क्या देवी-देवताओं को पशु बलि देना सही है? जानिए प्रेमानंद महाराज का जवाब

Premanand Ji Maharaj: एक भक्त ने प्रेमानंद जी महाराज से एक सवाल पूछा कि क्या देवी-देवताओं को किसी जानवर की बलि देना सही है या गलत? इस सवाल का जवाब प्रेमानंद जी महाराज ने बड़े तार्किक ढंग से दिया, जिसे हर किसी को जानना चाहिए.

By Shashank Baranwal | September 2, 2025 11:37 AM

Premanand Ji Maharaj: भारत के अनेक हिस्सों में देवी-देवताओं की पूजा के साथ बलि देने की परंपरा आज भी देखने को मिलती है. यह परंपरा लोक मान्यताओं और आस्था से जुड़ी मानी जाती है. हालांकि, समय के साथ लोगों में जागरूकता आई है और अब कई स्थानों पर पशु बलि की जगह नारियल या अन्य प्रतीकात्मक वस्तुओं की बलि देने की परंपरा शुरू हो चुकी है. इसी विषय पर एक भक्त ने प्रेमानंद जी महाराज से एक सवाल पूछा कि क्या देवी-देवताओं को किसी जानवर की बलि देना सही है या गलत? इस सवाल का जवाब प्रेमानंद जी महाराज ने बड़े तार्किक ढंग से दिया, जिसे हर किसी को जानना चाहिए.

प्रेमानंद जी महाराज ने दिया जवाब

प्रेमानंद जी महाराज ने स्पष्ट उत्तर दिया कि बलि देना आसुरी प्रवृत्ति है. इससे भगवत प्राप्ति नहीं होती. उन्होंने कहा कि जिसे हम जगदंबा और जगत जननी कहते हैं, उनके सामने बकरे की बलि देना मूर्खता है. मां अपने पुत्र की बलि से प्रसन्न नहीं हो सकतीं. अगर सच में माता बलि से प्रसन्न होतीं तो बलि देने वाले का कल्याण हो जाता, लेकिन इतिहास में किसी का मंगल बलि से हुआ हो, ऐसा उदाहरण नहीं मिलता.

यह भी पढ़ें- सड़क किनारे भीख मांगने वालों को दें या न दें पैसे? प्रेमानंद जी महाराज ने दिया जवाब

मां को प्रसन्न है ये साधना

प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि माता काली ने अवतार दुष्टों का संहार करने के लिए लिया था. मां कभी बकरे या बकरी की बलि से प्रसन्न नहीं होतीं. यह केवल अज्ञान है जो लोग करते हैं. उन्होंने कहा कि माता को प्रसन्न करना है तो दया करो, सबको सुख पहुंचाओ, जाप-जप और अच्छे आचरण का पालन करो. यही साधन मां को प्रसन्न करते हैं.

यह भी पढ़ें- Premanand Ji Maharaj: राधा नाम जप से पूरी होंगी सारी मनोकामनाएं, जानें 28 चमत्कारी नाम

बलि में चढ़ाएं ये चीजें

प्रेमानंद जी महाराज जी ने बताया कि शास्त्रों में नारियल, नींबू या ऐसी सात्विक वस्तुओं की बलि का वर्णन मिलता है. मां को रक्त की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मां तो अपना ही खून दूध बनाकर बच्चों का पालन करती हैं. ऐसे में वह दूसरों का रक्तपान कैसे कर सकती हैं? उन्होंने स्पष्ट कहा कि मां ने दुष्टों का रक्तपान किया था, न कि सज्जनों का. इसलिए पशु बलि छोड़कर सत्कर्म अपनाना चाहिए, अन्यथा नरक की प्राप्ति होगी.

यह भी पढ़ें- क्या रोज मंदिर जाना जरूरी है? प्रेमानंद महाराज ने बताई सच्चाई

Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह से इनकी पुष्टि नहीं करता है.