Vat Savitri Vrat 2025 में मेहंदी में सौभाग्य का प्रतीक, जानें वजह

Mehndi Design in Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत में हीना (मेहंदी) का विशेष महत्व होता है. इसे सौभाग्य, प्रेम और मंगल का प्रतीक माना जाता है. सुहागिनें इस दिन हाथों में मेहंदी रचाकर देवी सावित्री का रूप धारण करती हैं और पति की दीर्घायु के लिए श्रृंगारपूर्वक व्रत व पूजा करती हैं.

By Shaurya Punj | May 16, 2025 12:40 PM

Mehndi Design in Vat Savitri Vrat 2025: भारतीय संस्कृति में मेहंदी का एक महत्वपूर्ण स्थान है, खासकर विवाहित महिलाओं के लिए इसे शुभता, सौभाग्य और प्रेम का प्रतीक माना जाता है. वट सावित्री व्रत, जो पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए किया जाता है, में मेहंदी का महत्व और भी बढ़ जाता है.

मेहंदी का है सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व

वट सावित्री व्रत के अवसर पर महिलाएं पारंपरिक रूप से सज-धजकर पूजा करती हैं. इसमें सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है, और मेहंदी इस श्रृंगार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है. कहा जाता है कि जितनी गहरी मेहंदी लगाई जाती है, पति का प्रेम उतना ही अधिक होता है. इसी कारण महिलाएं व्रत से एक दिन पहले या व्रत के दिन सुबह अपने हाथों में सुंदर मेहंदी लगाती हैं.

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गर्मी के मौसम में मिलती है राहत

मेहंदी को नारी सौंदर्य के साथ-साथ सकारात्मक ऊर्जा और शीतलता का प्रतीक माना जाता है. यह शरीर को ठंडक प्रदान करती है, जिससे गर्मी के मौसम में राहत मिलती है. वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह में मनाया जाता है, जो गर्मियों का चरम समय होता है, इस प्रकार मेहंदी का उपयोग वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी है.

मेहंदी है श्रृंगार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा

धार्मिक दृष्टिकोण से, मेहंदी को शुभता का प्रतीक माना जाता है. जब महिलाएं व्रत के समय वटवृक्ष की पूजा करती हैं, कथा सुनती हैं और परिक्रमा करती हैं, तब उनका श्रृंगार भी इस पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. मेहंदी, चूड़ी, बिंदी, और सिंदूर जैसे श्रृंगार सामग्रियों से नारी का स्वरूप पूजनीय माना जाता है.

यह माना जाता है कि देवी सावित्री इस व्रत के दिन पूर्ण श्रृंगार में थीं, जिसमें मेहंदी भी शामिल थी. इसलिए महिलाएं इस दिन सावित्री के समान सजकर व्रत करती हैं और अपने पति के सुखद जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं. इस प्रकार, वट सावित्री पूजा में मेहंदी केवल एक सजावट नहीं है, बल्कि यह धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, जो सौभाग्य और प्रेम का संदेश देती है.