आय से अधिक संपत्ति मामले में जयललिता बरी, समर्थकों में खुशी की लहर, फिर बन सकती हैं सीएम

बेंगलुरु : तमिलनाडु की पूर्व सीएमजे.जयललिता को आय से अधिक संपत्ति के मामले में राहत देते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है. कोर्ट ने जयललिता सहित अन्य चार दोषियों को भी बरी किया है. अदालत का यह फैसला मामले में तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री और उनकी सहयोगी शशिकला सहित तीन अन्य की ओर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 11, 2015 6:27 AM

बेंगलुरु : तमिलनाडु की पूर्व सीएमजे.जयललिता को आय से अधिक संपत्ति के मामले में राहत देते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है. कोर्ट ने जयललिता सहित अन्य चार दोषियों को भी बरी किया है. अदालत का यह फैसला मामले में तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री और उनकी सहयोगी शशिकला सहित तीन अन्य की ओर से दायर अपील पर आया है.

इधर जयललिता ने पार्टी के अगले कदम को लेकर मौजूदा मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम सहित पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ अपने निवास पर चर्चा शुरु कर दी है.चेन्नई के पोएस गार्डन स्थित ‘‘वेद निलयम’’ बंगले पर चल रही बैठक में पार्टी के शीर्ष पदाधिकारी शामिल हैं. पार्टी कार्यकर्ताओं ने बताया कि इस बारे में फैसला लिया जाना है कि जयललिता औपचारिक रुप से कब विधायक दल की नेता चुनी जाएंगी और कब मुख्यमंत्री बनेंगी.

एआइएडीएमके के समर्थक सुबह से ही जयललिता के आवास के बाहर जुटने लगे थे. चेन्नई में जगह-जगह उनके समर्थन में पोस्टर लगाये गये हैं. कोर्ट के बाहर मीडिया का जमवाड़ा लगा हुआ है. प्राप्त जानकारी के अनुसार सुबह जयललिता की अपील पर सुनवाई करते हुए जज के पैनल ने कहा ‘अपील अलाऊड’.

आज सुबह खचाखच भरी अदालत में फैसला सुनाते हुए न्याययमूर्ति सी आर कुमारस्वामी ने अन्नाद्रमुक प्रमुख की करीबी सहयोगी शशिकला नटराजन और उनके रिश्तेदारों जे एलावरासी और जयललिता के अलग हो चुके दत्तक पुत्र वी एन सुधाकरण को भी बरी कर दिया. निचली अदालत की ओर से अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली जयललिता और तीन अन्य की ओर से दायर अपील पर न्यायाधीश ने दिन में 11 बजे अपना फैसला सुनाया.

जयललिता के वरिष्ठ वकील बी कुमार ने अदालत कक्ष के बाहर संवाददाताओं से कहा कि तत्कालीन द्रमुक सरकार के द्वारा किया गया मामला अब खारिज हो गया है. उच्चतम न्यायालय द्वारा जयललिता और तीन अन्य की ओर से दायर अपील पर सुनवाई तीन महीने में पूरी करने की तारीख के खत्म होने के ठीक एक दिन पहले यह फैसला आया है. न्यायमूर्ति कुमारास्वामी की एकल न्यायाधीश की पीठ ने जब दंड प्रक्रिया संहिता के तहत अपना फैसला सुनाया तब जयललिता (67) अदालत में मौजूद नहीं थीं। आरोपी को केवल निचली अदालत में सुनवाई के वक्त मौजूद रहना होता है.

आपको बता दें राज्य में एक साल बाद ही विधानसभा चुनाव होने हैं. इस फैसले के बाद एआइएडीएमके समर्थकों में खुशी की लहर फैल गई है.फैसला आने के बाद जयललिता के समर्थक मिठाई बांटने लगे. पार्टी कार्यालय के बाहर कार्यकर्ता पटाखे जला रहे हैं. जयललिता के बरी होने की खबर मिलते ही संसद में मौजूद सांसदों की आंखें नम हो गयीं.

जयललिता की दलील

जयललिता ने अपनी दलील में तत्कालीन द्रमुक सरकार पर पर आरोप लगाया कि उसने जान-बूझकर संपत्ति का ज्यादा मूल्यांकन करवाया. जया ने दावा किया था कि उन्होंने आभूषण सहित तमाम संपत्ति कानूनी रूप से वैध तरीके से अर्जित की है.

क्या पड़ सकता है फैसले का असर

कोर्ट के इस फैसले के बाद एक बार फिर जयललिता के मुख्यमंत्री के तौर पर वापसी का मार्ग प्रशस्त हो गया है. जया का नेतृत्व विपक्ष के लिए झटका साबित होगा. यह भाजपा के लिए भी बुरी खबर है क्योंकि इससे विधानसभा चुनाव में पैर जमाने की उसकी उम्मीदों पर ग्रहण लग सकता है. इस फैसले के बाद अन्नाद्रमुक कार्यकर्ता दोगुने उत्साह से चुनाव की तैयारियों में लग जाएंगे और लोकसभा में जिस प्रकार से सीट पार्टी ने अर्जीत की थी उससे ज्यादा करने का प्रयास कार्यकर्ता करेंगे.

क्या है मामला

आय से अधिक संपति के मामले में पिछले साल सितंबर में निचली अदालत ने जयललिता को 4 साल की कैद के साथ 100 करोड़ के जुर्माना की सजा सुनाई थी. जिसके खिलाफ उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सजा सुनाए जाने के बाद उन्हें मुख्‍यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था और बाद में सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिल गयी थी जिसकी अवधि कल समाप्त हो रही थी. आज फैसला उनके पक्ष में आने से वे दोबारा राजनीति में सक्रिय हो जायेंगी. इस मामले में शशिकला समेत 3 अन्य पर 10-10 करोड़ का जुर्माना लगाया गया था.

कर्नाटक हाईकोर्ट परिसर के आस-पास कर्फ्यू

हाईकोर्ट में सुनवाई के मद्देनजर कोर्ट के आस-पास कर्फ्यू लगा दिया गया था. प्राप्त जानकारी के अनुसार कर्नाटक हाईकोर्ट परिसर के आस-पास सुबह 6 बजे से कर्फ्यू लगा दिया गया है जो रात 9 बजे तक लागू रहेगा. बताया जा रहा है कि जयललिता के समर्थकों की बड़ी संख्या में हाईकोर्ट पहुंचने की उम्मीद थी जिस कारण से प्रशासन की ओर से ऐसा किया गया.

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