पहले राम मंदिर, फिर गुरुद्वारा पहुंचे पीएम मोदी, 350वें शहीदी दिवस पर सुनाई 6 साल पहले की घटना
PM Modi On 350th Shaheedi Diwas: अयोध्या राम मंदिर में धर्म ध्वज फहराने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 350वें शहीदी दिवस पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में हिस्सा लेने हरियाणा कुरुक्षेत्र पहुंचे. जहां उन्होंने गुरुद्वारे में नौवें सिख गुरु श्री गुरु तेग बहादुर को प्रणाम किया.
PM Modi On 350th Shaheedi Diwas: नौवें सिख गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए 6 साल पहले ही घटना को याद किया. पीएम ने कहा- पांच या छह साल पहले, एक और अनोखा संयोग हुआ था. नवंबर को 2019 को जब राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, तो मैं करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन के लिए डेरा बाबा नानक में था. मैंने प्रार्थना की कि राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो, लाखों राम भक्तों की इच्छाएं पूरी हों, और हमारी सभी प्रार्थनाएं पूरी हुईं. उसी दिन, राम मंदिर के पक्ष में फैसला आया. और आज जब अयोध्या में धर्म ध्वजा फहराई गई है, तो मुझे सिख समुदाय से आशीर्वाद लेने का मौका मिला है. थोड़ी देर पहले ही कुरुक्षेत्र की धरती पर पांचजन्य मेमोरियल का उद्घाटन भी हुआ है.
कुरुक्षेत्र की इसी धरती पर कृष्ण ने सत्य और न्याय की रक्षा को सबसे बड़ा धर्म बताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा- कुरुक्षेत्र की इसी धरती पर खड़े होकर भगवान कृष्ण ने सत्य और न्याय की रक्षा को सबसे बड़ा धर्म बताया था. गुरु तेग बहादुर जी ने भी सत्य, न्याय और आस्था की रक्षा को अपना धर्म माना था. इस ऐतिहासिक मौके पर भारत सरकार को गुरु तेग बहादुर जी के चरणों में एक यादगार पोस्टेज स्टैंप और एक खास सिक्का समर्पित करने का सौभाग्य मिला है. मेरी कामना है कि हमारी सरकार इसी तरह गुरु परंपरा की सेवा करती रहे. कुरुक्षेत्र की यह पवित्र धरती सिख परंपरा का एक अहम सेंटर है. इस धरती का सौभाग्य देखिए, सिख परंपरा के लगभग सभी गुरु अपनी पवित्र यात्रा के दौरान यहां आए. जब नौवें गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी इस पवित्र धरती पर आए, तो उन्होंने यहां अपनी कड़ी तपस्या और निडर साहस की छाप छोड़ी.
मुगलों ने वीर साहबजादों के साथ क्रूरता की सारी हदें पार कर दी थीं : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा- हम सब जानते हैं कि मुगलों ने वीर साहबजादों के साथ भी क्रूरता की सारी हदें पार कर दी थीं. वीर साहबजादों ने दीवार में चुनवाना तो स्वीकार किया, लेकिन अपना कर्तव्य और धर्म नहीं छोड़ा. हमने सिख परंपरा की शिक्षाओं और पाठों को राष्ट्रीय पाठ्यक्रम में शामिल किया है, ताकि सेवा, साहस और सच्चाई के आदर्श हमारी नई पीढ़ी की सोच का आधार बने.
