Giridih News: कचरे के ढेर में भविष्य तलाश रहे हैं महादलित परिवार के बच्चे
बेंगाबाद-गिरिडीह एनएच मुख्य मार्ग किनारे दूधीटांड़ की बस्ती है. यहां महादलित परिवार के लोग निवास करते हैं. उक्त परिवार के आय का मुख्य स्रोत बांस के सामान बनाकर बेचने का
बेंगाबाद-गिरिडीह एनएच मुख्य मार्ग किनारे दूधीटांड़ की बस्ती है. यहां महादलित परिवार के लोग निवास करते हैं. उक्त परिवार के आय का मुख्य स्रोत बांस के सामान बनाकर बेचने का है. महिला पुरुष इसी काम में जुटे रहते हैं, जबकि बच्चे सुबह बोरा लेकर कचरा चुनने के लिए निकल जाते हैं. बच्चे चौक-चौराहों में पड़े कचरे को उठाकर बोरे में भरते है, वहीं विभिन्न होटलों से भी कचरे एकत्रित करने में दिनभर जुटे रहते हैं. कचरे को बोरे को कबाड़ी में बेचकर चंद रुपये लेकर देर शाम को घर पहुंचते हैं. मैले कुचैले कपड़े, धूप पसीने से तर बतर शरीर इन बच्चों का भविष्य कचरे चुनने में बीत रहा है. स्कूल जाने वाली उम्र में ये बच्चे कचरा चुनने में व्यस्त हैं. बच्चे कंधे पर बोरा टांगे शान से भरे बाजार में गुजरते है. हालांकि अन्य बच्चे इसे देखकर सहम जरूर जाते हैं, लेकिन इनके चेहरे पर कोई सिकन नहीं दिखती है. बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे इन बच्चों का भविष्य कब संवरेगी इसपर कोई पहल नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है. बच्चों की चिंता करने वाली सरकारी संस्थान के कार्यक्रम इस गांव में दम तोड़ रही है. इन बच्चों को स्कूल से जोड़ने की दिशा में अबतक के कार्यक्रम का कोई लाभ नहीं दिख रहा है. बच्चों से काम कराना जुर्म होने का दावा करने वाली श्रम विभाग के अधिकारियों का भी नजर इन बच्चों पर नहीं पड़ी है. बच्चों के पोषण का दावा करने वाली बाल विकास विभाग की टीम के साथ योजनाओं का लाभ इस गांव में नहीं पहुंच पायी है. इससे पता चलता है कि किस कदर सरकारी आंकड़ों का खेल चल रहा है.
इन बच्चों का नामांकन स्कूल चलो अभियान में कराया गया था : बीपीओ
इधर शिक्षा विभाग के बीपीओ केडी सिंह का कहना है कि उक्त बच्चों का नामांकन स्कूल चलें अभियान में कराया गया था, लेकिन बच्चे स्कूल जाने से परहेज करते हैं. कहा इस गांव में विशेष जागरूकता अभियान चलाने व नियमित मॉनिटरिंग की जरूरत है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
