गलत अनुभव प्रमाणपत्र पर प्रधानाध्यपक की नौकरी कर रहे अतिथि शिक्षक को पद से हटाने का आदेश
अतिथि शिक्षक का अनुभव प्रमाण पत्र प्रधानाध्यापक पद के लिए मान्य नहीं इसके बावजूद जिले में शिक्षा विभाग को गुमराह कर गलत अनुभव प्रमाणपत्र पर प्रधानाध्यपक की नौकरी कर रहे अतिथि शिक्षक को पद से हटाने का आदेश क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक मुंगेर के द्वारा दिया गया.
बेगूसराय. अतिथि शिक्षक का अनुभव प्रमाण पत्र प्रधानाध्यापक पद के लिए मान्य नहीं इसके बावजूद जिले में शिक्षा विभाग को गुमराह कर गलत अनुभव प्रमाणपत्र पर प्रधानाध्यपक की नौकरी कर रहे अतिथि शिक्षक को पद से हटाने का आदेश क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक मुंगेर के द्वारा दिया गया. इसके बावजूद विद्यालय के प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं. बताते चले कि शिक्षक वरुण कुमार जो कि अतिथि शिक्षक का अनुभव प्रमाण पत्र द्वितीय चरण के तहत काउंसलिंग में लगाकर कर लिया. जिनकी योग्यता प्रधानाध्यापक के पद पर मान्य नहीं है. इस संबंध में उपनिदेशक माध्यमिक शिक्षा बिहार पटना के ज्ञापन 495 दिनांक 25 फरवरी 2025 का पत्र जो अपर राज्य परियोजना निदेशक सह प्रभारी अनुश्रवण कोषांग बिहार पटना को संबंधित है म भी अतिथि शिक्षक अभ्यर्थी का नाम प्रधानाध्यापक के पदों पर काउंसलिंग कि सूची से हटाने का तथ्य अंकित किया गया है. इसी के आलोक में वरुण कुमार के विद्यालय में योगदान को अस्वीकृत करते हुए प्रधानाध्यापक के दावे को निरस्त करने का आदेश दिया गया. उक्त शिक्षक उच्च माध्यमिक विद्यालय भावानंदपुर प्रखंड बीरपुर में पदस्थापित है वहीं एक शिक्षिका और हैं जो कि अतिथि शिक्षक के पद पर बहाल हुए थे उसी के अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर उत्क्रमित उच्च माध्यमिक पालीडीह,भगवानपुर में पदस्थापित है जो अतिथि शिक्षिका के अनुभव प्रमाण पत्र पर बहाल हुए थे हालांकि उक्त शिक्षक से संबंधित कोई पत्र उपलब्ध नहीं है लेकिन शिक्षकों के बीच काफी चर्चा बना हुआ है कि विभागीय आदेश दोनों शिक्षकों पर लागू होता है. इसके वावजूद अभी तक दोनों प्रधानाध्यपक के पद पर बने हुए हैं. बताते चले की क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक मुंगेर के द्वारा 6 अगस्त 2025 को पत्र जारी कर शिक्षक वरुण कुमार को प्रधानाध्यापक के पद से हटाने के आदेश जारी किए गए थे लेकिन शिक्षा विभाग के लापरवाही की वजह से अभी तक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर बने हुए हैं. बताते चले की औपबंधिक नियुक्ति पत्र एवं विद्यालय पर स्थापना पत्र कार्यालय को विभाग के पोर्टल से प्राप्त हुआ. जिसमें योगदान करने के उपरांत तकनीकी योगदान नहीं हो रहा था. इस मामले में विभाग के संज्ञान में दिया गया. इसके पश्चात इस पर कार्रवाई का आदेश जारी किया गया. अब सवाल उठता है कि बचाने के पीछे किस अधिकारी का हाथ है फिलहाल या जांच का विषय है.
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