DRDO: प्रलय मिसाइल का नया वर्जन सटीक और घातक हमला करने में सक्षम

ओडिशा तट के पास एक ही लॉन्चर से दो प्रलय मिसाइल दागी गयी और यह परीक्षण यूजर इवैल्यूएशन ट्रायल्स के तहत किया गया. दोनों मिसाइलों ने तय की गई दिशा और सभी उड़ान उद्देश्यों को पूरा करने में कामयाब रही. यह मिसाइल रडार इंस्टॉलेशन, कमांड सेंटर और एयरस्ट्रिप जैसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर सटीक और घातक हमले करने में सक्षम है.

By Anjani Kumar Singh | December 31, 2025 6:08 PM

DRDO: रक्षा क्षेत्र में देश लगातार आगे बढ़ रहा है. खासकर मिसाइल तकनीक के मामले में भारत दुनिया के चुनिंदा देशों में शामिल है. इस कड़ी में देश की रक्षा क्षमता को मजबूती देते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन(डीआरडीओ) ने दो प्रलय मिसाइल का सफल सैल्वो लॉन्च करने में सफलता हासिल की है. ओडिशा के समुद्री तट से एक ही मिसाइल लांचर से दो प्रलय मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया. खास बात यह है कि दोनों मिसाइल परीक्षण के हर मानक को पूरा करने में सफल रहे. 

रक्षा मंत्रालय के अनुसार बुधवार सुबह ओडिशा तट के पास एक ही लॉन्चर से दो प्रलय मिसाइल दागी गयी और यह परीक्षण यूजर इवैल्यूएशन ट्रायल्स के तहत किया गया. दोनों मिसाइलों ने तय की गई दिशा और सभी उड़ान उद्देश्यों को पूरा करने में कामयाब रही. परीक्षण के दौरान मिसाइलों की उड़ान पर सटीक निगरानी रखी गयी और चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज द्वारा तैनात ट्रैकिंग सेंसरों ने पूरे ट्रैजेक्टरी को पूरा किया. 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसके सफल लांच पर डीआरडीओ, सैन्य बलों और रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक उपक्रमों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि भारत की मिसाइल प्रणाली की विश्वसनीयता को दर्शाती है. डीआरडीओ प्रमुख ने कहा कि प्रलय मिसाइल को जल्द ही सेना को सौंपा जाएगा. 

क्या है प्रलय मिसाइल की खासियत

प्रलय एक स्वदेशी ठोस ईंधन से चलने वाली क्वासी-बैलिस्टिक मिसाइल है और यह अत्याधुनिक गाइडेंस और नेविगेशन सिस्टम से लैस है. इसके कारण प्रलय मिसाइल सटीक निशाना लगाने में सक्षम है. यह अलग-अलग तरह के वाॅरहेड ले जाने में सक्षम है और एक साथ लक्ष्यों को निशाना बना सकती है. मौजूदा समय में एक साथ कई लक्ष्यों को निशाना बनाने के कारण यह काफी घातक मिसाइल बन गयी है. 

इस मिसाइल का विकास हैदराबाद स्थित रिसर्च सेंटर इमारत के नेतृत्व में किया गया, जिसमें डीआरडीओ से जुड़े लैब जैसे एडवांस सिस्टम लैबोरेटरी और कई अन्य संस्थाओं के सहयोग से किया गया है. इसमें  भारत डायनामिक्स लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने सहयोग दिया है. 

परीक्षण के दौरान डीआरडीओ, थल सेना, नौसेना के अधिकारी मौजूद रहे. यह मिसाइल रडार इंस्टॉलेशन, कमांड सेंटर और एयरस्ट्रिप जैसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर सटीक और घातक हमले करने में सक्षम है. 

स्वदेशी तकनीक से विकसित यह मिसाइल घरेलू रक्षा मैन्युफैक्चरिंग को मजबूत करने की दिशा में कारगर साबित होगी. यह मिसाइल 500-1000 किलोग्राम वजन का पारंपरिक वॉरहेड ले जाने में सक्षम है और यह  एडवांस्ड इनर्टियल नेविगेशन सिस्टम से लैस होने के कारण सटीक जगह पर हमला कर सकता है.