AAYUSH: ट्रेडिशनल मेडिसिन पर ग्लोबल समिट की मेजबानी करेगा भारत
ट्रेडिशनल मेडिसिन पर दूसरे डब्लूएचओ ग्लोबल समिट की मेजबानी एक बार फिर से भारत करेगा. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) और भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस इस शिखर सम्मेलन में इस बात पर चर्चा होगी कि पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियां, आम लोगों लिए हेल्थकेयर, यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज और सतत विकास में कैसे योगदान दे सकती हैं.
AAYUSH: ट्रेडिशनल मेडिसिन पर दूसरे डब्लूएचओ ग्लोबल समिट की मेजबानी एक बार फिर से भारत करेगा. करेगा. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) और भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस इस शिखर सम्मेलन में दुनिया भर से नीति-निर्माता, वैज्ञानिक, पारंपरिक चिकित्सा विशेषज्ञ, स्वदेशी ज्ञान धारक और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे. तीन दिवसीय यह सम्मेलन 17 से 19 दिसंबर 2025 तक नयी दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है.
ग्लोबल समिट की थीम “रिस्टोरिंग बैलेंस: द साइंस एंड प्रैक्टिस ऑफ़ हेल्थ एंड वेल-बीइंग” रखी गई है. ऐसे समय में जब वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियां असमानता, पर्यावरणीय दबाव और बढ़ती पुरानी बीमारियों की चुनौतियों से जूझ रही हैं, यह सम्मेलन पारंपरिक चिकित्सा की भूमिका को विज्ञान, प्रमाण और जिम्मेदार प्रैक्टिस के आधार पर फिर से स्थापित करने का प्रयास करेगा.
अंतरराष्ट्रीय स्तर के 170 से ज्यादा विशेषज्ञ अपने विचार करेंगे साझा
शिखर सम्मेलन में इस बात पर चर्चा होगी कि पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियां, आम लोगों लिए हेल्थकेयर, यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज और सतत विकास में कैसे योगदान दे सकती हैं. सत्रों में पारंपरिक चिकित्सा को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों में सुरक्षित, प्रभावी और नैतिक तरीके से शामिल करने से जुड़े नीति, इनोवेशन और उभरते प्रमाणों पर फोकस रहेगा.
शिखर सम्मेलन में हेल्थ सिस्टम को अधिक सुरक्षित, संतुलित और लचीला बनाने, मजबूत नियामक ढांचे, गुणवत्ता आश्वासन, डेटा, जवाबदेही और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी डिजिटल तकनीकों के जिम्मेदार उपयोग पर भी व्यापक चर्चा होगी. साथ ही स्वदेशी और पारंपरिक ज्ञान, जैव विविधता संरक्षण और मूल निवासियों के अधिकारों को सम्मान देने पर विशेष जोर रहेगा.
गौरतलब है कि पहला डब्लूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन समिट वर्ष 2023 में गुजरात के गांधीनगर में आयोजित हुआ था. नयी दिल्ली में होने वाला यह दूसरा सम्मेलन पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडे का अहम हिस्सा बनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.
