टूटा 20 साल का रिकार्ड, मोदी सरकार ने हटाये दो IPS ऑफिसर

नयी दिल्ली: सरकार ने दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को ‘‘काम में कोताही करने’ के कारण बर्खास्त कर दिया है. ऐसी कार्रवाई करीब दो दशक बाद की गई है. गहन आकलन में पाया गया कि कथित तौर पर ‘‘काम में कोताही करने’ के कारण वे सेवा में बने रहने ‘‘योग्य नहीं’ हैं. गृह मंत्रालय के एक […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 17, 2017 9:27 PM

नयी दिल्ली: सरकार ने दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को ‘‘काम में कोताही करने’ के कारण बर्खास्त कर दिया है. ऐसी कार्रवाई करीब दो दशक बाद की गई है. गहन आकलन में पाया गया कि कथित तौर पर ‘‘काम में कोताही करने’ के कारण वे सेवा में बने रहने ‘‘योग्य नहीं’ हैं. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र शासित प्रदेश कैडर के 1998 बैच के अधिकारी मयंक शील चौहान और छत्तीसगढ कैडर के 1992 बैच के अधिकारी राजकुमार देवांगन को अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु सह सेवानिवृत्ति लाभ) नियम 1958 के तहत ‘‘समय से पहले सेवानिवृत्ति’ दे दी गई है.

दोनों अधिकारियों के सेवा प्रदर्शन की विस्तृत समीक्षा के बाद ‘‘जनहित’ में यह कार्रवाई की गई है. दोनों की सेवा के 15 वर्ष पूरे हो चुके हैं. अधिकारी ने बताया, ‘‘आईपीएस अधिकारियों के प्रदर्शन की समीक्षा काम में कोताही करने वाले अधिकारियों को बाहर करने के लिए की गई थी.’ अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की दो बार सेवा समीक्षा की जाती है. पहली सेवा के 15 वर्ष पूरा होने पर और फिर 25 वर्ष पूरा होने पर.

अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु सह सेवानिवृत्ति लाभ) नियम 1958 के मुताबिक, ‘‘केंद्र सरकार संबंधित राज्य सरकार के साथ विचार विमर्श कर और सेवा के सदस्य को कम से कम तीन महीने पहले लिखित नोटिस देकर या इस तरह के नोटिस के बदले तीन महीने के वेतन और भत्ते का भुगतान कर जनहित में सदस्य को सेवानिवृत्त कर सकती है.

भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों की इस तरह बर्खास्तगी करीब दो दशक बाद सामने आई है. इससे पहले दो आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ इसी तरह के कदम उठाए गए थे जो उस समय महाराष्ट्र में सेवारत थे.पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी चौहान के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के कई आरोप थे. उन पर आरोप था कि अरुणाचल प्रदेश में पदस्थापना के दौरान किसी को अधिकृत किए बगैर वह सेवा से अनुपस्थित रहे.पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी देवांगना 1998 के एक लूट मामले में विभागीय जांच का सामना कर रहे थे जो छत्तीसगढ के जांजगीर..चम्पा जिले में पुलिस अधीक्षक के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान हुआ था

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