Aayush: पारंपरिक चिकित्सा पर जारी ‘दिल्ली घोषणापत्र’ से इनोवेशन और रिसर्च को मिलेगा बढ़ावा

पारंपरिक चिकित्सा पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दूसरे वैश्विक शिखर सम्मेलन के मौके पर 'दिल्ली घोषणा पत्र' जारी किया गया. इससे एकीकृत चिकित्सा का एक नया अध्याय शुरू हुआ है. इस घोषणा पत्र ने पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा में उभर कर सामने आये नये साक्ष्य को समाहित करने पर विशेष फोकस दिया गया.

By Vinay Tiwari | December 29, 2025 6:26 PM

Aayush: देश में पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए है. पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को आधुनिक बनाने के लिए इनोवेशन और रिसर्च पर विशेष जोर दिया जा रहा है. पारंपरिक चिकित्सा पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दूसरे वैश्विक शिखर सम्मेलन के मौके पर ‘दिल्ली घोषणा पत्र’ जारी किया गया. इससे एकीकृत चिकित्सा का एक नया अध्याय शुरू हुआ है. पारंपरिक चिकित्सा को सुरक्षित, प्रभावी और साक्ष्य-आधारित तौर पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली खासकर प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के जरिये सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज पर जोर दिया गया है. इस घोषणा पत्र ने पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा में उभर कर सामने आये नये साक्ष्य को समाहित करने पर विशेष फोकस दिया गया. 


हाल में दिल्ली में केंद्रीय आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित पारंपरिक चिकित्सा के सम्मेलन में 100 से अधिक देशों के स्वास्थ्य नीति निर्माताओं, विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और पारंपरिक चिकित्सा के अन्य हितधारकों के सहयोग से दिल्ली घोषणा पत्र तैयार किया गया है. इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा, आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं राज्य मंत्री, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय प्रतापराव जाधव मौजूद रहे. 


दिल्ली घोषणा पत्र में किन मुद्दों को मिली है तरजीह


सम्मेलन में शामिल देशों ने पारंपरिक चिकित्सा के लिए कठोर, नैतिक और बहु-पक्षीय शोध को बढ़ावा देने का संकल्प लिया, जिसमें परंपरागत ज्ञान के साथ वैज्ञानिक मानकों का संतुलन स्थापित करने की बात कही गयी है. वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा पुस्तकालय जैसे संसाधनों से शोध, डेटा और नीति-दस्तावेज उपलब्ध होंगे. सुरक्षा और गुणवत्ता के लिए सुसंगत, जोखिम-आधारित विनियमन स्थापित करने पर जोर दिया गया है ताकि पारंपरिक चिकित्सा उत्पादों, प्रक्रियाओं और प्रशिक्षकों के मानक स्पष्ट और भरोसेमंद हों. पारंपरिक चिकित्सा को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों में शामिल करने खासकर प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्तर पर जहां से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की नींव रखी जाती है. 


इसका लक्ष्य है कि पारंपरिक चिकित्सा को सुरक्षित, प्रभावी रूप से स्वास्थ्य सेवाओं का हिस्सा बनाया जाए, जिससे लोगों को स्थानीय स्तर पर अधिक विकल्प और सुलभ स्वास्थ्य सहायता मिल सके. इसके अलावा डिजिटल तकनीकों, डेटा विज्ञान और नवाचार जैसे एआई, जीनोमिक्स का प्रयोग कर पारंपरिक चिकित्सा के शोध और डेटा तक पहुंच को बेहतर बनाने पर जोर दिया गया ताकि वैश्विक स्तर पर ज्ञान साझा करने और स्वास्थ्य प्रणालियों में पारदर्शिता बढ़ाने में मदद मिल सके. दिल्ली घोषणा पत्र को पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के स्वास्थ्य प्रणालियों में एकीकरण के लिए अहम माना जा सकता है. वैश्विक स्तर पर आधुनिक चिकित्सा और पारंपरिक चिकित्सा के एकीकरण से आम लोगों को फायदा होगा.