भारत-अमेरिका के बीच रक्षा,व्यापार समेत कई मुद्दों पर अहम समझौते

वाशिंगटन: भारत और अमेरिका ने द्विपक्षीय सामरिक संबंधों को बढ़ावा देते हुए एक महत्वपूर्ण साजो -सामान आदान प्रदान करार पर हस्ताक्षर किये हैं जिससे दोनों देशों की सेनाएं उपकरणों की मरम्मत एवं आपूर्ति के लिए एक दूसरे की सुविधाओं एवं ठिकानों का उपयोग कर सकेंगी. इससे उनके संयुक्त अभियानों की दक्षता में इजाफा होगा. रक्षा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 30, 2016 10:51 PM

वाशिंगटन: भारत और अमेरिका ने द्विपक्षीय सामरिक संबंधों को बढ़ावा देते हुए एक महत्वपूर्ण साजो -सामान आदान प्रदान करार पर हस्ताक्षर किये हैं जिससे दोनों देशों की सेनाएं उपकरणों की मरम्मत एवं आपूर्ति के लिए एक दूसरे की सुविधाओं एवं ठिकानों का उपयोग कर सकेंगी. इससे उनके संयुक्त अभियानों की दक्षता में इजाफा होगा.

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर एवं अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने ‘‘साजोसामान आदान प्रदान सहमति करार (एलईएमओए)” पर हस्ताक्षर किये. उन्होंने कहा कि इससे व्यावहारिक संबंध एवं आदान प्रदान के लिए अवसर का सृजन होगा.पेंटागन में कल कार्टर के साथ बातचीत के बाद आज उनके साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पर्रिकर ने स्पष्ट किया कि ‘‘भारत में किसी तरह का बेस बनाने या बेस बनाने के लिए किसी तरह की गतिविधि संचालित करने का कोई प्रावधान नहीं है.” एलईएमओए से भारत एवं अमेरिका के बीच साजोसामान सहयोग, आपूर्ति एवं सेवाओं का उनकी पुन:पूर्ति के आधार पर प्रावधान होगा तथा उन्हें संचालित करने के लिए एक प्रारुप भी मुहैया कराया जाएगा.
इसमें खाना, पानी, आवास, परिवहन, पेट्रोलियम, तेल, ल्यूब्रिकेंट, परिधान, चिकित्सा सेवाएं, कलपुर्जे एवं उपकरण, मरम्मत एवं देखभाल सेवाएं, प्रशिक्षण सेवाएं तथा अन्य साजोसामान की वस्तुएं एवं सेवाएं शामिल हैं.करार पर हस्ताक्षर होने के बाद एक संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘वे इस बात पर सहमत हुए कि यह प्रारुप रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार सहयोग में अभिनव एवं आधुनिक अवसरों के अवसर मिलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. अमेरिका इस संबंध में भारत के साथ रक्षा व्यापार एवं प्रौद्योगिकी साझेदारी को उस स्तर पर ले जाने के लिए सहमत हुआ है जो उसके नजदीकी सहयोगी एवं भागीदारों को प्राप्त है.”
बयान के अनुसार दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध उनके ‘‘साझा मूल्यों एवं हितों” तथा ‘‘वैश्विक शांति एवं सुरक्षा के प्रति उनकी स्थायी प्रतिबद्धता” पर आधारित हैं.पर्रिकर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इसका :समझौते का: सैन्य अड्डा स्थापना से कुछ लेना देना नहीं है. यह मूल रुप से एकदूसरे के बेडे के लिए साजोसामान सहयोग को लेकर है जैसे ईंधन आपूर्ति, संयुक्त अभियानों, मानवीय सहायता एवं अन्य राहत अभियानों के लिए जरुरी अन्य कई चीजों की आपूर्ति” उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए यह मूलरुप से सुनिश्चित करेगा कि दोनों नौसेनाएं उन संयुक्त अभियानों और अभ्यासों में एकदूसरे की सहयोगी हों जिन्हें हम संचालित करते हैं.” अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा कि एलईएमओए दोनों देशों के साथ में काम करने में बडी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
कार्टर ने कहा कि समझौता दोनों की सेनाओं के बीच संयुक्त अभियानों को साजोसामान के हिसाब से आसान एवं कुशल बनाएगा.कार्टर ने समझाया, ‘‘यह समझौता हमारे लिए साथ काम करना संभव और आसान बनाएगा जब हम इसका चयन करेंगे. यह स्वयं ही नहीं करेगा…वे समझौते…वे ऐसी चीजें हैं जिस पर दोनों सरकारों को मामला दर मामला के आधार पर सहमत होना होगा. लेकिन जब वे सहमत होंगे, यह समझौता चीजों को आसान करेगा एवं कुशल संचालन करेगा।” उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरी तरह से परस्पर है. दूसरे शब्दों में हम एकदूसरे को इस समझौते के तहत पूरी तरह से समान एवं आसान पहुच मुहैया कराते हैं. यह किसी तरह का आधार समझौता नहीं है लेकिन यह संयुक्त अभियानों के साजोसामान तंत्र को अधिक आसान एवं कुशल बनाता है.”
संयुक्त साइबर रुपरेखा पर सहमत हुए भारत, अमेरिका
आतंकवाद निरोधक कार्रवाई पर सहयोग बढाते हुए भारत और अमेरिका ने आज एक संयुक्त साइबर रुपरेखा पर तथा आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद से लडने में खुफिया सूचनाओं की साझेदारी तेज करने पर सहमति जताई.विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी के साथ दूसरे भारत-अमेरिका रणनीतिक और व्यावसायिक संवाद के बाद कहा कि दोनों देशों ने आतंकवाद निरोधक सहयोग मजबूत करने के लिए अतिरिक्त कदम उठाने पर सहमति जताई.
कैरी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘‘हमने आतंकवाद निरोधक सहयोग को मजबूत करने पर और विशेष रुप से ज्ञात या संदिग्ध आतंकवादियों पर सूचनाओं के आदान-प्रदान पर सहमति के जल्द क्रियान्वयन के लिए अतिरिक्त कदम उठाने पर सहमति जताई।” अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों पक्ष संयुक्त साइबर रुपरेखा के प्रति प्रतिबद्ध हैं.
अमेरिका का भारत को आश्वासन: वीजा शुल्क को लेकर चिंताओं पर विचार करेंगे
अमेरिका ने आज भारत को आश्वासन दिया कि वह वीजा शुल्क में वृद्धि के बारे में उसकी चिंताओं पर विचार करेगा। इससे पहले भारत ने सामाजिक सुरक्षा समझौते तथा वीजा शुल्क वृद्धि के मुद्दों का ‘उचित व भेदभावरहित समाधान’ ढूंढने की अमेरिका से मांग की थी.अमेरिका ने हालांकि यह भी कहा है कि वीजा शुल्क में वृद्धि भारतीय पेशेवरों को लक्षित नहीं है और यह व्यापक नीतिगत बदलाव का हिस्सा है.भारत-अमेरिका रणनीतिक व वाणिज्यिक संवाद के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि उन्होंने एच1बी तथा एल1 वीजा के शुल्क में हाल ही की बढोतरी तथा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में अंशदान :टोटलाइजेशन: संबंधी मुद्दों के समाधन के लिए विदेश मंत्री जॉन कैरी का समर्थन मांगा है.
उन्होंने कहा कि इन मुद्दों ने हमारी जनता की आवाजाही को प्रभावित किया है. यह आवाजाही हमारे रिश्तों की ताकत का महत्वपूर्ण स्रोत है. ‘ अमेरिका की वाणिज्य मंत्री पेन्नी प्रिट्जकर ने वीजा संबंधी सवाल पर कहा कि भारतीय प्रमुख ‘लाभान्वितों’ में से एक है क्योंकि पिछले साल लगभग 69 प्रतिशत यूएस एच1बी वीजा व 30 प्रतिशत एल1 वीजा उन्हें जारी किए गए.संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कैरी, स्वराज व वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद थीं.उन्होंने कहा, ‘‘एच1बी व एल1 वीजा आवेदनों में जो भी बदलाव किए गए हैं…वे भारतीय नागरिकों को लक्षित या केवल उन तक सीमित नहीं हैं. ये व्यापक बदलाव हैं.” उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय उद्योग की चिंताओं को देखते हुए मैंने मंत्री :निर्मला: सीतारमण से इस पर विचार करने तथा उन्हें सूचित करने की प्रतिबद्धता जताई है
सीतारमण ने कहा कि वीजा का मुद्दा भारत-अमेरिका रणनीतिक व वाणिज्यिक संवाद तथा सीईओ मंच की बैठक में उठा.उन्होंने कहा, ‘‘मंत्री प्रिट्जकर खुद आगे आयीं और उन्होंने उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ कुछ समय बिताया और उसके बाद कहा कि वे इस मुद्दे पर निश्चित तौर पर विचार करेंगी.निर्मला ने कहा, ‘‘इस बारे में हमारी सरकार की चिंताओं को पहले भी अवगत कराया जा चुका है और हम उम्मीद करते हैं कि हमारे व्यापार पर प्रतिकूल असर डाल सकने वाले ये कदम टाले जा सकते हैं.” यह बयान इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत ने अमेरिका द्वारा वीजा शुल्क बढाने के मुद्दे को एक बार फिर उठाया है. अस्थाई कामकाजी वीजा पर उंचा शुल्क लगाने के अमेरिका के फैसले के खिलाफ भारत सरकार ने डब्ल्यूटीओ में एक मामला भी दर्ज कराया है

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