सिलीप रॉय को डिजिटल आर्ट ‘प्रवासी’ के लिए मिला राष्ट्रीय पुरस्कार, दरभंगा स्टेशन पर बैठकर करते थे अभ्यास

सिलीप रॉय को राष्ट्रीय पुरस्कार उनके चित्र श्रृंखला 'प्रवासी' के लिए दिया गया जिसमें उन्होंने कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों की गंभीर परिस्थितियों को चित्रित किया है. उन्हें यह पुरस्कार विश्वविख्यात मूर्तिकार पद्मभूषण श्री राम सुतार जी से मिला.

By Budhmani Minj | September 15, 2022 12:24 PM

कहा जाता है कि प्रतिभा किसी मौके का मोहताज नहीं होता. चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन हो प्रतिभावान व्यक्ति अपने लिए रास्ता बना ही लेता है. यह कथन दोनार (दरभंगा) निवासी सिलीप रॉय पर सटीक बैठती है जिन्हें दिल्ली के ‘आल इंडिया फाइनआर्ट एंड क्राफ्ट सोसाइटी’ (आयफेक्स) द्वारा ” ग्यारहवीं अखिल भारतीय डिजिटल आर्ट प्रदर्शनी” में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

चित्र श्रृंखला ‘प्रवासी’ के लिए मिला सम्मान

सिलीप रॉय को यह पुरस्कार उनके चित्र श्रृंखला ‘प्रवासी’ के लिए दिया गया जिसमें उन्होंने कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों की गंभीर परिस्थितियों को चित्रित किया है. उन्हें यह पुरस्कार विश्वविख्यात मूर्तिकार पद्मभूषण श्री राम सुतार जी से मिला जिन्होंने विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति सरदार वल्लभ भाई पटेल की “स्टेचू ऑफ़ यूनिटी” बनाया. यह क्षण गौरवान्वित और भावुक करने वाला था जब प्रथम पुरस्कार के लिए उनके नाम के साथ दरभंगा, बिहार जोड़ कर घोषणा की गयी.

2016 में की थी करियर की शुरुआत

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से अप्लाइड आर्ट में स्नातक और स्नातकोत्तर कर चुके सिलीप ने एड एजेंसी में अपने करियर की शुरुआत 2016 में किया. आज स्वछन्द रूप से क्रिएटिव आर्ट डायरेक्टर व स्टोरीबोर्ड आर्टिस्ट के तौर पर कार्य करते हुए उन्होंने देश-विदेश के पांच सौ से अधिक ब्रांड के प्रमोशनल एड में अपना योगदान दिया है. जिनमें से माउंटेन ड्यू, पेप्सी, कोक, डोमिनोस, लेज़, कुरकुरे, होंडा, इत्यादि जैसे प्रमुख ब्रांड के लिए टीवी एड शामिल हैं.

दरभंगा स्टेशन पर बैठकर करते थे प्रैक्टिस

दरभंगा स्टेशन पर बैठ कर निरंतर स्केच का अभ्यास करते हुए सिलीप को शहर से अत्यंत भावनात्मक जुड़ाव हुआ. वर्तमान में दिल्ली में रहते हुए वे अपने शहर लौट कर उसका कलात्मक विकास में अपना योगदान देने की आकांक्षा रखते हैं.

कठिनाइयों से भरी है जिंदगी

केवल छः साल के करियर में ऊंचा मुकाम हांसिल करने वाले सिलीप की ज़िन्दगी कठिनाइयों से भरी रही है. पिता राम सुरेश राय दरभंगा बस स्टैंड में मजदूरी करके नौ सदस्यों के परिवार का भरण-पोषण करते रहे हैं. माता सरोज देवी ने पूरी ज़िन्दगी अपनी अस्वस्थ बेटी की सेवा में समर्पित कर दिया है. इनका परिवार आज भी किराये के मकान में रहता है.

सिलीप राय ने कही ये बात

शुरुआत से चली आ रही आर्थिक तंगी और अन्य समस्याओं से जूझते हुए आज अपने करियर के ऊंचे मुकाम पर पहुंच चुके सिलीप राय कहते हैं, “मैंने जीवन में कड़ी मेहनत, अनुशासन,और आत्मविशवास को सर्वाधिक महत्व दिया है. लम्बे समय से चली आ रही अभाव व मज़बूरी की ज़िन्दगी में जहाँ लोग टूट जाते हैं, वहीं यह मेरे आगे बढ़ने की सबसे बड़ी प्रेरणा थी. परिस्थितियां कभी रास्ता नहीं रोकती बल्कि हमें मजबूती से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है. हर बार महसूस होता था कि ज़िन्दगी में कुछ बड़ा करना है. कला के क्षेत्र में कदम रखना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं था लेकिन मानसिक रूप से व्यक्ति मजबूत हो तो चुनौतियां उनके लिए मनोरंजन का खेल बन जाता है.”

युवाओं को दिया ये संदेश

युवाओं को सन्देश देते हुए उन्होंने कहा, जो कोई भी कला के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं उन्हें समर्पित होकर निरंतर अभ्यास और संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए. यह क्षेत्र उनको देने के लिए ढेर सारी संभावनाएं लेकर उनका इंतज़ार कर रही है. पारिवारिक अथवा सामाजिक अवहेलना को नज़रअंदाज़ करते हुए युवा उन लोगों से जुड़े जो उनके सपनों के समर्थक हों.

Also Read: Engineers Day: भारत के इन इंजीनियर्स ने गैजेट्स के आविष्कार में बढ़ाया देश का मान, डालें एक नजर
सिलीप रॉय ने इन्हें दिया सफलता का श्रेय

जिला, राज्य और राष्ट्रिय स्तर पर कई पुरस्कारों से सम्मानित सिलीप राय को इसी वर्ष देशभर के 2600 युवाओं में से टॉप 15 युवाओं में ‘बेस्ट स्टोरीटेलर’ का स्थान प्राप्त हुआ जिनका चयन जानेमाने लेखक-कवि प्रसून जोशी जैसे दिगज्जों द्वारा किया गया. पुरस्कार के साथ उन्हें एक लाख की राशि भी प्रदान की गयी. सिलीप अपने जीवन की उपलब्धियों को माता-पिता के साथ-साथ अपने बड़े भाई दिलीप राय को समर्पित करते हैं जिन्होंने स्वयं विषम परिस्थितियों में रहकर इनके पठन-पाठन में आर्थिक और मानसिक सहयोग किया. वो साथ ही अपने दोस्तों का सहयोग और गुरुजनों स्वर्गीय श्री जय किशोर महासेठ और श्री राकेश सिंह के आशीर्वाद और योगदान का अपने जीवन में अमूल्य स्थान मानते हैं.

Next Article

Exit mobile version