सड़क किनारे बन रहे वाटर एटीएम का भविष्य अधर में, नगर पर्षद के निर्माण पर उठे सवाल
नगर पर्षद ने तकरीबन 5.50 लाख रुपये की लागत से बस स्टैंड, आरा रोड, बाजार और भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में निर्माण कार्य भी शुरू करा दिया है. लेकिन अब यही निर्माण नगर पर्षद की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा है
शहर में अतिक्रमण को लेकर प्रशासन व नगर पर्षद के नियम अलग-अलग क्यों? फोटो -11- सड़क किनारे बन रहे वाटर एटीएम प्रतिनिधि, बिक्रमगंज. नगर में गर्मी में लोगों को राहत देने के नाम पर नगर पर्षद ने अप्रैल माह में धूमधाम से घोषणा की थी कि नगर में आठ शीघ्र जल एटीएम और प्याऊ सेंटर लगाये जायेंगे. इन एटीएम से लोगों को 24 घंटे शुद्ध व ठंडा पानी मिलेगा. इसके लिए नगर पर्षद ने तकरीबन 5.50 लाख रुपये की लागत से बस स्टैंड, आरा रोड, बाजार और भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में निर्माण कार्य भी शुरू करा दिया है. लेकिन अब यही निर्माण नगर पर्षद की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा है. दरअसल, एक ओर अनुमंडल प्रशासन सड़क किनारे के अतिक्रमण को हटाने में जुटा है. दुकानदारों से लेकर ठेला-पटरी वालों तक की रोजी-रोटी उजाड़ी जा रही है. गरीबों की छोटी-छोटी दुकानें अतिक्रमण बताकर तोड़ी जा रही हैं. वहीं, दूसरी तरफ खुद नगर पर्षद उसी सड़क किनारे स्थायी निर्माण करा रहा है. लोगों का कहना है कि आखिर प्रशासन और नगर पर्षद के नियम अलग-अलग क्यों? आम लोगों का अतिक्रमण गलत और नगर पर्षद का अतिक्रमण सही कैसे हो गया? यदि सड़क चौड़ीकरण की आवश्यकता होगी तो क्या ये प्याऊ सेंटर और वाटर एटीएम बच पायेंगे? या फिर लाखों रुपये खर्च कर बनायी गयी ये परियोजना भी कुछ सालों बाद मलबे में तब्दील हो जायेगी? नगर के बुद्धिजीवियों ने नगर पर्षद की इस पहल को दिखावटी बताया है. उनका कहना है कि वास्तव में यह योजना ठोस सोच के बिना बनायी गयी है. गर्मी में पानी पिलाना नेक कार्य है, लेकिन इसके लिए स्थायी जगहों का चयन जरूरी था. पार्क, सरकारी भवनों के परिसर या सार्वजनिक स्थल इसके लिए सबसे उपयुक्त जगह थे. वहां यह योजनाएं लंबे समय तक टिक सकती थीं. लेकिन नगर पर्षद ने जल्दबाजी में सड़क किनारे निर्माण कराकर खुद अतिक्रमण की श्रेणी में आ खड़ा किया है. यह निर्माण जनता के पैसों की खुल्लम खुला बर्बादी : राजू नगर पर्षद के पूर्व सभापति रब नवाज खान उर्फ राजू का कहना है कि अनुमंडल प्रशासन गरीबों के खोमचा-ठेला हटाने में सख्ती दिखाता है, मगर नगर पर्षद की मनमानी पर आंख मूंदे हुए है. यदि यही स्थिति रही तो आने वाले समय में सड़क चौड़ीकरण या अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान ये प्याऊ सेंटर भी ढहा दिये जायेंगे. नतीजा यह होगा कि जनता के पैसे से बनायी गयी योजना महज कुछ वर्षों में कबाड़ बन जायेगी. आवश्यकता के साथ टूटते रहते हैं सरकारी निर्माण : एसडीएम अनुमंडलाधिकारी प्रभात कुमार से इस संबंध में सवाल किये गये, तो उन्होंने कहा सरकारी निर्माण समय और परिस्थिति के अनुसार टूटते रहते हैं. जब समय आयेगा तो देखा जायेगा,फिलहाल वाटर एटीम का निर्माण नाली के ऊपर किया जा रहा है. जहां निर्माण हो रहा है वहां पीछे जगह नहीं है, इसी लिए ऐसा निर्माण हो रहा है.
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