छह महीने में बच्चियों के साथ रेप की 24 हजार से ज्यादा घटनाएं, आखिर इतने पत्थर दिल क्यों हो गये हैं हम?

-रजनीश आनंद- विगत कुछ वर्षों से देश में एक नया ट्रेंड सेट हो गया है, जो ना सिर्फ भयावह है, बल्कि हमारे सामने यह सवाल भी खड़े करता है कि क्या इंसान इतना निष्ठुर हो गया हैं कि छोटी-छोटी बच्चियों को हवस का शिकार बना रहा है और उसकी आत्मा इस बात की गवाही भी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 13, 2019 4:27 PM

-रजनीश आनंद-

विगत कुछ वर्षों से देश में एक नया ट्रेंड सेट हो गया है, जो ना सिर्फ भयावह है, बल्कि हमारे सामने यह सवाल भी खड़े करता है कि क्या इंसान इतना निष्ठुर हो गया हैं कि छोटी-छोटी बच्चियों को हवस का शिकार बना रहा है और उसकी आत्मा इस बात की गवाही भी दे रही है? आखिर हमारी इंसानियत कहां खो गयी है? बच्चियों के साथ रेप का मसला इतना गंभीर होता जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को स्वत: संज्ञान लेते हुए दर्ज केस के बारे में रिपोर्ट मांगी और कहा है कि न्यायमित्र यह सुझाव दें कि अदालत इसपर क्या निर्देश जारी कर सकती है.

बच्चियों के साथ रेप के बाद हत्या की बढ़ रही हैं घटनाएं

देशभर में छोटी बच्चियों के साथ रेप की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और साथ ही रेप के बाद उनकी हत्या की घटनाओं में भी तेजी से वृद्धि हो रही है. उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर हर राज्य से ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं. कठुआ, उन्नाव और अलीगढ़ की ट्‌विंकल शर्मा का मामला हमारे जेहन में अभी ताजा है. सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हो गया है कि हम अपनी बच्चियों के प्रति इतने निष्ठुर हो गये हैं कि पहले तो हम उसके कोमल शरीर पर आघात करते हैं और उसके बाद उसकी हत्या तक कर देने में डरते नहीं.

इंटरनेट का दुरुपयोग भी है एक वजह

इटरनेट के प्रसार से कई अच्छी बातें हुई हैं, तो कई बुरे परिणाम भी सामने आये हैं. फ्री इंटरनेट की पहुंच आज गांव-गांव तक हो चुकी है. लोग अपने स्मार्टफोन पर पॉर्न साइट देखते हैं और उनका कुंठित मन बच्चियों को अपना शिकार बनाता है. कई बार घुमाने के नाम पर, चॉकलेट दिलाने के नाम पर बच्चियां रेप की शिकार बन चुकी हैं.

साफ्ट टारगेट हैं बच्चियां

बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाने वाले लोगों की यह मानसिकता है कि बच्चियां विरोध नहीं करेंगी या नहीं कर पाती हैं. जिस तरह की घटनाएं सामने आयी हैं उनमें एक साल की बच्ची से लेकर 15-16 की नाबालिग तक शामिल हैं, जो रेप होने पर काफी डर जाती हैं और उन्हें यह जानकारी भी नहीं होती कि उनके साथ दरअसल हो क्या रहा है. छोटी बच्चियां तो शिकायत तक नहीं कर पाती हैं. कई ऐसे मामले सामने आये हैं, जब बच्चियां स्कूल से घर जाकर पेट दर्द की शिकायत करती हैं और डॉक्टर के पास जाने पर यह पता चलता है कि उनके साथ दुष्कर्म हुआ है.

छह महीने में बच्चियों के साथ रेप के 24 हजार मामले सामने आये

वर्ष 2019 के जनवरी माह से जून तक में बच्चियों के साथ रेप की 24,212 मामले दर्ज हुए. जिनमें से 11981 मामलों में जांच रही हैं, जबकि 12231 केस में चार्टशीट दायर हो चुका है. जबकि ट्रायल सिर्फ 6449 मामलों में ही शुरू हुआ है.

सरकार गंभीर पॉक्सो एक्ट में बदलाव को कैबिनेट की मंजूरी

बच्चियों के साथ देश में लगातार बढ़ती यौन हिंसा की घटनाओं के बाद सरकार ने हाल ही में एक बड़ा निर्णय किया है. केंद्रीय कैबिनेट ने यह तय किया है कि बच्चों के साथ यौन हिंसा करने वालों को मौत की सजा दी जायेगी. इसके लिए सरकार ने विधेयक तैयार कर लिया है और उसे जल्दी ही संसद में पेश किया जायेगा. सरकार ने पॉक्सो एक्ट में बदलाव करते हुए यह विधेयक तैयार किया है. पॉक्सो एक्ट के धारा 2,4,14 सहित कई अन्य धाराओं में भी बदलाव का प्रस्ताव किया गया है. सरकार ने इन धाराओं के साथ-साथ पोर्नोग्राफी के कानून में भी बदलाव का प्रस्ताव किया है.

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