मार्च 2018 से SBI ने बेचे 10,246 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड, जानें क्या है चुनावी बांड और कौन खरीद सकता है

भारतीय स्टेट बैंक ने साल 2018 के मार्च महीने से लेकर अब तक 10,246 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड बेचे हैं. सूचना का अधिकार कानून के तहत पूछे गए एक सवाल के जवाब में एसबीआई ने बताया कि ज्यादातर बॉन्ड एक करोड़ रुपये के थे.

By Pritish Sahay | November 18, 2022 8:19 AM

देश की सबसे बड़ी सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने साल 2018 के मार्च महीने से लेकर अब तक 10,246 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड बेचे हैं. राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के तहत नकद चंदे के विकल्प के रूप में चुनावी बॉन्ड को लाया गया था. सूचना का अधिकार कानून के तहत पूछे गए एक सवाल के जवाब में एसबीआई ने बताया कि ज्यादातर बॉन्ड एक करोड़ रुपये के थे. वहीं, दस लाख, एक लाख, दस हजार और एक हजार के मूल्यवर्ग वाले बॉन्ड की कुल हिस्सेदारी 10 फीसदी से भी कम थी.

आरटीआई को लेकर एसबीआई ने दिया जवाब: गौरतलब है कि चंद्रशेखर गौड़ की ओर एक आरटीआई फाइल किया गया था. जिसमें उन्होंने एसबीआई से चुनावी बांड को लेकर सवाल पूछे थे. आरटीआई के जवाब में एसबीआई ने यह जानकारी दी. एसबीआई ने बताया कि बेचे गए कुल बॉन्ड में करीब 93.5 फीसदी एक करोड़ रुपये मूल्यवर्ग के थे.

बता दें, एसबीआई को 29 अधिकृत शाखाओं के जरिये चुनावी बॉन्ड जारी करने और भुनाने के लिए अधिकृत किया गया है. इनमें लखनऊ, शिमला, देहरादून, कोलकाता, गुवाहाटी, चेन्नई, पटना, नई दिल्ली, चंडीगढ़, श्रीनगर, गांधीनगर, भोपाल, रायपुर और मुंबई स्थिति एसबीआई की शाखाएं शामिल हैं. जिन पंजीकृत राजनीतिक दलों को बीते लोकसभा या विधानसभा चुनाव में एक फीसदी या उससे अधिक वोट मिले हैं, वे ही दल चुनावी बॉन्ड से चंदा पाने के लिए पात्र हैं.

कौन खरीद सकता है चुनावी बांड: बता दें, देश में चुनावी बांड के पहले बैच की बिक्री मार्च 2018 से शुरू हुई थी. इसे राजनीतिक दलों के लिए नकद चंदे के बदले इस्तेमाल किया गया था. इसका मकसद राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाना है. चुनावी बांड भारतीय नागरिकों या देश में निगमित या स्थापित संस्थाओं की ओर से खरीदे जा सकते हैं. जिन राजनीतिक दलों को बीते लोकसभा या विधानसभा चुनाव में 1 फीसदी या उससे ज्यादा वोट मिले हैं वो चुनाव बॉड खरीद सकते हैं.
भाषा इनपुट से साभार

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