चंद्राणी मुर्मू : ओडिशा की लड़की बनी 17वीं लोकसभा की सबसे युवा सांसद

नयी दिल्ली : संसद में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव भले ही आज तक हकीकत न बन पाया हो, लेकिन 21 लोकसभा सीटों वाले ओड़िशा ने 33 फीसदी महिलाओं को संसद भेजने का संकल्प बखूबी निभाया. राज्य से विजयी रही सात महिला सांसदों में चंद्राणी मुर्मू का नाम खासतौर से उल्लेखनीय है, […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 2, 2019 12:26 PM

नयी दिल्ली : संसद में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव भले ही आज तक हकीकत न बन पाया हो, लेकिन 21 लोकसभा सीटों वाले ओड़िशा ने 33 फीसदी महिलाओं को संसद भेजने का संकल्प बखूबी निभाया. राज्य से विजयी रही सात महिला सांसदों में चंद्राणी मुर्मू का नाम खासतौर से उल्लेखनीय है, जो 17वीं लोकसभा की सबसे युवा सदस्य हैं.

दो बरस पहले मैकेनिकल इंजीनियर की पढ़ाई करने के बाद चंद्राणी किसी सरकारी महकमे में नौकरी करके अपने भविष्य को सुरक्षित बनाने की तैयारी कर रही थी. लेकिन, किसे पता था कि उसके हाथ में ‘राजनीति’ की रेखा है, जो उसे दिल्ली के विशाल संसद भवन तक पहुंचाकर उसका ही नहीं, बल्कि उसके पूरे आदिवासी इलाके का भविष्य बेहतर बनाने का रास्ता दिखायेगी.

कुछ समय पहले भीषण तूफान के कारण सुर्खियों में रहा ओड़िशा अब चंद्राणी की वजह से खबरों में है. दरअसल, राज्य के क्योंझर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली चंद्राणी 25 बरस 11 महीने की उम्र में यह उपलब्धि हासिल करके दुष्यंत चौटाला का रिकॉर्ड तोड़ने में कामयाब रहीं, जो 26 बरस की उम्र में पिछली लोकसभा के सबसे युवा सांसद थे.

चंद्राणी ने 2017 में भुवनेश्वर की शिक्षा ओ अनुसंधान यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री हासिल की. प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी कर रही थीं, जब उनके मामा ने अचानक से चुनाव लड़ने के बारे में पूछा.

चंद्राणी का कहना है कि वह अपने लिए किसी अच्छे करियर की तलाश में थीं और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थीं. उन्होंने राजनीति में आने का इरादा कभी नहीं किया था, लेकिन क्योंझर महिला आरक्षित क्षेत्र था और बीजू जनता दल को किसी पढ़ी-लिखी महिला उम्मीदवार की जरूरत थी.

यह दोनो बातें चंद्राणी के हक में गयीं. शिक्षा चंद्राणी के काम आया और अब यह युवा आदिवासी सांसद अपने क्षेत्र में शिक्षा के लिए काम करना चाहती है. 16 जून, 1993 को जन्मी चंद्राणी के पिता संजीव मुर्मू एक सरकारी कर्मचारी हैं. अपनी बेटी के लिए भी कुछ ऐसा ही भविष्य चाहते थे, लेकिन मां उर्बशी सोरेन के जरिये उन्हें अपने नाना हरिहरन सोरेन की राजनीति की विरासत और समझ मिली, जो उन्हें संसद तक पहुंचाने का रास्ता हमवार करने में सहायक रही. हरिहरन सोरेन 1980 और 1984 में कांग्रेस के सांसद के रूप में क्योंझर का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

चंद्राणी के पास न बंगला है, न गाड़ी, न जमीन-जायदाद और न ही लंबा-चौड़ा बैंक बैलेंस. उनके पास किसी कंपनी के शेयर नहीं हैं, न ही कोई भारी-भरकम बीमा पॉलिसी है. रकम के नाम पर उनके पास 20 हजार रुपये और 10 तोला सोने के जेवर हैं, जो उनके माता-पिता ने उन्हें दिये हैं.

ऐसे में एक साधारण परिवार की इस लड़की का संसद तक पहुंचना किसी सपने के सच होने जैसा है और अपनी इस सफलता से आह्लादित चंद्राणी अपने क्षेत्र में कुछ नया करके जनता से मिली इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाना चाहती हैं.

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