बिहार-गुजरात की तर्ज पर अब मध्य प्रदेश में भी होगी शराबबंदी! उमा भारती ने सरकार और संगठन को लिखी चिट्ठी

भाजपा नेत्री उमा भारती ने अपने पत्र में लिखा है कि समाज को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी सरकार की होती है. इसलिए हमें इससे रोकने के बारे में सोचना चाहिए. वर्जित स्थानों पर शराब की दुकानों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए जिला अध्यक्षों और विधायकों का सहयोग किया जाए.

By Prabhat Khabar Print Desk | March 9, 2021 10:11 AM

भोपाल : बिहार और गुजरात की तर्ज पर अब मध्य प्रदेश में पूर्णत: शराबबंदी के आसार नजर आ रहे हैं. सूबे में शराबबंदी और नशाबंदी के लिए पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की नेत्री उमा भारती ने सरकार के बाद संगठन को चिट्ठी लिखी है. उन्होंने मध्य प्रदेश भाजपा इकाई के अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा को सूबे में शराबबंदी को लेकर चिट्ठी लिखी है. इसके पहले, उन्होंने शिवराज सिंह चौहान सरकार को पत्र भेजा था. संगठन को लिखे गए पत्र में उमा भारती ने राज्य में शराब की दुकानों पर प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर जिलाध्यक्षों और विधायकों से सलाह लेने की भी बात कही है.

भाजपा नेत्री उमा भारती ने अपने पत्र में लिखा है कि समाज को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी सरकार की होती है. इसलिए हमें इससे रोकने के बारे में सोचना चाहिए. वर्जित स्थानों पर शराब की दुकानों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए जिला अध्यक्षों और विधायकों का सहयोग किया जाए. उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को लिखे पत्र कहा कि जब से आपने मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का कार्यभार संभाला है, तब से पार्टी ने यशस्वी ऊंचाइयों को छुआ है. हर तरफ सफलताओं का जश्न है. मैं आपको बहुत लंबे समय से जानती हूं.

उन्होंने अपने पत्र में आगे कहा है कि आप एक धर्मशील संस्कारवान राजनेता हैं. आपको और शिवराज जी को ध्यान में रखकर ही में यह पत्र लिख रही हूं. इस पत्र को इसलिए सार्वजनिक करूंगी, क्योंकि इसका सार्वजनिक होना जनहित में जरूरी है. मध्य प्रदेश एक बहुत ही शांतिप्रिय राज्‍य रहा है. लॉकडाउन के हटने के बाद जब सभी कारोबार खुले, तो शराब का कारोबार भी खुला. शराब पीने से बहुत सारे लोग मरे, जबकि कोरोना काल में शराबबंदी के दौरान एक भी मौत शराब पीने से नहीं हुई. इसका मतलब है कि शराब मानवता की दुश्मन है.

उमा भारती ने आगे लिखा कि मैं इस बात से सहमत हूं कि शराब और नशा छोड़ना चाहिए, लेकिन समाज को समग्र रूप से स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी भी सरकार की होती है. हम शराब और नशे की कहीं से भी स्वस्थ की दृष्टि से उचित नहीं कह सकते. इसलिए हमें इसे रोकने के बारे में सोचना होगा. मैं इसको मानती हूं कि जो राजस्व शराब से सरकार को प्राप्त होता है उसका इस्तेमाल भी कई सरकारी योजनाओं में गरीबों के लिए होता है. इसलिए शराबबंदी और नशाबंदी के लिए चरणबद्ध तरीके और उपायों को अपनाना जरूरी है.

उमा भारती ने अपने पत्र में प्रदेश अध्यक्ष को कई उपाय भी सुझाए हैं. उन्होंने लिखा कि शराब की दुकानों के लिए वर्जित स्थानों को चिह्नित कर लेना चाहिए. यदि यहां पर वर्जित शराब की दुकान है, तो उन्हें तुरंत बंद कर देना चाहिए. इसके लिए भाजपा के जिलाध्यक्ष और विधायकों का भी सहयोग लेना चाहिए. ऐसे कई उदाहरण हैं, जिसमें गुजरात और नया उदाहरण बिहार का है. दोनों ही जगह पर लंबे समय से हमारी सरकारें हैं. अब इस दिशा में दोनों राज्यों की तरह मध्य प्रदेश में शराबबंदी, नशाबंदी के बाद की स्थिति की तुलना करते हुए हम कोई एक शराबबंदी और नशाबंदी योजना बना सकते हैं. इसके तहत राजस्व की हानि के लिए विकल्प की कमेटी बनाई जाए. स्वचेतना से शराब में नशा छोड़ने के लिए जागरण अभियान चलाया जाए.

उन्होंने आगे लिखा है कि शराब पीकर समाज के बीच में विचरण करने पर दंड का प्रावधान किया जाना चाहिए. दूसरे राज्यों से शराब की आवाजाही पर रोक लगाना चाहिए. मध्य प्रदेश की सीमा के थाने और चौकियों पर चौकसी होना चाहिए. लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई हो. उन्होंने लिखा कि मुझे आशा है कि आपके कार्यकाल में मध्य प्रदेश को शराबबंदी नशाबंदी की सफलता का लक्ष्य प्राप्त हो सकता है.

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Posted by : Vishwat Sen

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