जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए मौजूदा प्रावधानों का उपयोग करें : माकपा

नयी दिल्ली: धर्मांतरण मुद्दे पर भाजपा-आरएसएस पर दोमुंही बात करने का आरोप लगाते हुए माकपा ने आज कहा कि एक अलग धर्मांतरण रोधी कानून की जरुरत नहीं है क्योंकि जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने का प्रावधान भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत पहले से मौजूद है. पार्टी ने एक बयान में कहा, ‘‘भाजपा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 21, 2014 9:33 PM

नयी दिल्ली: धर्मांतरण मुद्दे पर भाजपा-आरएसएस पर दोमुंही बात करने का आरोप लगाते हुए माकपा ने आज कहा कि एक अलग धर्मांतरण रोधी कानून की जरुरत नहीं है क्योंकि जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने का प्रावधान भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत पहले से मौजूद है.

पार्टी ने एक बयान में कहा, ‘‘भाजपा और आरएसएस धर्मांतरण के बारे में बोल कर दोमुंही बात करने में शामिल हैं. आरएसएस संगठन अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए घर वापसी करा रहा है.’’ इसमें कहा गया है, ‘‘पोलित ब्यूरो ने मांग की है कि आरएसएस प्रायोजित घर वापसी अभियान कानून के प्रावधानों का उपयोग करते हुए प्रतिबंधित कर दिया जाए.’’ पार्टी ने कहा है कि ऐसे किसी कानून की जरुरत नहीं है क्योंकि संविधान का अनुच्छेद 25 ‘‘अंत:करण की और धर्म को अबाध रुप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता’’ मुहैया करता है.
पार्टी ने कहा है, ‘‘यदि कोई जबरन धर्मांतरण किया जाता है तो यह आईपीसी की धारा 153 ए के तहत आता है क्योंकि यह धर्म के नाम पर जबरदस्ती को अपराध के दायरे में लाता है.’’ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पर हमला बोलते हुए पार्टी ने कहा कि वह लोगों को अपने मूल धर्म में वापस लाने की कवायद ‘घर वापसी’ को उचित ठहरा रहे हैं. पार्टी ने कहा कि आगरा में घर वापसी प्रकरण ने इस बात का खुलासा कर दिया है कि किस तरह से झूठे आश्वासनों और प्रलोभन का उपयोग घर वापसी के लिए किया गया.
पार्टी के पोलित ब्यूरो ने कहा, ‘‘आरएसएस का जबरन धर्मांतरण के लिए अभियान और जबरन धर्मांतरण पर प्रतिबंध के लिए एक कानून बनाने की मांग करना, ये दोनों ही चीजें अल्पसंख्यकों के खिलाफ हैं. उसका मकसद साम्प्रदायिक विभाजन को और चौडा करने के लिए धर्मांतरण के मुद्दे का उपयोग करना है.’’ माकपा धर्मांतरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर राज्य सभा में चर्चा करने से भागने का आरोप लगाते हुए पहले ही कह चुकी है कि वह एक तरफा संचार का उपयोग किया करते हैं और किसी चीज का जवाब नहीं देते हैं. धर्मांतरण के मुद्दे ने राज्य सभा की कार्यवाही कई दिन बाधित की है क्योंकि एकजुट विपक्ष इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से जवाब की मांग कर रहा है.

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