Sarhul Festival 2025: सरहुल का महत्व, जानें इस पवित्र पर्व की परंपरा और पूज्य देवता कौन हैं?
Sarhul 2025 importance: यह त्योहार वसंत ऋतु के समय मनाया जाता है. जब प्रकृति में बड़े बदलाव देखने को मिलते हैं. आदिवासी समाज के लिए यह त्योहार सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि पारंपरिक और सांस्कृतिक विरासत को भी समेटे है.
Sarhul 2025: जनजाति समुदाय के लिए सरहुल एक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह प्रकृति से जुड़ा एक महापर्व है. यह त्योहार खास तौर पर झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे इलाकों के आदिवासी लोगों के द्वारा बड़ी धूमधाम से मनायाा जाता है. यह त्योहार वसंत ऋतु के समय मनाया जाता है. जब प्रकृति में बड़े बदलाव देखने को मिलते हैं. आदिवासी समाज के लिए यह त्योहार सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि पारंपरिक और सांस्कृतिक विरासत को भी समेटे है.
सरहुल के त्योहार का महत्व
सरहुल का त्योहार का मुख्य उद्देश्य प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करना और धरती माता, पेड़-पौधों, पानी, और वातावरण की सुरक्षा का संदेश देना होता है. जनजाति समुदाय में यह त्योहार धरती से जुड़ा हुआ त्योहार है, जो कि प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए मनाया जाता है. इस दिन जनजाति समुदाय के लोग अपने इष्ट देवता की पूजा करते हैं. इसके अलावा, आने वाले समय के लिए समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हैं. यह त्योहार अपनी संस्कृति की जड़ों को याद करने के साथ प्रकृति के साथ संतुलन बनाने की प्रेरणा देते हैं.
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इस पेड़ की होती है पूजा
सरहुल के दिन खास तौर पर साल (Sal) के पेड़ की पूजा की जाती है. इस पेड़ का जनजाति समुदाय में विशेष महत्व रहता है, क्योंकि यह यह पेड़ प्रकृति जीवन के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है. इसके अलावा, इस पेड़ को “धर्म के प्रतीक” के रूप में भी देखा जाता है. सरहुल के पर्व के समय आदिवासी समुदाय के लोग पेड़ के नीचे इकट्ठा होते हैं और अपने पारंपरिक गीत और नृत्य करते हैं.
