साहित्य अकादमी की ओर से मगही की उपेक्षा निंदनीय : प्रो शिवेंद्र

मगही और हिंदी के जाने-माने साहित्यकार और विश्व मगही परिषद के पुरस्कार चयन समिति के अध्यक्ष प्रो. शिवेंद्र नारायण सिंह ने साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा पटना में आयोजित चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक आयोजन में 27 सितंबर को होने वाले बहुभाषी कवि सम्मेलन में मगही को स्थान नहीं दिए जाने की कड़ी निन्दा की है.

By SANTOSH KUMAR SINGH | September 25, 2025 9:19 PM

प्रतिनिधि, राजगीर. मगही और हिंदी के जाने-माने साहित्यकार और विश्व मगही परिषद के पुरस्कार चयन समिति के अध्यक्ष प्रो. शिवेंद्र नारायण सिंह ने साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा पटना में आयोजित चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक आयोजन में 27 सितंबर को होने वाले बहुभाषी कवि सम्मेलन में मगही को स्थान नहीं दिए जाने की कड़ी निन्दा की है. उन्होंने कहा कि मगही न सिर्फ बिहार की अपितु झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश समेत देश के कई भागों के साथ ही पड़ोसी राष्ट्र नेपाल, मारीशस, त्रिनिदाद, श्रीलंका आदि अनेक राष्ट्रों में बोली जाने वाली एक प्रमुख लोकभाषा है. यह एक प्राचीन भाषा है और इसका अपना गौरवशाली इतिहास है. उन्होंने कहा कि मगही भाषा का साहित्य सभी विधाओं में काफी समृद्ध है. मगही के अनेकों कवियों की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति है जिनकी रचनाएं विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में लगी है और जिनपर अनेकों महत्वपूर्ण शोध हो चुके हैं. उन्होंने आगे कहा कि पटना, जहां यह अ़ंतर्राष्ट्रीय आयोजन होना है, भी मगही भाषा भाषियों का गढ़ है. यहां की बहुसंख्यक आबादी मगही भाषी हैं. ऐसे स्थान पर होने वाले लोकभाषा से संबंधित कार्यक्रमों में स्थानीय लोकभाषा की उपेक्षा अकादमी के अधिकारियों की अज्ञानता, अदूरदर्शिता और लापरवाह रवैए का द्योतक है. देश के अन्य लोकभाषाओं के साथ ही इस आयोजन में अंगिका और बज्जिका को ही शामिल किया गया है. प्रो. सिंह ने साहित्य अकादमी के अधिकारियों से भविष्य में लोकभाषा से संबंधित आयोजन में मगही को भी निश्चित रूप से शामिल करने का अनुरोध किया है. साहित्य अकादमी द्वारा मगही की की गई उपेक्षा की निन्दा करने वालों में वरिष्ठ कवि जयराम देवसपुरी, रंजीत दुधु, वरिष्ठ साहित्यकार अशोक कुमार अजय, नरेंद्र प्रसाद सिंह, जयनंदन सिंह, महेंद्र कुमार विकल एवं अन्य प्रमुख हैं.

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