महाराष्ट्र में Omicron वैरिएंट के 8 नये मामले, देश में 61 मामले, नीति आयोग के डाॅ वीके पाॅल ने दी ये चेतावनी

मुंबई में अबतक 12 मामले ओमिक्राॅन के आ चुके हैं. वहीं देश में अबतक 61 केस ओमिक्राॅन के आये हैं. महाराष्ट्र के अलावा देश में कर्नाटक, राजस्थान, चंडीगढ़, केरल और दिल्ली में कोरोना के ओमिक्राॅन वैरिएंट के मरीज मिले हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 14, 2021 8:57 PM

महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के ओमिक्राॅन वैरिएंट के आठ नये मामले सामने आये हैं. इसके साथ ही प्रदेश में ओमिक्राॅन वैरिएंट के 28 मामले हो गये हैं. आज सामने आये कोरोना के आठ मामले में से सात मुंबई के हैं जबकि एक केस वसई विरार का है. महाराष्ट्र के कुल 28 केस में से अबतक 9 संक्रमितों की रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है.

मुंबई में अबतक 12 मामले ओमिक्राॅन के आ चुके हैं. वहीं देश में अबतक 61 केस ओमिक्राॅन के आये हैं. महाराष्ट्र के अलावा देश में कर्नाटक, राजस्थान, चंडीगढ़, केरल और दिल्ली में कोरोना के ओमिक्राॅन वैरिएंट के मरीज मिले हैं.

वहीं आज दिल्ली में ओमिक्राॅन वैरिएंट के चार नये मामले सामने आये हैं, जिसमें से दो मामले यूके से आये व्यक्ति का है, जबकि दो लोग उनसे नजदीकी संपर्क के हैं. वहीं जिंब्बावे का एक मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो गया है. उसके गले में थोड़ा इंफेक्शन था और वह कमजोरी महसूस कर रहा था. यह जानकारी लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल के डाॅक्टर सुरेश ने दी.

ओमिक्राॅन पर टीके का प्रभाव कम हो सकता है: डाॅ वीके पाॅल

गौरतलब है कि कोरोना वायरस के नये वैरिएंट ओमिक्राॅन को लेकर बढ़ी चिंता के बीच कोविड टास्कफोर्स के प्रमुख वी के पॉल ने कहा कि इसपर टीका का प्रभाव कम हो सकता है इसलिए भारत के पास ऐसा टीका मंच होने चाहिए जो वायरस के बदलते स्वरूप के साथ वैक्सीन को विकसित कर सके.

उद्योग संगठन सीआईआई द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पॉल ने कहा कि भारत में कोविड-19 महामारी का कम और मध्यम स्तर का संक्रमण जारी है. अभी जो स्थिति है उसमें हमारे टीके अप्रभावी हो सकते हैं.

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ओमिक्राॅन के सामने आने के बाद से पिछले तीन सप्ताह में, हमने देखा कि किस तरह कई तरह के संदेह सामने आये हैं. नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा कि हमारे लिए यह आवश्यक है कि हमें त्वरित अनुकूलनीय टीका मंच होने को लेकर सुनिश्चित होना चाहिए. हमें ऐसी स्थिति के लिए खुद को तैयार रखना होगा, जहां हम बदलती परिस्थिति के अनुसार टीके में सुधार कर सकें. लेकिन यह हर तीन महीने में संभव नहीं है लेकिन प्रतिवर्ष यह संभव है.