चीन का फुजियान और भारत का INS विक्रमादित्य युद्धपोत, जानिए कौन कितना है ताकतवर

फुजियान युद्धपोत चीन का सबसे उन्नत और पहला पूरी तरह से स्वदेशी नौसैनिक पोत है. चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा निर्मित तीसरे विमानवाहक पोत का वजन 80,000 टन से अधिक है. वहीं, आईएनएस विक्रमादित्य जो करीब डेढ़ साल बाद अपग्रेड होकर भारतीय नेवी में शामिल हो गया है.

By Agency | June 27, 2022 12:30 PM

चीन का सबसे आधुनिक युद्धपोत फुजियान बीते शुक्रवार को ही लॉन्च हो गया है. बताया जा रहा है कि यह बेहद खतरनाक और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस विमानवाहक पोत है. रक्षा क्षेत्र में चीन की बढ़ती ताकत अमेरिका के साथ-साथ भारत के लिए भी बड़ी खतरा है. फुजियान चीन का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली विमानवाहक पोत है. जो सीधे तौर पर अमेरिका की सामरिक क्षमता को चुनौती देता है. वहीं, बात करें भारत की तो भारत के पास आईएनएस विक्रमादित्य है, जो करीब डेढ़ साल बाद अपग्रेड होकर भारतीय नेवी में शामिल हो गया है.

फुजियान और भारत के आईएनएस विक्रमादित्य की तुलना: भारतीय नौसेना का सबसे विशाल विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य दुनिया के सबसे खतरनाक युद्धपोतों में शुमार है. इसे दुनिया के सबसे बड़े एयरक्राफ्ट कैरियर में भी शामिल किया जाता है. इसकी लंबाई करीब 283 मीटर है. इसे साल 2013 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था. अभी हाल में ही ये 18 महीने के अपग्रेडेशन के बाद फिर से नौसेना में शामिल हुआ है. इस पोत पर करीब 36 लड़ाकू विमान तैनात हो सकते हैं.

चीन का फुजियान युद्धपोत: फुजियान युद्धपोत चीन का सबसे उन्नत और पहला पूरी तरह से स्वदेशी नौसैनिक पोत है. चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा निर्मित तीसरे विमानवाहक पोत का वजन 80,000 टन से अधिक है और यह उन्नत उपकरणों से लैस है. ‘फुजियान’ चीन के पूर्वी तटीय प्रांत फुजियान का नाम है. चीन का पहला विमानवाहक पोत लियाओनिंग सोवियत युग के जहाज का एक परिष्कृत रूप है, जिसका जलावतरण 2012 में किया गया था और उसके बाद 2019 में दूसरे विमानवाहक पोत ‘शेडोंग’ का जलावतरण किया गया था जो स्वदेश में निर्मित था.

गौरतलब है कि, चीन अपनी नौसेना का तेजी से आधुनिकीकरण कर रहा है, जिसमें नए विमानवाहक पोतों का निर्माण भी शामिल है. चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के अलावा सेना के भी प्रमुख हैं. उन्होंने सेना में व्यापक सुधार किए हैं, जिनमें थल सेना के आकार को कम करना और नौसेना तथा वायु सेना की भूमिका को बढ़ाना शामिल हैं. वहीं, चीन वैश्विक विस्तार के मद्देनजर अफ्रीका में हॉर्न के जिबूती में सैन्य ठिकाने स्थापित कर रहा है. चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह को 99 साल के पट्टे पर भी लिया है और अरब सागर में पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का विस्तार और आधुनिकीकरण किया है.

Next Article

Exit mobile version