Liquor Shop : अस्पताल या मंदिर से कितनी दूर होनी चाहिए शराब की दुकान? आखिर क्यों नाराज हुआ हाई कोर्ट
Liquor Shop : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डॉ. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल के पास शराब की दुकान का लाइसेंस जारी करने और खुलेआम पीने पर नाराजगी जताई है.
Liquor Shop : इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने डॉ. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल के पास शराब की दुकान का लाइसेंस जारी किए जाने और दुकान के सामने खुलेआम शराब पीने की घटनाओं पर कड़ी नाराजगी जताई है. अदालत ने अपने पूर्व आदेशों का पालन न किए जाने पर पुलिस और संबंधित अधिकारियों को फटकार लगाई. पीठ ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि अधिकारी अदालत के आदेशों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि अवमानना का दोषी ठहराए जाने के बाद ही वे कार्रवाई करेंगे. अदालत ने स्पष्ट किया कि इस तरह का लापरवाह रवैया किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और न्यायमूर्ति राजीव भारती की पीठ ने स्थानीय निवासी दिनेश यादव और अन्य द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया. याचिकाकर्ताओं ने बताया कि वे डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान के सामने वाली कॉलोनी में रहते हैं और मायर्स अस्पताल भी पास में ही स्थित है.
अस्पताल, मंदिर के 100 मीटर के दायरे में शराब की दुकान का लाइसेंस नहीं मिल सकता
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि आबकारी विभाग ने मित्रलेखा वर्मा को शराब की दुकान का लाइसेंस जारी किया है. याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि शराब की दुकान के बाहर उपद्रवियों और शराबियों की लगातार भीड़ से निवासियों को काफी असुविधा होती है. याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील गौरव मेहरोत्रा ने दलील दी कि उत्तर प्रदेश राज्य बनाम मनोज कुमार द्विवेदी मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2008 के फैसले के अनुसार, किसी अस्पताल, मंदिर या आवासीय कॉलोनी के 100 मीटर के दायरे में शराब की दुकान का लाइसेंस जारी नहीं किया जा सकता है.
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अस्पताल से 53 मीटर के भीतर शराब की दुकान का लाइसेंस जारी
मेहरोत्रा ने अपनी दलील में कहा कि हालांकि, इस मामले में आबकारी विभाग ने मायर्स अस्पताल से 53 मीटर के भीतर शराब की दुकान का लाइसेंस जारी किया है, जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के विरुद्ध है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया गया कि शराब की दुकान के बाहर खुलेआम शराब पी रहे लोगों की भीड़ आसपास के लोगों और राहगीरों के लिए जीवन मुश्किल बना रही है और साथ ही कानून-व्यवस्था का संकट भी पैदा कर रही है. मामले की अगली सुनवायी 27 जनवरी को होगी.
