दहेज प्रताड़ना व गर्भपात के बाद तीन तलाक ने शायरा बानो को बना दिया इस प्रथा के खिलाफ योद्धा

नयी दिल्ली : शायरा बानो पहली महिला थीं, जाे तीन तलाक के मामले को अदालत में लेकर गयीं और लंबी प्रक्रिया के बाद आज उस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए छह महीने के लिए तीन तलाक पर रोक लगा दी. अदालत ने इस संबंध में सरकार को नया कानून बनाने को कहा है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 22, 2017 12:16 PM

नयी दिल्ली : शायरा बानो पहली महिला थीं, जाे तीन तलाक के मामले को अदालत में लेकर गयीं और लंबी प्रक्रिया के बाद आज उस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए छह महीने के लिए तीन तलाक पर रोक लगा दी. अदालत ने इस संबंध में सरकार को नया कानून बनाने को कहा है. अगर सरकार छह महीने में इस संबंध में कानून नहीं लाती है तो यह फैसला आगे भी जारी रहेगा. तीन तलाक पीड़ित 38 साल की शायरा बानो ने इस मामले में कोर्ट का दरवाजा खटखटा कर इतिहास की दिशा बदल दी. अक्तूबर 2015 में जब वे अपने मायके में थीं, तब उनके पति ने उन्हें वहीं तलाक भेज दिया. जब उनकी शादी हुई थी तो परिवार वालों ने दहेज में टू व्हीलर, फर्निचर, ज्वेलरी आदि दिया था, फिर भी उन्हें और दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा. उनकी शादी की तसवीरों के एलबम को नाम रोमांटिक मोमेंट्स है, जो अब बेमानी हो गया है. लेकिन, उन्होंने जो लड़ाई लड़ी वह इतिहास बन गयी.

अब दो बच्चों की मां शायरा अपने बच्चों तक से नहीं मिल पा रही हैं और न ही फोन पर उनसे बात कर पा रही हैं.उनकेससुरालवालों ने न सिर्फ उन्हें दहेज के लिए प्रताड़ितकिया,बल्कि पति ने बार-बारगर्भपात कराकरऔरदवाकी हैवीडोजखाने को मजबूरकरउनकास्वास्थ्यखराब कर दिया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में निकाह हालाला के रिवाज को चैलेंज किया. निकाह हालाला में ऐसी व्यवस्था है कि मुसलिम महिलाओं को अपने पहले पति के साथ रहने के लिए दूसरे शख्स से दोबारा शादी करनी होती है.

शायरा बानो ने अपनी लड़ाई को आगे बढ़ाने की सोच रखी है. उन्होंने मुसलिम समाज में बहु विवाह को अवैध करने की मांग उठायी है. उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली शायरा की शादी 2002 में इलाहाबाद के एक प्रापर्टी डीलर रिजवान अहमद से हुई थी, जिससे 13 साल का बेटा व 11 साल की बेटी है. शायरा को उसके ससुराल वाले फोर व्हीलर व फैसे के लिए प्रताड़ित करते थे.