S. Jaishankar: विदेश मंत्री ने भगवान कृष्ण और हनुमान को बताया दुनिया के सबसे बड़े राजनयिक, जानें पूरा मामला

S. Jaishankar: जयशंकर शनिवार को महाराष्ट्र के पुणे शहर में अपनी पुस्तक ‘द इंडिया वे’ के मराठी अनुवाद 'भारत मार्ग' के विमोचन के दौरान सवाल-जवाब सत्र में दर्शकों के साथ संवाद कर रहे थे. विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘भगवान श्री कृष्ण और भगवान हनुमान दुनिया के सबसे महान राजनयिक थे.

By Aditya kumar | January 29, 2023 5:25 PM

S. Jaishankar: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि भगवान कृष्ण और भगवान हनुमान दुनिया के सबसे महान राजनयिक थे. जयशंकर शनिवार को महाराष्ट्र के पुणे शहर में अपनी पुस्तक ‘द इंडिया वे’ के मराठी अनुवाद ‘भारत मार्ग’ के विमोचन के दौरान सवाल-जवाब सत्र में दर्शकों के साथ संवाद कर रहे थे. विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘भगवान श्री कृष्ण और भगवान हनुमान दुनिया के सबसे महान राजनयिक थे. मैं इसे बहुत गंभीरता से कह रहा हूं.’’

”हनुमानजी एक बहुउद्देश्यीय राजनयिक थे”

उन्होंने कहा कि यदि कोई उन्हें कूटनीति के नजरिये से देखे, वे किस स्थिति में थे, उन्हें क्या कार्य दिया गया था, उन्होंने स्थिति को कैसे संभाला था. जयशंकर ने कहा, ‘‘हनुमानजी, वह अपने अभियान से आगे गए थे, उन्होंने देवी सीता से संपर्क किया था, लंका दहन किया था…वे एक बहुउद्देश्यीय राजनयिक थे.’’ मंत्री ने कहा कि आज के विमर्श में अंतरराष्ट्रीय संबंधों से जुड़ी दुनिया की 10 बड़ी रणनीतिक अवधारणाओं के बारे में वह महाकाव्य महाभारत से हर अवधारणा के लिए एक उदाहरण दे सकते हैं.

”यह एक बहु-ध्रुवीय दुनिया है”

उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप आज कहते हैं कि यह एक बहु-ध्रुवीय दुनिया है, तो उस समय कुरुक्षेत्र (महाभारत की लड़ाई का स्थल) में क्या हो रहा था, वह बहु-ध्रुवीय भारत था, जहां विभिन्न राज्य थे, उन्हें बताया गया था ‘आप उनके साथ हैं, आप मेरे साथ हैं’… उनमें से कुछ गुटनिरपेक्ष थे…जैसे बलराम और रुकमी.’’ उन्होंने कहा कि अब लोग कहते हैं कि यह वैश्वीकृत दुनिया है, परस्पर निर्भरता है, अड़चन है.

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”हम रणनीतिक धैर्य दिखाएंगे”

उन्होंने कहा, ‘‘अर्जुन की दुविधा क्या थी, यह विवशता थी, कि वह भावनात्मक रूप से उहापोह की स्थिति में थे… कि मैं अपने रिश्तेदारों के खिलाफ कैसे लड़ूं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम कभी-कभी कहते हैं कि पाकिस्तान ने ऐसा किया या वैसे किया और हम रणनीतिक धैर्य दिखाएंगे. भगवान कृष्ण ने जिस तरह से शिशुपाल को संभाला वह रणनीतिक धैर्य का सबसे अच्छा उदाहरण है. उन्होंने (भगवान कृष्ण) उसे 100 बार माफ किया.’’

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