Railway: यात्री सुरक्षा और सुविधा को हाल के वर्ष में मिली है प्राथमिकता

केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि वर्ष 2004-2014 तक रेलवे की ओर से 4148 आरओबी, आरयूबी का निर्माण हुआ, जबकि वर्ष 2014 से अब तक 11 साल में 13,600 से अधिक पुलों का निर्माण हुआ है. इसके अलावा स्टेशनों के विकास के लिए भी अमृत भारत स्टेशन योजना चलायी जा रही है.

By Anjani Kumar Singh | December 10, 2025 7:10 PM

Railway: सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए रेलवे ने आरओबी, आरयूबी निर्माण को बढ़ाकर तीन गुना किया है. वर्ष  2004-2014 तक रेलवे की ओर से 4148 आरओबी, आरयूबी का निर्माण हुआ, जबकि वर्ष 2014 से अब तक 11 साल में 13,600 से अधिक पुलों का निर्माण हुआ है. इसके निर्माण के लिए राज्यों के साथ संयुक्त सर्वेक्षण, मानकीकृत पुल डिजाइन, एकल-इकाई क्रियान्वयन और तेजी से काम करने के लिए नियमित समीक्षा तंत्र का विकास किया गया है. 


रेल मंत्रालय का कहना है कि आरओबी, आरयूबी काम का पूरा होना विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है. जैसे एप्रोच अलाइंमेंट को ठीक करना, सामान्य व्यवस्था ड्राइंग (जीएडी) की मंजूरी, भूमि अधिग्रहण, अतिक्रमण हटाना, उल्लंघन कारी उपयोगिताओं का स्थानांतरण, विभिन्न प्राधिकरणों से वैधानिक मंजूरी, परियोजना, कार्य स्थलों के क्षेत्र में कानून और व्यवस्था की स्थिति, जलवायु की स्थितियों के चलते विशेष परियोजना, क्षेत्र के लिए एक वर्ष में काम करने वाले दिनों की अवधि शामिल है. 

रेलवे ने आरओबी, आरयूबी काम में तेजी लाने के लिए जनरल अरेंजमेंट ड्राइंग (जीएडी) को अंतिम रूप देने से पहले, संबंधित राज्य सरकार, सड़क स्वामित्व प्राधिकरण के साथ संयुक्त सर्वेक्षण किया जाता है. इससे जुड़े विभिन्न मुद्दों को हल करने के लिए रेलवे और राज्य सरकार के अधिकारियों की समय-समय पर बैठक की जाती है. डिजाइन अनुमोदन के दौरान देरी से बचने के लिए रेलवे के हिस्सों पर सड़क के विस्तार, तिरछापन और चौड़ाई के विभिन्न संयोजनों के लिए सुपरस्ट्रक्चर ड्राइंग का मानकीकरण किया गया है. 


स्टेशनों को बनाया जा रहा है आधुनिक

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि देश में स्टेशनों के विकास के लिए रेलवे मंत्रालय की ओर से अमृत भारत स्टेशन योजना चलायी जा रही है. इस योजना का मकसद स्टेशन पर यात्री सुविधा बेहतर करने के साथ स्टेशन आने-जाने के रास्ते को सुगम बनाना और इसे शहर के दोनों ओर से जोड़ना है. साथ ही स्टेशन भवन को आधुनिक बनाकर वेटिंग रूम, शौचालय, पेयजल की उपलब्धता और बैठने की बेहतर सुविधा मुहैया कराना है. यात्रियों के लिए सूचना के लिए बेहतर तंत्र, लिफ्ट और एस्केलेटर की व्यवस्था, दिव्यांगों के लिए सुविधा मुहैया कराना है. इस योजना के तहत 1337 स्टेशनों की पहचान की गयी है और अब तक 155 स्टेशन पर विकास का काम पूरा हो चुका है. 


वित्त वर्ष 2025-26 में इस मद के लिए 12118 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है और अक्टूबर 2025 तक 7253 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. इस योजना के तहत 15 स्टेशनों के विकास का काम पीपीपी मॉडल के तहत किया जा रहा है. स्टेशनों के विकास में तकनीक का भी प्रयोग किया जा रहा है. खास बात है कि स्टेशनों के विकास में उस क्षेत्र की विरासत को प्रमुखता दी जा रही है.