इन तीन कामों पर रोक लगाने से दूर हो सकता है दिल्ली का संकट, जानिये क्या बता रहे हैं जस्टिस स्वतंत्र कुमार…?

नयी दिल्ली : देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की विकराल समस्या से मुक्ति के लिए पुराने वाहनों के प्रयोग और प्रवेश पर रोक तथा सीलिंग जैसे सख्त आदेश देने वाले राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार सख्ती और आपसी सहयोग से मानकों के पालन को ही समस्या का एकमात्र उपाय […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 18, 2018 4:12 PM

नयी दिल्ली : देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की विकराल समस्या से मुक्ति के लिए पुराने वाहनों के प्रयोग और प्रवेश पर रोक तथा सीलिंग जैसे सख्त आदेश देने वाले राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार सख्ती और आपसी सहयोग से मानकों के पालन को ही समस्या का एकमात्र उपाय मानते हैं. साल 2010 में गठित एनजीटी के पांच साल तक अध्यक्ष रहे न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने दूषित हवा और धूल से घिरी दिल्ली की समस्या पर कहा कि दिल्ली के लिए यह लाइलाज बीमारी बिल्कुल नहीं है. कानून लागू कराने वाली और इनका पालन कराने वाली एजेंसियां अगर प्रतिबद्ध हो जायें, तो यह काम आसान है.

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उन्होंने कहा कि सीलिंग हो या पुराने वाहनों के प्रयोग या फिर बाहरी राज्यों से आये वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध जैसे तमाम फैसलों का पालन, दिल्ली की उन्हीं एजेंसियों ने करवाया है, जिन्हें सभी कोसते रहते हैं. सीलिंग और पुराने वाहनों के मामले में सख्त आदेशों से हुई परेशानी के सवाल पर उन्होंने स्थिति की गंभीरता का हवाला देते हुए कहा कि इससे बुरी बात और क्या होगी कि दिल्ली में कचरे से दबकर लोगों की मौत हो जाये. ऐसे हालात हमें कानून के कठोर पहलुओं की तरफ देखने को मजबूर करते हैं, तब जाकर सख्त होना पड़ता है.

वाहन की अधिकता और अवैध निर्माण प्रदूषण के अहम कारक

न्यायमूर्ति कुमार ने कहा कि दिल्ली हो या कोई अन्य शहर, अव्वल तो समस्याओं और इनके कारणों को पकड़ना जरूरी होता है. इसके बाद कानून के दायरे में समाधान अपने आप मिल जाता है. कुछ प्रमुख मामलों का उदाहरण देते हुए वह दिल्ली की समस्या के लिए वाहनों की अधिकता, अवैध और अनियंत्रित निर्माणकार्य तथा जल संसाधनों के अंधाधुंध दोहन को मुख्य वजह मानते हैं.

दिल्ली में सार्वजनिक आरामदायक परिवहन का अभाव

उन्होंने कहा कि वाहनों की अधिकता की वजह, आरामदायक सार्वजनिक परिवहन का अभाव है, जबकि अवैध निर्माणकार्यों की वजह लोगों में जागरूकता की कमी तथा स्थानीय निकायों द्वारा नियमों के पालन में ढील है. इसी तरह जल संकट के लिए अनियंत्रित जलदोहन, जलाशयों का नष्ट होना तथा जलसंचयन के आधुनिक तरीकों का प्रचलन में न होना मूल वजह है.

योजनाओं को अमलीजामा पहनाना कठिन चुनौती

उन्होंने कहा कि समस्या के कारण में ही समाधान छिपे होते हैं, जिन्हें सभी जानते हैं, सिर्फ इन्हें लागू करना एकमात्र चुनौती है, जिसे एनजीटी ने कर दिखाया है. सीलिंग, पुराने वाहनों और अवैध बोरवैल पर प्रतिबंध तथा रेन वाटर हार्वेस्टिंग की अनिवार्यता जैसे फैसलों का सख्ती से पालन, दिल्ली की ही एजेंसियों ने करवाया, जिनका असर दिख भी रहा है.

जहरीली हवा दिल्ली में प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह

न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने कहा कि दिल्ली की जहरीली होती हवा शहर के प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह है. इस संकट की वजह वाहन जनित प्रदूषण है और इसका एकमात्र कारण शहर में वाहनों की जरूरत से बहुत ज्यादा तादाद होना है. उनके मुताबिक, वाहनों पर नियंत्रण के तमाम उपायों के बाद अब ‘डेस्टीनेशन बस सेवा’ इस समस्या का दीर्घकालिक समाधान है.

प्रदूषण समस्या से ऐसे निजात दिला सकती है डेस्टिनेशन बस सर्विस

उन्होंने कहा कि एनजीटी ने दिल्ली में महत्वपूर्ण स्थानों के लिए दूरदराज के विभिन्न अहम स्थानों से सीधी बस सेवा (डेस्टीनेशन सर्विस) शुरू करने को कहा था. इसके पालन में देरी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने दलील दी कि लोग अपने दफ्तर आने के लिए घंटों तक निजी वाहन से यात्रा नहीं करना चाहते हैं. बशर्ते, उन्हें आरामदायक सीधी बस सेवा मिले. मेट्रो ने इसे सच साबित किया है, लेकिन मेट्रो की अपनी सीमाएं हैं, डेस्टीनेशन बस सेवा इस कमी को दूर कर 60 लाख से अधिक दोपहिया और चार पहिया निजी वाहनों को सड़क से दूर कर सकती है.

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