”आप” को राहत: पार्टी दफ्तर का आवंटन रद्द करने का उपराज्यपाल का फैसला खारिज

नयी दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी के मध्य में आम आदमी पार्टी को आवंटित बंगला रद्द करने का उपराज्यपाल (एलजी) का आदेश खारिज करते हुए कहा कि कार्रवाई के लिए कोई कारण नहीं दिया गया है. न्यायमूर्ति विभू बखरु ने इस मामले को राजनीतिक पार्टी को सुनने के बाद आठ हफ्ते में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 23, 2017 1:56 PM

नयी दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी के मध्य में आम आदमी पार्टी को आवंटित बंगला रद्द करने का उपराज्यपाल (एलजी) का आदेश खारिज करते हुए कहा कि कार्रवाई के लिए कोई कारण नहीं दिया गया है. न्यायमूर्ति विभू बखरु ने इस मामले को राजनीतिक पार्टी को सुनने के बाद आठ हफ्ते में तर्कसंगत फैसला लेने के लिए उपराज्यपाल अनिल बैजल के पास वापस भेज दिया. अदालत ने कहा कि 12 अप्रैल का आवंटन रद्द करने वाले आदेश में यह नहीं बताया गया कि किस कानून या नियम का उल्लंघन किया गया है. इसने केंद्र सरकार से कहा कि राजनीतिक पाटर्यिों को परिसर आवंटित करने की अगर नीति है तो उसे समान रुप से लागू करना चाहिए.

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अदालत ने दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग द्वारा 13 जून को पारित दो अहम आदेशों को भी स्थगित रखा है जिसमें पार्टी के वैकल्पिक अवासा के अनुरोध को खारिज करते हुए बाजार दर के हिसाब से 31 मई तक संपत्ति के 27 लाख रुपये से ज्यादा के किराये के बकाये का भुगताने का निर्देश दिया गया था. आप की ओर से वरिष्ठ वकील अरुण कथपालिया ने कहा कि पार्टी को 31 दिसंबर 2015 को राउज एवेन्यू में बंगला संख्या 206 आवंटित किया गया था. वकील आदित्य विजय कुमार के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि इसके बाद आप को इस साल 12 अप्रैल को एक संदेश मिला जिसमें कहा गया था कि उपराज्यपाल ने बंगले का आवंटन इस आधार पर रद्द कर दिया है कि यह कानून और नियमों के विपरीत है.

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आप ने अपनी अर्जी में यह भी दावा किया था कि उसे ऐसी कार्रवाई का निशाना बनाया जा रहा है जबकि अन्य पार्टियों को राष्ट्रीय राजधानी के बीचो बीच आवास आवंटित हैं. पार्टी ने दलील है कि केंद्र सरकार की नीति के मुताबिक सभी पंजीकृत राजनीतिक पार्टियां आवास की अधिकारी हैं. बहस के दौरान, अतिरिक्त सॉलिटर जनरल संजय जैन और केंद्र सरकार के वकील ने कहा था कि पार्टी को दक्षिण दिल्ली के साकेत में आवास की पेशकश की गयी थी लेकिन आप ने इसे लेने से इनकार कर दिया.

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