विपक्ष को मोदी का संदेश : देश मनतंत्र नहीं जनतंत्र से चलता है

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज समाचार पत्र समूहकेएक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र की सबसे पहली अनिवार्यता है जागरूकता. जागरूकता के लिए हर प्रकार के प्रयास निरंतर आवश्यक होते हैं. जितनी मात्रा में जागरूकता बढ़ती है, उतनी मात्रा में समस्याओं का समाधान संभव हो पाता है. उन्होंने संसद के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 10, 2015 11:16 AM

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज समाचार पत्र समूहकेएक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र की सबसे पहली अनिवार्यता है जागरूकता. जागरूकता के लिए हर प्रकार के प्रयास निरंतर आवश्यक होते हैं. जितनी मात्रा में जागरूकता बढ़ती है, उतनी मात्रा में समस्याओं का समाधान संभव हो पाता है. उन्होंने संसद के सत्र में व्यवधान पर अफसोस प्रकट करते हुए कहा कि हमने गरीब व्यक्ति के बोनस के लिए एक कानून बनाया है, जिससे उनके सैलरी स्ट्रक्चर के हिसाब से उसमें संशोधन किया जाना है. उन्होंने कहा कि न्यूनतम बोनस इसके तहत साढ़े तीन हजार से बढ़ा कर सात हजार किया जाना है.

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की पहली आवश्यकता निरंतरता है. जाने अनजाने हमारे देश में लोकतंत्र का सीमित अर्थ रहा, चुनाव और मतदाताओं की पसंद. ऐसा लगने लगा कि चुनाव आया है तो पांच साल के लिए किसी को कांट्रेक्ट देना है, फिर पांच साल बाद दूसरे को ले आइए. लोकतंत्र अगर मतदान तक सीमित हो जाता है, सरकार तक सीमित हो जाता है, ताे वह पंगु हो जाता है. जनभागिदारी बढ़ने से लोकतंत्र मजबूत होता है. अत: अलग अलग तरीके से इसे बढ़ायें.

पीएम मोदी ने कहा, इस देश में आजादी के लिए मरने वालों की कोई कमी नहीं रही. देश जबसे गुलाम रहा कोई समय ऐसा नहीं रहा होगा जब देश के लिए मर मिटने वालों ने अपना नाम इतिहास में अंकित नहीं किया हो. उनमें जज्बा होता था, फिर कोई नया आता था. आजादी के आंदोलन के लिए मरने वालों का तांता निरंतर था. गांधी ने इस आजादी की ललक को जन आंदोलन में परिणत कर दिया. उन्होंने सामान्य आदमी को आजादी की लड़ाई का सिपाही बना दिया. एकाध वीर सिपाही से लड़ना अंग्रेजों के लिए आसान था. गांधी जी ने इसे सरल बना दिया. सूत कातने को भी आंदोलन बना दिया. शिक्षा देने से भी आजादी आ जायेगी, झाड़ू लगाओ आजादी आ जायेगी.

प्रधानमंत्री ने कहा, उन्होंने हर काम को राष्ट्र की आजादी से जोड़ दिया. फिर सत्याग्रह किया. उन्होंने समाज सुधार के हर काम को आजादी की लड़ाई का हिस्सा बना दिया. कोई बहुत बड़ा मैनेजमेंट का जानकार होगा, आंदोलन शास्त्र का जानकार होगा तो यह थिसिस बना कर दे सकता है, कि मुट्ठी भर आंदोलन बनाने से एक सल्तनत चली जायेगी. यह इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने आजादी को जन जन का आंदोलन बना दिया. अगर आजादी के बाद गांधी से प्रेरणा लेकर जन भागिदारी वाले विचार को लेकर आगे बढ़ा जाता तो सूरत अलग होती. आज तो यह धारणा है कि हर काम सरकार करेगी. गांधी जी का मॉडल था कि सारी जनता सबकुछ करेगी. अगर आजादी के बाद जन भागीदारी से विकास का मॉडल बनाया जाता, जनता के सहयोग से चलते थे विकास कई गुणा अधिक होता.

इसलिए यह जरूरी है कि हम भारत की विकास यात्रा को एक जन आंदोलन बनायें. मैं स्कूल में पढ़ाता हूं तो अच्छे से पढ़ाउंगा, अगर मैं रेलवे का कर्मचारी हूं तो रेल अच्छे से चलाउंगा, आप देखिए यह काम ऐसा है कि किसी भी सरकार व राजनेता के लिए इसे छूना सबसे बड़ा संकट मोल लेना होता है. उन्होंने कहा कि अब तक 52 लाख लोगों ने गैस सब्सिडी छोड़ा है, जो गरीबों को दी गयी और सब्सिडी छोड़ने वालों को बताया गया कि वह किसे दिया गया. मोदी ने कहा कि जन सामर्थ्य को स्वीकार करें, तभी वह सच्चे अर्थ में लोकतंत्र में परिणत होता है.

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में दो खतरे हैं मनतंत्र का और मनीतंत्र का. देश मनतंत्र से नहीं जनतंत्र से चलता है. इससे व्यवस्था नहीं चलती है. सितार में सारे तार ठीक होते हैं, तभी उससे ध्वनि आती है. पीएम मोदी ने कहा कि हम देखते हैं कि पत्रकारिता में एक मिशन मोड में चल रहा हैं. एडिटोरियाल लिखने वाले जेल में जाते थे. उन्होंने इलाहाबाद से निकलने वाला स्वराज अखबार का उदाहरण दिया कि संपादक चाहिए, तनख्वाह में दो सूखी रोटी, एक ग्लास पानी और संपादकीय छपने के बाद जेल मिलेगी. उन्होंने कहा कि हमारे देश में पत्र पत्रिकाओं ने हर समय कोई न कोई साकारात्मक भूमिका निभाई है. उन्होंने कहा कि कनाडा से गदर अखबार निकलता था, हिंदी, गुरुमुखी और उर्दू.

Next Article

Exit mobile version