सुप्रीम कोर्ट का इनकार : घाटी में जब तक नहीं रुकेगी पत्थरबाजी, नहीं लगायी जा सकती पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक

नयी दिल्ली : घाटी में सेना की ओर से पत्थरबाजों के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली पैलेट गन पर रोक लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कश्मीर में हिंसा खत्म होने की गारंटी के बिना पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगायी जा सकती. शीर्ष अदालत ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 29, 2017 8:55 AM

नयी दिल्ली : घाटी में सेना की ओर से पत्थरबाजों के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली पैलेट गन पर रोक लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कश्मीर में हिंसा खत्म होने की गारंटी के बिना पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगायी जा सकती. शीर्ष अदालत ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से घाटी में होने वाली पत्थरबाजी और हिंसक प्रदर्शन जैसी समस्या का हल निकालने के लिए कश्मीर के लोगों और अन्य हितधारकों से बातचीत कर सुझाव देने को कहा है.

इसे भी पढ़िये : पैलेट गन के विकल्प तलाशने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन

वहीं, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को साफ लहजे में बता दिया है कि वह कश्मीर मसले पर अलगाववादियों या ‘आजादी’ मांगने वालों से वार्ता नहीं कर सकती. सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह केवल संविधान में विश्वास रखने वाले राजनीतिक दलों और मान्यता प्राप्त प्रतिनिधियों से ही बातचीत करेगी. सरकार ने यह भी साफ किया कि सीमावर्ती राज्य होने के कारण जम्मू-कश्मीर से सुरक्षा बलों को नहीं हटाया जा सकता.

इसे भी पढ़िये : घाटी में पत्थरबाजों पर काबू करने के लिए सेना ने बनायी योजना, जानिये क्या है प्लान…

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक कश्मीर घाटी में हिंसक प्रदर्शन और पत्थरबाजी जारी रहेगी, तब तक पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगायी जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से कहा है कि वह दो हफ्ते के लिए सुरक्षा बलों को पैलेट गन के इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगा सकता है, लेकिन शर्त यह है कि आप शपथ दीजिए कि वहां पत्थरबाजी नहीं होगी.

वहीं, केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष कहा कि कश्मीर की हालिया समस्या को लेकर वह संवैधानिक दायरे में रहते हुए सिर्फ पंजीकृत राजनीतिक दलों के साथ बातचीत करने को तैयार है. उन्होंने साफ कहा कि वह अलगाववादियों से बातचीत के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इस मसले पर हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के बीच बातचीत हुई है.

पीठ ने केंद्र सरकार को स्पष्ट किया कि कोर्ट इस मामले में खुद को तभी शामिल करेगा. यदि ऐसा लगे कि वह इसमें कोई भूमिका निभा सकता है और इसमें किसी तरह का क्षेत्राधिकार का संकट उत्पन्न नहीं होगा. पीठ ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि यदि आपको लगता है कि कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है और यह हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, तो हम अभी के अभी इस मामले को सुनना बंद कर देंगे.

Next Article

Exit mobile version