले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के विद्यार्थी उमर खालिद की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए यह बात कही.

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सरकारी वकील ने कहा, बनाया गया प्रदर्शन स्थान

विशेष सरकारी वकील अमित प्रसाद ने न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ से कहा, शाहीन बाग को एक स्वभाविक प्रदर्शन स्थल के रूप में पेश किया गया था. लेकिन यह ऐसा था नहीं. यह कोई ऐसी स्थिति नहीं थी जहां लोग अचानक आये थे. यह एक बनाया गया प्रदर्शन स्थान था. उन्होंने कहा, शाहीन बाग की दादियां इसके (प्रदर्शन के) पीछे नहीं थी. एक गठजोड़ (कई संगठनों एवं व्यक्तियों का) शाहीन बाग के पीछे था. शाहीन बाग कोई स्वतंत्र आंदोलन नहीं था.

शाहीन बाग के पीछे बड़े षडयंत्रकर्ता

प्रसाद ने प्रदर्शन स्थलों को तैयार करने के सिलसिले में विभिन्न व्यक्तियों के बीच हुई बातचीत के अंश को पढ़कर सुनाया जिनमें नामजद आरोपी भी हैं. उन्होंने कहा कि इन लोगों ने ऐसे स्थानों पर भीड़ जुटायी और उन्हें साथ दिया. उन्होंने कहा, शाहीन बाग के पीछे पीएफआई और एसडीपीआई था. मैंने (अपनी दलीलों के) पहले दिन इसका जिक्र किया था, कहा था कि इसमें बड़े षडयंत्रकर्ता थे. बड़े षडयंत्रकर्ताओं में दृश्य एवं अदृश्य तत्व थे. उनमें एक अदृश्य षडयंत्रकर्ता पीएफआई था.

संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन 53 लोगों की गयी थी जान

सरकारी वकील ने कहा, स्थानीय लोगों ने समर्थन नहीं किया. ऐसे लोग थे जिन्हें इन स्थलों पर लाया गया और मैं बातचीत से दिखा सकता हूं कि कैसे लोगों को लाया गया. शाहीन बाग में जो कुछ हो रहा है, उसमें उनका हाथ था. फरवरी, 2020 में हुए दंगे में कथित रूप से षडयंत्रकर्ता होने को लेकर खालिद एवं शरजील इमाम एवं कई अन्य के विरूद्ध अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम एवं भादंसं की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी को लेकर हिंसा फैली थी जिसमें 53 लोगों की जान चली गयी थी और 700 से अधिक अन्य घायल हो गये थे.

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