Kanya Pujan : बेटियों के नन्हें पैरों को जब सीएम योगी ने धोया, अपने हाथों से भोजन परोसा
Kanya Pujan : शारदीय नवरात्र की महानवमी को नौ दुर्गा स्वरूपा कुंवारी कन्याओं का पूजन सीएम योगी ने किया. मुख्यमंत्री ने कन्या पूजन अनुष्ठान में अपने हाथों से भोजन परोसा. दक्षिणा व उपहार देकर कन्याओं से आशीर्वाद लिया.
Kanya Pujan : सीएम योगी ने बुधवार को शारदीय नवरात्र की महानवमी पर मातृ शक्ति के सम्मान की परंपरा निभाते हुए गोरखनाथ मंदिर में कन्या पूजन किया. गोरक्षपीठ की परंपरा के अनुसार उन्होंने नौ दुर्गा स्वरूपा कन्याओं के पांव पखारे, पूजन कर चुनरी ओढ़ाई, आरती उतारी और श्रद्धापूर्वक भोजन कराया. साथ ही उन्हें दक्षिणा व उपहार देकर आशीर्वाद लिया. मुख्यमंत्री ने बटुक पूजन भी किया और इस अवसर पर आस्था व परंपरा के महत्व को दोहराया.
सीएम योगी ने छह माह की बच्ची के भी पांव पखारे
बुधवार को मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने मंदिर के अन्न क्षेत्र के भोजन कक्ष में परंपरा निभाते हुए नौ नन्ही बालिकाओं के पांव धोकर पूजन किया. दुर्गा सप्तशती के मंत्रोच्चार के बीच उन्होंने कन्याओं के माथे पर रोली, चंदन, दही व अक्षत से तिलक किया. पुष्प-दुर्वा से अभिषेक कर माला पहनाई, चुनरी ओढ़ाई और उपहार व दक्षिणा देकर आशीर्वाद लिया. इस दौरान सीएम योगी ने छह माह की बच्ची के भी पांव पखारे और पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हनुमानजी के वेश में आए एक बालक को तिलक कर माला और अंगवस्त्र पहनाया. पूजन उपरांत उन्होंने नौ कन्याओं और बटुकों को मंदिर की रसोई में बने ताजे भोजन का प्रसाद अपने हाथों से परोसा. इसके अलावा बड़ी संख्या में आई बालिकाओं और बटुकों का भी पूजन, आरती कर उन्हें भोजन कराया गया. अंत में सभी को उपहार और दक्षिणा देकर आशीर्वाद लिया गया.
कन्याओं को अपने हाथों से भोजन परोसा मुख्यमंत्री ने
अपने महराज जी (सीएम योगी आदित्यनाथ) का प्यार-दुलार पाने के लिए नन्हीं बालिकाओं व बटुकों की आतुरता देखते ही बन रही थी. सत्कार और स्नेह के भाव से मुख्यमंत्री ने एक-एक कर नौ कन्याओं व बटुक भैरव के पांव पखारे और पूजन किया. इस दौरान सीएम योगी के हाथों दक्षिणा मिलने से ये बालिकाएं काफी खुश दिखीं. पूजन के बाद कन्याओं व बटुकों को स्वयं अपने हाथों से भोजन परोसते समय सीएम निरंतर बातचीत भी करते रहे. यह भी ख्याल रखते रहे कि किसी भी बालक-बालिका की थाली में प्रसाद की कोई कमी न रहे. इसे लेकर वह मंदिर की व्यवस्था से जुड़े लोगों को निर्देशित करते रहे.
