Explainer : कांग्रेस ने भारत को दिया पहला मुस्लिम और दलित राष्ट्रपति, अब भाजपा देगी पहली आदिवासी महिला

आगामी 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू जीत हासिल करती हैं, तो वह भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी. वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनी थीं. एक महिला राज्यपाल के तौर पर उन्होंने वर्ष 2015 से लेकर 2021 तक कार्य किया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 18, 2022 10:44 AM

नई दिल्ली : भारत में राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रचार कार्य जोरों पर है. भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से झारखंड की पूर्व राज्यपाल और आदिवासी समुदाय की नेता द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया गया है. वहीं, विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को साझा उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा है. देश में 18 जुलाई को राष्ट्रपति का चुनाव कराया जाएगा. झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और शिवसेना का समर्थन हासिल होने के बाद राजनीतिक दलों के हिसाब से द्रौपदी मुर्मू के वोटों की हिस्सेदारी 60 फीसदी से अधिक पहुंच गई है. इससे उनकी जीत पक्की मानी जा रही है. अगर द्रौपदी मुर्मू चुनाव जीत जाती हैं, तो उन्हें देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल होगा. इसमें अहम बात यह है कि इससे पहले कांग्रेस के नाम पहला मुस्लिम और दलित राष्ट्रपति देने का श्रेय है. अब भाजपा पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति देने जा रही है.

द्रौपदी मुर्मू को झारखंड की पहली राज्यपाल बनने का गौरव है हासिल

बता दें कि आगामी 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू जीत हासिल करती हैं, तो वह भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी. वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनी थीं. एक महिला राज्यपाल के तौर पर उन्होंने वर्ष 2015 से लेकर 2021 तक कार्य किया. द्रौपदी मुर्मू 2013 से 2015 तक भाजपा के एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य रह चुकी हैं. इसके बाद वर्ष 2010 और 2013 में मयूरभंज (पश्चिम) के भाजपा जिला प्रमुख के रूप में कार्य किया. वर्ष 2006 और 2009 के बीच वह ओडिशा में भाजपा के एसटी मोर्चा की प्रमुख थीं. वह 2002 से 2009 तक भाजपा एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य रहीं.

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कांग्रेस ने देश को दिया पहला दलित राष्ट्रपति

केआर नारायणन देश कांग्रेस के नेतृत्व में 17 जुलाई साल 1997 में देश के पहले दलित राष्ट्रपति बने थे. इसके पहले वो साल 1992 में उपराष्ट्रपति के पद पर भी रह चुके थे. नारायणन ने बताया था कि वह न तो कभी भी साम्यवाद के कट्टर समर्थक और ना ही कभी विरोधी नहीं रहे. वाम मोर्चा और नारायणन के विचारों में अन्तर होने के बाद भी वाम मोर्चा ने, उपराष्ट्रपति चुनाव और बाद में राष्ट्रपति चुनाव में के.आर. नारायणन को कुलकर समर्थन दिया. 17 जुलाई, 1997 वो ऐतिहासिक तिथी थी जब देश को पहला दलित राष्ट्रपति मिला था जिन्होंने अपने दमदार प्रतिद्वंदी पूर्व चुनाव आयुक्त टी.एन.शेषन करारी शिकस्त दी थी. इस चुनाव में नारायणन को 95 फीसदी मत हासिल हुए. शिव सेना के अतिरिक्त सभी दलों ने नारायणन के पक्ष में मतदान किया. इससे पहले देश में कोई भी दलित राष्ट्रपति नहीं बना था.

साल 1967 में कांग्रेस ने बनवाया पहला मुस्लिम राष्ट्रपति

13 मई 1967 को जाकिर हुसैन ने देश के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला था. आपको बता दें कि राष्ट्रपति बनने से पहले ही साल 1963 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका था. जाकिर हुसैन को एक बेहतरीन राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद, और सुलझे हुए व्यक्ति के तौर पर देश जानता है. वो देश के ऐसे पहले राष्ट्रपति थे जिनका निधन उनके कार्यकाल के दौरान ही हो गया था. जाकिर हुसैन ने यूपी के अलीगढ़ में साल 1920 में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की नींव रखी थी जो बाद में दिल्ली आ गया. जाकिर हुसैन और उनकी पत्नी दोनों को निधन के बाद जामिया परिसर में ही दफनाया गया था.

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