Cyber Crime: डिजिटल अरेस्ट के मामलों की जांच का जिम्मा शीर्ष अदालत ने सीबीआई को सौंपा

शीर्ष अदालत की पीठ ने डिजिटल अरेस्ट के मामले की जांच सीबीआई से कराने की खुली छूट देते हुए बैंक कर्मियों की भूमिका की जांच प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत करने को कहा. साथ ही पीठ ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को भी डिजिटल अरेस्ट के मकसद से खुले बैंक खातों की जांच के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग टूल के जरिये फर्जी खातों की पहचान करने में मदद करने का आदेश दिया.

By Vinay Tiwari | December 1, 2025 5:05 PM

Cyber Crime: देश में बढ़ रहे डिजिटल अरेस्ट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त कदम उठाया है. शीर्ष अदालत ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो(सीबीआई) को ऐसे मामलों की जांच करने का निर्देश दिया. मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश जयमाला बागची की खंडपीठ ने डिजिटल अरेस्ट के मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में तत्काल कदम उठाने की जरूरत है. सीबीआई को डिजिटल अरेस्ट से जुड़ी मिली शिकायत पर तत्काल कदम उठाना चाहिए, जबकि इससे जुड़े मामले की जांच बाद में हो सकती है. इस मामले के जांच में सीबीआई को खुली छूट देते हुए पीठ ने डिजिटल अरेस्ट के मामले में बैंक कर्मियों की भूमिका के जांच प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत करने को कहा. 


पीठ ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को भी डिजिटल अरेस्ट के मकसद से खुले बैंक खातों की जांच के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग टूल के जरिये फर्जी खातों की पहचान करने में मदद करने का आदेश दिया. पीठ ने इस मामले में राज्यों को भी सीबीआई जांच के लिए मंजूरी देने को कहा. साथ ही फोन उपभोक्ता कंपनियों को ऐसे नंबरों के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया, जिसका उपयोग फर्जी लेन-देन में किया गया है. मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी. मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि इस मामले में वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है और यह सबसे गंभीर चिंता का विषय है. 


अन्य साइबर अपराध पर भी विचार करेगा शीर्ष अदालत

खंडपीठ ने एक ही नाम से कई सिम कार्ड जारी होने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि मोबाइल उपभोक्ता कंपनियों को सिम कार्ड का दुरुपयोग रोकने के लिए एक मानक तय करना होगा. अगली सुनवाई के दौरान टेलीकॉम उपभोक्ता कंपनियों को इस बाबत एक प्रोटोकॉल पेश करने का निर्देश दिया. अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के साइबर अपराध यूनिट को सही तरीके से काम करने की बात कही और कहा कि अगर उनके काम में कोई बाधा आ रही है तो वे इसकी जानकारी अदालत के सामने पेश करें.


अदालत ने डिजिटल अरेस्ट और साइबर अपराध से निपटने के लिए सुझाव देने वाले लोगों को एमिकस क्यूरी के समक्ष अपनी बात रखने को कहा. गौरतलब है कि अदालत ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि डिजिटल अरेस्ट के नाम पर लगभग 2500 करोड़ रुपये की ठगी हो चुकी है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मौजूदा सुनवाई सिर्फ डिजिटल अरेस्ट को लेकर है, लेकिन आने वाले समय में साइबर अपराध से जुड़े अन्य मामलों की सुनवाई उससे होने वाले असर के आधार पर की जा सकती है. 

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