भारत की चीन को खरी-खरी, कहा- आतंक के खिलाफ जमीनी स्‍तर पर करो कार्रवाई

नयी दिल्ली/बीजिंग : भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर चीन के रूख की सराहना की और साफतौर पर कहा कि सिर्फ कहने से काम नहीं चलने वाला है, बल्कि चीन को जमीनी स्‍तर पर इसके खिलाफ कार्रवाई करनी होगा. दोनों देशों ने अपने मौजूदा मतभेदों को सुलझाने के लिए चल रही व्यस्त बातचीत के बीच […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 22, 2017 10:43 AM

नयी दिल्ली/बीजिंग : भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर चीन के रूख की सराहना की और साफतौर पर कहा कि सिर्फ कहने से काम नहीं चलने वाला है, बल्कि चीन को जमीनी स्‍तर पर इसके खिलाफ कार्रवाई करनी होगा. दोनों देशों ने अपने मौजूदा मतभेदों को सुलझाने के लिए चल रही व्यस्त बातचीत के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए आज रणनीतिक वार्ता की.

एनएसजी में सदस्यता को लेकर भारत की दावेदारी और जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध को समर्थन देने को लेकर बीजिंग की अनिच्छा के कारण दोनों देशों के बीच मतभेद चल रहा है. इस वार्ता से ठीक पहले विदेश सचिव एस जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत की.

वांग ने वार्ता के सह-अध्यक्ष जयशंकर का स्वागत करते हुए कहा कि चीन और भारत दुनिया में अहम राष्ट्र होने के अलावा दो बडे विकासशील देश और उभरते बाजार हैं. आज की वार्ता से पहले दोनों ओर के अधिकारियों द्वारा महत्वपूर्ण मुद्दों पर की गई उच्च स्तरीय वार्ताओं का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, कि हमें अक्सर बैठकें करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आधिकारिक स्तर की बैठकों ने ‘सफल रणनीतिक वार्ता’ के लिए बहुत अच्छी नींव रखी है. उन्होंने कहा कि चीनी पक्ष इस वार्ता को महत्व देता है.

वांग ने कहा, कि मुझे यकीन है कि इस रणनीतिक वार्ता का स्तर बढाकर दोनों ही पक्ष अपने रणनीतिक संवाद को बढाने, गलतफहमियां कम करने, अधिक विश्वास बनाने और हमारे रणनीतिक सहयोग को गहराने में समर्थ होंगे. उन्होंने कहा, कि इस तरह हम अपने द्विपक्षीय संबंधों की क्षमताओं का बेहतर ढंग से दोहन कर सकते हैं और अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर सकते हैं.

जयशंकर ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, कि यह पहली बार है, जब नए सिरे से शुरू हुई रणनीतिक वार्ता हो रही है.

दोनों देशों को जी20, शंघाई सहयोग संगठन, ब्रिक्स और पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन का सदस्य बताते हुए वांग ने कहा कि इससे ‘‘हमें और अधिक मुद्दों पर अधिक साझा जमीन तलाशने में मदद मिलेगी।’ बाद में, जयशंकर ने चीन के कार्यकारी उप विदेश मंत्री झांग येसुई के साथ रणनीतिक वार्ता की. जयशंकर ने वार्ता में अपने संबोधन की शुरुआत में कहा, कि हमने वास्तव में अपने संबंधों के द्विपक्षीय आयाम को आगे बढाया है. भारत और चीन के बीच जो कुछ भी होता है, वह वैश्विक और क्षेत्रीय तौर पर महत्व रखता है.

उन्होंने कहा, कि हमारा आकलन है कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों में कई वर्षों से एक सतत गति आई है. हमारी नेतृत्व स्तर की बैठकें नियमित रुप से आयोजित हो रही हैं और हमारा आर्थिक जुडाव बढ रहा है. हम कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सहयोग कर रहे हैं और हमारे सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनी हुई है.’

उन्होंने कहा, कि कुल मिलाकर एक करीबी विकास साझेदारी सामने आ रही है. मतभेदों का हवाला देते हुए जयशंकर ने कहा, कि कुछ ऐसे स्वाभविक मुद्दे हैं, जो पडोसियों के बीच होते हैं और इनसे निपटने की जिम्मेदारी दोनों ही देशों पर है. झांग ने कहा, कि मैं चाहता हूं कि हम अपने देशों के लिए महत्व रखने वाले सभी मुद्दों पर चर्चा करें.

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