कोरोना त्रासदी : मनरेगा में मजदूरी करने को मजबूर हैं शिक्षक, कभी मिलता था 20,000 वेतन, अब 235 रुपये में काट रहे मिट्टी

राजस्‍थान के जयपुर के पास आसलपुर जोबनेर गांव में M.A., B.Ed करे हुए कुछ शिक्षक मनरेगा में मजदूरी करने को मजबूर हैं. अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए ये लोग 220 और 235 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी कर रहे हैं.

By ArbindKumar Mishra | May 28, 2020 4:55 PM

जयपुर : कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले लिया है. इस महामारी से अब तक पूरी दुनिया में करीब 55 लाख से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं, तो साढे तीन लाख से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है. कोरोना संकट के कारण कई देशों की आर्थिक हालात पूरी तरह से खराब हो चुके हैं. लोगों के पास काम नहीं है, पैसे नहीं हैं. दो वक्‍त की रोटी के लिए लोग तरस रहे हैं. कोरोना के कारण न केवल लोगों की मौत हो रही है, बल्कि घर, परिवार से लेकर मुंह से निवाला भी छीन गया है.

कोरोना संकट से अगर कोई वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हुआ है तो वो है गरीब, मजदूर वर्ग. काम की तलाश में एक राज्‍य से दूसरे राज्‍यों में जाने के लिए मजबूर मजदूरों के पास अब काम नहीं है और मजबूरी में उन्‍हें जैसे-तैसे अपने घर लौटने पड़ रहे हैं. उनके लिए तो ‘एक और कुंआ, तो दूसरी ओर खाई’ वाली स्थ‍िति हो गयी है. इतिहासकार और अर्थशास्त्री रामचंद्र गुहा ने भी इस संकट को ‘सबसे बड़ी मानव निर्मित त्रासदी’ बताया है. उन्‍होंने कहा, कोरोना वायरस से निपटने के लिए लागू लॉकडाउन के कारण लाखों गरीब लोग जिस संकट से जूझ रहे हैं, वह भारत में बंटवारे के बाद ‘सबसे बड़ी मानव निर्मित त्रासदी’ है.

कोरोना काल में गरीबी का भयंकर मंजर कभी किसी ने कल्‍पना भी नहीं की होगी. राजस्‍थान से एक ऐसी खबर आ रही है जिसे जानकर दंग रह जाएंगे. दरअसल कोरोना वायरस महामारी के चलते देश में स्कूल बंद हैं, वैसे में राजस्‍थान के एक गांव के शिक्षकों को घर का खर्च पूरा करने के लिए मनरेगा में मजदूरी करना पड़ रहा है.

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राजस्‍थान के जयपुर के पास आसलपुर जोबनेर गांव में M.A., B.Ed करे हुए कुछ शिक्षक मनरेगा में मजदूरी करने को मजबूर हैं. अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए ये लोग 220 और 235 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी कर रहे हैं.

हिन्दी के शिक्षक रामअवतार सिंह ने बताया, स्कूल में मुझे 20,000 वेतन मिलता था, यहां मुझे 235 रुपये प्रतिदिन मिलते हैं. उन्‍होंने कहा, इस योजना के तहत काम करने से हमें संकट के इस समय में राहत मिली है और हम इसके लिए राज्य सरकार के आभारी हैं. मैं प्रति माह 20,000 रुपये कमाता था और अब मैं एक दिन में 235 रुपये कमाता हूं.

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मालूम हो देश में कोरोना संक्रमण के कारण दो महीने से पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया है, जिसमें स्‍कूल-कॉलेजों को खोलने की मंजूरी नहीं मिली है. अभी ऐसी ही स्थिति आगे भी रहने की उम्‍मीद की जा रही है.

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