टारगेट रेडी, एक्शन का इंतेजार… आज CCPA की बैठक में होगा फैसला
Pahalgam Attack: पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश की सुरक्षा और राजनीतिक हालात की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को CCPA की अहम बैठक होने जा रही है. पुलवामा हमले के बाद यह पहली बड़ी बैठक है जिसमें आतंकी हमले के जवाब में रणनीतिक कदमों पर फैसला लिया जा सकता है. बैठक में रक्षा, गृह, वित्त और विदेश नीति से जुड़े कई बड़े मंत्री शामिल होंगे और राष्ट्रीय सुरक्षा के स्तर पर महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए जाने की उम्मीद है.
Pahalgam Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देश की सुरक्षा और राजनीतिक हालात की समीक्षा के लिए बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति (CCPA) की बैठक बुलाई गई है. यह बैठक कई वर्षों बाद हो रही है और इसे बेहद अहम माना जा रहा है.
कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स यानी CCPA केंद्र सरकार की सबसे महत्वपूर्ण समितियों में से एक है. यह समिति देश के आंतरिक सुरक्षा, विदेश नीति, राज्यों के साथ संबंध और राजनीतिक प्रभाव वाले आर्थिक मसलों पर विचार करती है. CCPA की पिछली महत्वपूर्ण बैठक पुलवामा आतंकी हमले के बाद फरवरी 2019 में हुई थी, जिसमें पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा वापस लिया गया था. इसके कुछ दिन बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक की थी.
CCPA के सदस्य और उनकी भूमिका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समिति के अध्यक्ष हैं. समिति में सरकार के कई वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शामिल हैं, जिनमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू जैसे प्रमुख नेता शामिल हैं.
इसके अलावा सहयोगी दलों के मंत्रियों को भी समिति में स्थान दिया गया है, जिनमें नागरिक उड्डयन मंत्री के राममोहन नायडू, एमएसएमई मंत्री जीतन राम मांझी, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, महिला और बाल कल्याण मंत्री अन्नपूर्णा देवी और कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी शामिल हैं.
क्या हो सकती है चर्चा
बैठक में पहलगाम आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में मौजूदा सुरक्षा हालात की समीक्षा की जाएगी. साथ ही, जम्मू-कश्मीर में आगामी अमरनाथ यात्रा और लोकसभा चुनावों के बीच कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए रणनीति पर विचार किया जा सकता है. इसके अलावा पाकिस्तान और सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए कूटनीतिक और सामरिक विकल्पों पर भी चर्चा हो सकती है.
