हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाती है भागवत कथा : प्रेमाचार्य पीतांबर जी

कथा वाचक श्रीधाम वृंदावन से पधारे अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेमाचार्य पीतांबर जी महाराज ने पहले दिन भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि मृत्यु को जानने से मृत्यु का भय मन से मिट जाता है.

By MANISH KUMAR | September 24, 2025 10:04 PM

मंझौल/चरियाबरियारपुर. कथा वाचक श्रीधाम वृंदावन से पधारे अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेमाचार्य पीतांबर जी महाराज ने पहले दिन भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि मृत्यु को जानने से मृत्यु का भय मन से मिट जाता है. जिस प्रकार परीक्षित ने भागवत कथा का श्रवण कर अभय को प्राप्त किया. वैसे ही भागवत जीव को अभय बना देती है. पंडित ओझा ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा परमात्मा का अक्षर स्वरूप है. यह परमहंसों की संहिता है, भागवत कथा हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाता है. आश्विन मास में इसके श्रवण का अत्यधिक महत्व है. भागवत कथा भगवान के प्रति अनुराग उत्पन्न करती है. यह ग्रंथ वेद, उपनिषद का सार रूपी फल है. यह कथा रूपी अमृत देवताओं को भी दुर्लभ है. पहले दिन कलयुग में भागवत महिमा और संकीर्तन के महत्व पर प्रकाश डाला, एवं दूसरे दिन महाराज ने भागवत भक्त गोकर्ण और उनके भाई धुंधकारी की कथा सुनाई. धुंधकारी बुरे कार्यों में लिप्त था. उसकी अकाल मृत्यु के बाद वह प्रेत योनि में चला गया. गोकर्ण ने अपने भाई को मुक्ति दिलाने के लिए सूर्य भगवान के निर्देश पर श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया. कथा श्रवण से धुंधकारी को प्रेत योनि से मुक्ति मिली. कथावाचक ने बताया कि मनुष्य को वैदिक रीति-नीति से कर्म और धर्म का पालन करना चाहिए. भाइयों को आपस में रंजिश नहीं रखनी चाहिए. कथा के मध्य में दिव्य मनमोहक झांकियों का भी दर्शन हुआ. आरती के बाद समिति ने सभी को प्रसाद वितरित किया.

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