महाराष्ट्र के महापौर चुनाव में भी जारी रह सकता है शिवसेना, भाजपा का टकराव

मुंबई : पारंपरिक विरोधी रही शिवसेना और कांग्रेस-राकांपा के बीच बदलते रिश्ते को देखते हुए महाराष्ट्र में आगामी महापौर चुनाव में कुछ रोचक परिदृश्य देखने को मिल सकता है और कम से कम कुछ नगर निकायों में भाजपा को दोबारा सत्ता में आने से रोकने के लिए ये दल आपस में हाथ मिला सकते हैं. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 20, 2019 5:31 PM

मुंबई : पारंपरिक विरोधी रही शिवसेना और कांग्रेस-राकांपा के बीच बदलते रिश्ते को देखते हुए महाराष्ट्र में आगामी महापौर चुनाव में कुछ रोचक परिदृश्य देखने को मिल सकता है और कम से कम कुछ नगर निकायों में भाजपा को दोबारा सत्ता में आने से रोकने के लिए ये दल आपस में हाथ मिला सकते हैं.

कुछ नगर निगमों में कांग्रेस और राकांपा शिवसेना के समर्थन से मजबूत स्थिति में आ सकती है जबकि कुछ में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिल सकता है. महाराष्ट्र में महापौर के चुनाव 22 नवंबर को होंगे.

अहमदनगर, नागपुर, पुणे, पिम्परी, चिंचवाड, लातूर, सांगली मिराज कुपवाड़, धुले, नवी मुंबई और नासिक में भाजपा के सत्ता पर कब्जा बरकरार रखने की संभावना है, जहां पार्टी मजबूत स्थिति में है.

गत 21 अक्तूबर के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद साझा करने के मुद्दे पर अपनी पुरानी सहयोगी भाजपा से अलग होने के बाद महाराष्ट्र में नया राजनीतिक समीकरण उभर रहा है.

शिवसेना अपनी पारंपरिक विरोधी राकांपा और कांग्रेस के साथ संबंध विकसित कर रही है. ये नये घटनाक्रम राज्य की राजनीति की रूपरेखा तय करेंगे.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने बुधवार को कहा कि संभावित राजनीतिक उलट-फेर और समीकरण इस बात पर निर्भर करता है कि तीनों दल राज्य स्तर पर सरकार के गठन को लेकर अपनी बातचीत में कैसे आगे बढ़ते हैं.

मंगलवार को राकांपा की सुरमंजीरी लाटकर कोल्हापुर नगर निगम की नयी महापौर बनीं जबकि कांग्रेस के संजय मोहिते को उपमहापौर चुना गया. मतदान के दौरान शिवसेना के चार पार्षद अनुपस्थित थे.

122 सदस्यीय नासिक नगर निगम (एनएमसी) में सत्तारूढ़ भाजपा के पास 65 पार्षद हैं, इसके बाद शिवसेना (34), राकांपा और कांग्रेस (दोनों के छह), मनसे (पांच), निर्दलीय (तीन) और आरपीआई-ए (एक) के पार्षद हैं.

खरीद-फरोख्त के खतरे से बचने के लिए सभी पार्टियों ने अपने-अपने पार्षदों को शहर के बाहर विभिन्न जगहों पर भेज दिया था. दो पार्षदों के विधायक चुने जाने के बाद एनएमसी में प्रभावी क्षमता 120 हो गयी है.

ऐसी अटकलें हैं कि भाजपा से महापौर पद छीनने के लिए शिवसेना राकांपा और कांग्रेस के साथ हाथ मिला सकती है. ऐसे परिदृश्य में मनसे की भूमिका अहम होने की संभावना है.

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